केंद्र ने कोर्ट से कहा, लोन किस्त के भुगतान पर लगी रोक दो साल के लिए बढ़ाई जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के चलते क़र्ज़ की किस्त अदायगी को स्थगित किए जाने के दौरान लोन पर ब्याज लेने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है. इस मामले में अपना रुख़ साफ़ नहीं करने के कारण पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: द वायर)

सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के चलते क़र्ज़ की किस्त अदायगी को स्थगित किए जाने के दौरान लोन पर ब्याज लेने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है. इस मामले में अपना रुख़ साफ़ नहीं करने के कारण पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोन मोरेटोरियम या लोन की किस्त भुगतान के लिए मिली मोहलत को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है.

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि हम प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं, जो महामारी के चलते हुए नुकसान के प्रभाव के अनुसार अलग-अलग लाभ उठा सकते हैं.

इस मामले में हुई पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के कारण कर्ज की किस्तों को स्थगित किए जाने के दौरान लोन या ईएमआई पर ब्याज और ब्याज पर लिए जाने वाले ब्याज को माफ करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता को संज्ञान में लिया था और निर्देश दिया था कि वह एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर कर इस बारे में अपना रुख साफ करे.

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि केंद्र ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, जबकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उसके पास पर्याप्त शक्तियां थीं, लेकिन वह ‘आरबीआई के पीछे छिप रही है.’

पीठ में जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल हैं.

मालूम हो कि कोविड-19 महामारी के बीच सामान्य कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होने की वजह से रिजर्व बैंक ने कंपनियों तथा व्यक्तिगत लोगों को राहत देते हुए ऋण की किस्तों के भुगतान पर एक मार्च से छह महीने के लिए छूट दी थी. छूट या किस्त भुगतान पर रोक की अवधि बीते 31 अगस्त को समाप्त हो चुकी है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार और बैंक एसोसिएशन मिलकर इस मामले का समाधान निकालेंगे. मेहता ने यह भी कहा कि बहुत सारे ऐसे सेक्टर हैं जो कि बदहाली की हालत से गुजर रहे हैं, इसलिए इन सभी को एक मंच पर आकर समाधान निकालने की जरूरत है.

मंगलवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो पीठ ने तुषार मेहता से कहा कि उन्हें केंद्र का हलफनामा नहीं मिला है. इसके आधार पर विधि अधिकारी ने मामले को टालने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे पहले ही इस मामले में तीन बार सुनवाई टाल चुके हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने एक बार फिर कहा कि सरकार को इस मामले में निष्पक्ष रहना होगा. शुरू में तो लग रहा था कि पीठ मामले को स्थगित नहीं करेगी लेकिन तुषार मेहता द्वारा मामले में विस्तार से सुनवाई की मांग के बाद कोर्ट अब इसे बुधवार यानी कि कल सुनेगा.

शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस मामले में दो पहलुओं पर विचार किया जाना है. एक यह कि कर्ज की किस्त अदायगी से छूट के दौरान उस पर ब्याज वसूला जाएगा या नहीं और बैंकों द्वारा ब्याज के ऊपर ब्याज लिया जाएगा या नहीं.

न्यायालय ने कहा था कि यह चुनौतीपूर्ण समय है, ऐसे में यह गंभीर मुद्दा है कि एक तरफ कर्ज किस्त भुगतान को स्थगित किया जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ उस पर ब्याज लिया जा रहा है.