एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जापान की कंपनियों की कम हिस्सेदारी, बोली लगाने वालों की अनुचित दर के चलते टेंडर रद्द होने जैसी वजहों से बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी हो रही है. वहीं, रेलवे की ओर से कहा गया है कि परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है और अगले तीन से छह महीने में इसके पूरा होने की समयसीमा का पता चलेगा.
नई दिल्लीः देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के कई मोर्चों पर अटकने की वजह से इसमें लगभग पांच साल की देरी हो सकती है.
हालांकि रेलवे की ओर से शनिवार को स्पष्ट किया गया कि बुलेट ट्रेन परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है लेकिन इसके पूरा होने की वास्तविक समय सीमा का अगले तीन से छह महीने में पता चलेगा जब भूमि अधिग्रहण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान की कंपनियों की कम हिस्सेदारी, बोली लगाने वालों की अनुचित दर की वजह से टेंडर रद्द होने और भूमि अधिग्रहण में देरी जैसी वजहों से देरी हो रही है.
रेलवे को उम्मीद है कि अक्टूबर 2028 तक बुलेट ट्रेन का संचालन पूरी तरह से शुरू हो सकता है.
बता दें कि पहले इसके लिए समयसीमा दिसंबर 2023 रखी गई थी. सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना पर काम कर रही जापान की टीम के साथ चर्चा के बाद संशोधित समयावधि का अनुमान लगाया गया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘अगर सभी मुद्दों को जल्दी सुलझा लिया गया तो हम कुछ हद तक समयसीमा को कम कर सकते हैं लेकिन इतने जटिल तकनीकी प्रोजेक्ट में समयसीमा को ज्यादा कम नहीं किया जा सकता.’
508 किलोमीटर लंबे मुंबई-अहमदाबाद-हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए जापान से 80 फीसदी ऋण लिया गया है, जो 0.1 फीसदी ब्याज दर पर 15 सालों के लिए दिया गया है. बुलेट ट्रेन के अधिकतर सिस्टम जापान की शिंकजेमेन बुलेट ट्रेन की तर्ज पर तैयार होंगे.
भारत अगस्त 2022 तक इस प्रोजेक्ट के एक हिस्से को शुरू करने का इच्छुक रहा है. रेलवे के अधिकारी अभी भी कह रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट के एक हिस्से को इसी समयसीमा में पूरा कर लिया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित एजेंसी नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के प्रवक्ता का कहना है, ‘फिजिबिलिटी स्टडी के अनुसार इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की लक्षित तारीख दिसंबर 2023 है.’
एनएचएसआरसीएल का गठन 2016 में किया गया था. इसमें रेल मंत्रालय और महाराष्ट्र और गुजरात सरकार की बराबर की हिस्सेदारी है.
हालांकि इस अख़बार के मुताबिक, बुलेट ट्रेन परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण 21 किलोमीटर के भूमिगत सेक्शन के टेंडर में जापान ने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसमें मुंबई के पास समुद्र के नीच सीत किलोमीटर का का सेक्शन भी शामिल है.
वहीं, इसके लिए इस साल की शुरुआत में किया गया पहला प्रयास सफल नहीं रहा.
परियोजना के लिए जापान की कंपनियों की तरफ से 11 टेंडर्स की बोली अनुमानित दर से 90 फीसदी अधिक लगाई गई, जिससे भारत ने मानने से इनकार कर दिया.
ताजा आकलन के मुताबिक, बुलेट ट्रेन के लिए 21 किलोमीटर के स्ट्रेच के निर्माण के लिए बड़ी, एडवांस बोरिंग मशीनों की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए एक विशेष तकनीकी विधि की जरूरत होगी ताकि महाराष्ट्र के पास फ्लैमिंगो सैंचुरी को बचाया जा सके. इसे पूरा करने में 60 महीने से अधिक का समय लगेगा.
एक अन्य चिंता का विषय रोलिंग स्टॉक के अधिग्रहण का है. जापान के मुताबिक, कावासाकी और हिताची ही ट्रेन की सप्लाई के योग्य कंपनियां हैं लेकिन बाद में पता चला कि यह दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से सिर्फ एक ही बोली लगा सकती हैं, जिससे सिंगल टेंडर की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसे भारतीय पक्ष ने या तो टालने या उच्च स्तर पर फैसला लेने के लिए छोड़ दिया.
भारत और जापान के बीच एक संयुक्त समिति की बैठक होनी थी, जो कोरोना वायरस की वजह से टल गई. ऐसे में इस समिति की बैठक के बाद ही परियोजना को लेकर कुछ मामले सुलझ सकते हैं.
एक अधिकारी का कहना है, ‘दोनों देशों के बीच संयुक्त समिति की अगली बैठक में ही परियोजना में संभावित देरी को लेकर तस्वीर साफ हो सकेगी.’
सूत्रों का कहना है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के स्वास्थ्य कारणों की वजह से पद से हटने के ऐलान से आधिकारिक तौर पर विचार-विमर्श पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
वहीं, फिजिबिलिटी स्टडी के मुताबिक, बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए दिसंबर 2017 से काम शुरू होना था लेकिन अभी तक महाराष्ट्र में इसके लिए निर्धारित 430 हेक्टेयर जमीन में सिर्फ 1,00 हेक्टेयर का ही अधिग्रहण किया जा चुका है, जबकि गुजरात में सरकार की मदद से इस साल के अंत तक 1,000 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण पूरा कर लिया जाएगा.
परियोजना में अच्छी प्रगति, अगले तीन से छह महीने में समय-सीमा का पता चलेगा: रेलवे
रेलवे ने शनिवार को कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है, लेकिन इसके पूरा होने की वास्तविक समय सीमा का अगले तीन से छह महीने में पता चलेगा जब भूमि अधिग्रहण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि गुजरात में 82 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण हो चुका है, जबकि महाराष्ट्र में केवल 23 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण हुआ है.
यादव ने कहा कि बुलेट ट्रेन जैसी बड़ी परियोजना में काम तब शुरू हो सकता है जब निश्चित मात्रा में जमीन उपलब्ध हो.
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अगले तीन से छह महीने में हम उस बिंदु पर पहुंच पाएंगे. डिजाइन तैयार है और हम आगे बढ़ने वाले हैं. यह सच है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण निविदा और भूमि अधिग्रहण में कुछ देरी हुई है लेकिन मैं कह सकता हूं कि परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है.’
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, ‘कोविड-19 की स्थिति सुधरने पर हम निविदा प्रक्रिया शुरू करेंगे और अगले तीन से छह महीने में जमीन अधिग्रहण का काम कर पाएंगे. इसके बाद हम परियोजना के पूरा होने की वास्तविक समय सीमा प्रदान कर पाएंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)