कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के तहत बने क़रीब 61 फीसदी घरों में बिजली का कनेक्शन और लगभग 33 फीसदी घरों में एलपीजी कनेक्शन नहीं है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के कार्यान्वयन में कमियों का उल्लेख करते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पाया है कि इस योजना के तहत बने लगभग आधे प्रमाणित घरों में शौचालय नहीं है, जबकि साल 2018 में ही राज्य को ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राजस्थान में पीएमएवाई-जी के प्रदर्शन ऑडिट के दौरान कैग ने सात जिलों- बारां, बीकानेर, भरतपुर, दौसा, जोधपुर, टोंक और उदयपुर की 59 ग्राम पंचायतों में योजना के तहत बने 590 घरों का भौतिक सत्यापन किया और पाया कि 290 घरों (49.15 फीसदी) में शौचालय नहीं है.
राष्ट्रीय ऑडिटर के इन निष्कर्षों को पिछले हफ्ते राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया था.
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा साल 2016 में जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने किसी घर को तभी ‘पूर्ण’ माना जाएगा जब उसमें शौचालय बना होगा.
इस आवास योजना के लाभार्थियों को स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, मनरेगा या अन्य योजना के तहत शौचालय मुहैया कराया जाना था. हालांकि अब कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि इन घरों के सत्यापन के बाद भी इसमें शौचालय नहीं बने हैं.
ये स्थिति तब है जब पूरे राज्य को साल 2018 में खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है.
कैग ने अपने सर्वे में यह भी पाया कि 590 घरों में से सिर्फ 232 घरों (39.32 फीसदी) में बिजली का कनेक्शन था. यानी 358 घरों (60.68 फीसदी) में बिजली कनेक्शन नहीं था.
इन लाभार्थियों के पास एलपीजी कनेक्शन न होने पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘590 घरों के संयुक्त भौतिक सत्यापन के दौरान यह भी पुष्टि हुई है कि केवल 399 घरों (67.63 प्रतिशत) में एलपीजी कनेक्शन था और 191 (32.37 प्रतिशत) घरों में एलपीजी कनेक्शन नहीं था.’
इसके अलावा कैग ने पाया है कि 590 में से 517 घरों में पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था थी. हालांकि इसमें से सिर्फ 26 घरों में पाइप के जरिये पानी की व्यवस्था था. वहीं बाकी के 73 घरों में अभी भी साफ पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सत्यापित 590 लाभार्थियों में से 391 लाभार्थी योजना के तहत बने पक्के घर में रह रहे थे और बाकी के 183 लाभार्थी अभी इसे रहने के लिए इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.