उत्तर प्रदेश: कथित तौर पर हिरासत में मौत के मामले में एसएचओ के बाद दो पुलिसकर्मी निलंबित

उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले का मामला. चोरी मामले में युवक को गिरफ़्तार किया गया था. परिवारवालों ने हिरासत में पुलिस प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस का कहना है कि पेट में दर्द होने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां युवक की मौत हो गई.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले का मामला. चोरी मामले में युवक को गिरफ़्तार किया गया था. परिवारवालों ने हिरासत में पुलिस प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस का कहना है कि पेट में दर्द होने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां युवक की मौत हो गई.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक दलित युवक की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत के संबंध में लालगंज थाने के एसएचओ के निलंबन के बाद दो और पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 साल के मोनू को बाइक चोरी के संबंध में चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद 28 अगस्त को पूछताछ के लिए लालगंज पुलिस थाने लाया गया था और इसके दो दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी.

पुलिस ने शुरुआत में कहा कि मोनू बीमार हो गया था और अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी.

मृतक की मां ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शिकायत में कहा कि उसके बेटे की पुलिस प्रताड़ना की वजह से मौत हुई है.

पुलिस का कहना है, ‘मृतक की मां ने शिकायत में सब इंस्पेक्टर जेपी यादव और अरविंद मौर्य को नामजद किया गया है, जिन्हें एक सितंबर को को सस्पेंड कर दिया गया.’

इससे पहले लालगंज के एसएचओ हरिशंकर प्रजापति को बीते 30 सितंबर को सस्पेंड कर दिया गया था. आरोप है कि मोनू सहित पांच लोगों को गैरकानूनी रूप से 24 घंटे तक पुलिस थाने में रखा गया था.

पुलिस ने हालांकि अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है.

रायबरेली के एसपी स्वप्निल ममगई का कहना है कि निलंबित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे एडिशनल एसपी और एडिशनल डीएम द्वारा दो अलग-अलग जांच के निष्कर्षों का इंतजार कर रहे हैं.

एसपी ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम में पुलिस की बर्बरता के सबूत नहीं मिले हैं क्योंकि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम को मृतक के शरीर पर किसी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं मिले. हालांकि, अभी मौत की वजह की पुष्टि नहीं हुई है और मृतक के विसरा को सुरक्षित रख लिया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘हम जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. अगर इसमें पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. दो एसआई को सस्पेंड कर दिया गया है, ताकि वे जांच को प्रभावित नहीं कर सके.’

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सस्पेंड किए गए एसआई के व्यवहार को लेकर पहले भी उनके खिलाफ कई शिकायतें आई हैं और इनके खिलाफ दो जांच लंबित हैं.

एसपी के मुताबिक, ‘मोनू और उसके भाई सोनू को बाइक चोरी मामले में पूछताछ के लिए 28 अगस्त की दोपहर को थाने लाया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘सोनू को जाने दिया गया लेकिन पुलिस को बाइक चोरी के शक में मोनू की संलिप्तता का पता चला. मोनू ने शनिवार को पेट में दर्द की शिकायत की. उसे अस्पताल ले जाया गया और दवाइयां दी गईं लेकिन उसकी तबियत और बिगड़ गई.’

एसपी ने आगे कहा, ‘इसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसमें बुखार और न्यूमोनिया के लक्षण मिले. इसके साथ ही उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी कम था. डॉक्टर को किसी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं मिले और 30 अगस्त को सुबह लगभग 11 बजे उसकी मौत हो गई.’

जिलाधिकारी ने मामले में पीड़ित परिवार को प्रशासनिक स्तर से पांच लाख रुपये और उत्तर प्रदेश सरकार से भी पांच लाख रुपये की मदद दिलाने का आश्वासन दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)