एनआईए के नोटिस पर कोलकाता के प्रोफेसर ने कहा- एल्गार परिषद या भीमा कोरेगांव से कोई संबंध नहीं

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के एक प्रोफेसर को नोटिस भेजकर उनके कथित तौर पर एल्गार परिषद से जुड़े होने को लेकर 10 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है. प्रोफेसर का कहना है कि एनआईए का नोटिस प्रताड़ित करने वाला है.

आईआईएसईआर प्रोफेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता पार्थसारथी रे (फोटो साभारः फेसबुक)

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के एक प्रोफेसर को नोटिस भेजकर उनके कथित तौर पर एल्गार परिषद से जुड़े होने को लेकर 10 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है. प्रोफेसर का कहना है कि एनआईए का नोटिस प्रताड़ित करने वाला है.

आईआईएसईआर प्रोफेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता पार्थसारथी रे (फोटो साभारः फेसबुक)
आईआईएसईआर प्रोफेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता पार्थसारथी रे (फोटो साभारः फेसबुक)

कोलकाताः एल्गार परिषद मामले में पूछताछ के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा तलब किए जाने के एक दिन बाद कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) के एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे ने इस कार्यक्रम से किसी भी तरह से जुड़े होने से इनकार किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्सिक्यूटेड प्रिज़नर्स सॉलिडैरिटी कमेटी (पीपीएससी) की पश्चिम बंगाल इकाई के संयोजक पार्थसारथी का कहना है, ‘मेरा एल्गार परिषद या भीमा कोरेगांव घटनाओं से कोई संबंध नहीं है. मैं वहां कभी नहीं रहा और इनके आयोजकों को नहीं जानता, इसलिए मुझे लगता है कि एनआईए का समन प्रताड़ित करने वाला है. हालांकि मैं एनआईए जांच में सहयोग करूंगा.’

एनआईए ने उन्हें नोटिस भेजकर उनके कथित तौर पर एल्गार परिषद से जुड़े होने को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया है.

गौरतलब है कि वे उन नौ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से थे, बीते साल जिन्हें कथित तौर पर उन पर निगरानी रखने के लिए एक ‘स्पाईवेयर हमले‘ का निशाना बनाया गया था.

इन सभी कार्यकर्ताओं ने साल 2018 में भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को रिहा करने की मांग की थी.

 

बता दें कि एक जनवरी 2018 को हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा से संबंधित दो जांच में से एक एल्गार परिषद मामला है. पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार सम्मेलन आयोजित किया गया था.

पुलिस के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषणों की वजह से जिले के भीमा-कोरेगांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी.

एनआईए ने एफआईआर में 23 में से 11 आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें कार्यकर्ता सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं.

तेलतुम्बड़े और नवलखा को छोड़कर अन्य को पुणे पुलिस ने हिंसा के संबंध में जून और अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया था.

बीते दिनों इस मामले में  पुलिस ने 28 जुलाई को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ्तार किया है. वे भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार होने वाले 12वें शख्स थे. 

हेनी बाबू को गिरफ्तार करने के बाद एनआईए ने कहा था कि जांच में खुलासा हुआ कि हेनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं और गिरफ्तार अन्य आरोपियों के साथ ‘सह-साजिशकर्ता’ हैं.

हालांकि बाबू की पत्नी और डीयू प्रोफेसर डॉ. जेनी रोवेना ने इन आरोपों का खंडन करते हुए एजेंसी द्वारा उन पर दबाव बनाने की बात कही थी.

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