केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रदर्शन समीक्षा समिति बैठक में पेश एजेंडा पेपर के अनुसार, मार्च के अंत तक देशभर में 54.57 लाख स्वयं सहायता समूहों को 91,130 करोड़ रुपये के बैंक क़र्ज़ दिए गए, जिनमें से 2,168 करोड़ रुपये एनपीए में तब्दील हो गए.
नई दिल्ली: पिछले वित्त वर्ष में स्वयं सहायता समूहों को दिए गए बैंक कर्जों के तेजी से गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में बदलते देखकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जिला स्तर पर एनपीए की निगरानी करने और बकाया राशि की वसूली के लिए सुधारात्मक उपाय अपनाने के लिए कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कुछ राज्यों में स्वयं सहायता समूहों द्वारा लिए गए एक चौथाई से अधिक कर्ज एनपीए में तब्दील हो गए हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश में 15 फीसदी की उछाल देखी गई है.
जानकारी के अनुसार, पिछले हफ्ते हुई प्रदर्शन की समीक्षा समिति बैठक में मंत्रालय ने राज्य अधिकारियों से इस कदम को अमल में लाने के लिए कहा.
बैठक के महत्वपूर्ण मुद्दों में से स्वयं सहायता समूहों को दिए गए बैंक कर्जों का एनपीए में तब्दील होना भी था.
इस बैठक में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामी जीवनयापन मिशन की समीक्षा की गई, जिसके तहत सरकार बैंक से जोड़ने सहित स्वयं सहायता समूहों को अन्य सहायताएं मुहैया कराती है.
एजेंडा पेपर के अनुसार, देशभर में 54.57 लाख स्वयं सहायता समूहों को मार्च के अंत तक 91,130 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज दिए गए जिनमें से 2,168 करोड़ रुपये (2.37 फीसदी) एनपीए में तब्दील हो गए.
इसके कारण वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में स्वयं सहायता समूहों के एनपीए में कुल 0.19 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.
हालांकि, इस दौरान कुछ राज्यों में यह बढ़ोतरी बहुत ही तेजी से देखी गई. राष्ट्रीय औसत की तुलना में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वयं सहायता समूहों के एनपीए का औसत अधिक था.
बैठक में राज्य ग्रामीण जीवनयापन मिशन (एसआरएलएम) से कहा गया कि इन कर्जों को अनियमित या एनपीए बनाने से बचाने के लिए 20 सितंबर से पहले इन्हें बैंक में जमा कराने पर काम करें.
71,907 स्वयं सहायता समूहों वाले उत्तर प्रदेश में मार्च, 2020 के अंत तक समूहों द्वारा लिए गए 36.02 फीसदी कर्ज एनपीए में तब्दील हो गए थे, जो पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में 22.16 फीसदी थे.
उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब में स्वयं सहायता समूहों की एनपीए में हिस्सेदारी 19.25 फीसदी, उत्तराखंड में 18.32 फीसदी और हरियाणा में 10.18 फीसदी थी. वहीं, मात्र 209 स्वयं सहायता समूहों वाले अरुणाचल प्रदेश में एनपीए में इनकी हिस्सेदारी 43 फीसदी है.
सात राज्यों मध्य प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में समूहों को दिए गए कर्ज 5-10 फीसदी तक हैं.
वहीं, 10 अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, गोवा, तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, मेघालय, झारखंड, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में ऐसे समूहों के एनपीए की हिस्सेदारी पांच फीसदी से कम है लेकिन फिर भी यह 2.37 फीसदी के राष्ट्रीय औसत की तुलना में कहीं अधिक है.
केवल छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समूहों की एनपीए हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत से कम है.
ये राज्य मणिपुर (2.13 फीसदी), सिक्किम (1.44 फीसदी), पश्चिम बंगाल (1.38 फीसदी), बिहार (1.29 फीसदी), जम्मू कश्मीर (1.07 फीसदी), आंध्र प्रदेश (0.78 फीसदी) और मिजोरम (0.62 फीसदी) है.