देश की सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सरकार की 89.97 फीसदी हिस्सेदारी है. 2007 में नवरत्न कंपनी का दर्जा हासिल करने वाली एचएएल उत्पादन के लिहाज से रक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी है.
मुंबई: देश की सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में से सरकार अपनी 15 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अपनी यह हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये बेच रही है, जिसकी आधार कीमत (बेस प्राइस) 1,001 रुपये प्रति शेयर तय की गई है. इसके माध्यम से सरकार की 5,020 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है.
बता दें कि ओएफएस का इस्तेमाल शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए करते है. सेबी के नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी ओएफएस जारी करना चाहती है, उसे जारी करने से दो दिन पहले इसकी सूचना सेबी के साथ-साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को देनी होती है.
रिपोर्ट के अनुसार, एचएएल ने विनियामकी हलफनामे में कहा है कि ओएफएस के माध्यम से सरकार ने 33,438,750 इक्विटी शेयरों को बेचने का प्रस्ताव रखा है, जो एचएएल में सरकार के कुल शेयर का 10 फीसदी हिस्सा है. इसके साथ ही सरकार ने 16,719,375 इक्विटी शेयरों को भी बेचने का प्रस्ताव रखा है, जो कि पांच फीसदी हैं.
ओएफएस की यह प्रक्रिया 27-28 अगस्त को पूरी की जाएगी और बीते बुधवार की तुलना में 15 फीसदी कम कीमत में बेची जाएगी. बीते बुधवार को कंपनी के शेयर 1177.75 रुपये पर बंद हुए थे.
ओएफएस दिशानिर्देशों के मुताबिक, प्रस्तावित शेयरों की कुल 20 फीसदी हिस्सेदारी को खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित किया जाएगा और उन्हें तय कीमत से पांच फीसदी कम कीमत पर शेयर दी जाएगी.
रिपोर्ट के अनुसार, एचएएल में सरकार की 89.97 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसे मार्च 2018 में सूचीबद्ध किया गया था. एचएएल एक नवरत्न कंपनी है. जून 2007 में इसे ये दर्जा मिला था. उत्पादन के लिहाज से यह रक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी है.
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने 2.10 लाख करोड़ विनिवेश का लक्ष्य रखा है. इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से जबकि बाकी के 90 हजार करोड़ रुपये वित्तीय संस्थाओं में हिस्सेदारी बेचकर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.
पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की 23 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया पूरी करने में लगी है, जिनके विनिवेश को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है.