मोदी के कार्यकाल में ‘पिंक रिवोल्यूशन’ और मज़बूत, मांस निर्यात 17 हज़ार टन बढ़ा

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने मांस निर्यात को लेकर यूपीए सरकार पर हमला बोला था, लेकिन ख़ुद उनके कार्यकाल में मांस निर्यात बढ़ गया है.

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प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने मांस निर्यात को लेकर यूपीए सरकार पर हमला बोला था, लेकिन ख़ुद उनके कार्यकाल में मांस निर्यात बढ़ गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार thedollarbusiness.com)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मांस निर्यात को लेकर भले ही नरेंद्र मोदी का कलेजा चीख चीख कर पुकार रहा था, लेकिन अब हालत यह है कि भारत मांस निर्यात के मामले में अग्रणी देशों में बना हुआ है. सरकार ने संसद को बताया है कि वर्ष 2016-17 में मांस निर्यात 17 हज़ार टन बढ़ गया है.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी ने मांस निर्यात के लिए यूपीए सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे थे. अपनी एक चुनावी सभा में उन्होंने कहा था, ”…और इसलिए दिल्ली में बैठी हुई सरकार का सपना है कि हम हिंदुस्तान में पिंक रिवोल्यूशन करेंगे और पूरे विश्व में मांस-मटन का एक्सपोर्ट का बिजनेस करेंगे. और स्वंय इस वर्ष भारत सरकार ने घोषित किया है, पूरे विश्व में बीफ एक्सपोर्ट में हिंदुस्तान नंबर वन है. किन चीजों के लिए गर्व किया जा रहा है भाइयो और बहनों आपका कलेजा रो रहा या नहीं, मुझे मालूम नहीं, मेरा कलेजा चीख-चीख कर पुकार रहा है. और आप कैसे चुप हैं, कैसे सह रहे हैं, मैं समझ नहीं पा रहा हूं.”

सरकार ने संसद में बताया है, भारत का मांस निर्यात वर्ष 2016-17 में बढ़कर 13.53 लाख टन हो गया जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 13.36 लाख टन था. केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में यह जानकारी दी.

हालांकि मूल्य के हिसाब से पिछले वित्त वर्ष में निर्यात घटकर 27,184 करोड़ रुपये का रह गया जो वर्ष 2015-16 में 27,528 करोड़ रुपये का हुआ था.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि मांस और चमड़े के उत्पादन को रोकने के संदर्भ में उनके मंत्रालय में कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है.

हालांकि उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार भैंस के मांस का निर्यात घटा है. अप्रैल मई 2016-17 के दौरान भैंस मांस का निर्यात 55.4 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि चालू वर्ष की समान अवधि में यह निर्यात 53 करोड़ रुपये का हुआ.

उन्होंने कहा कि चर्म उत्पादों और जूते चप्पलों का निर्यात वर्ष 2015-16 और वर्ष 2016-17 के दौरान विभिन्न कारणों से घटा है जिसमें यूरोपीय बाजार में मंदी, पश्चिम एशिया के देशों की अक्षमता जैसे कुछ बाय कारण शामिल हैं.

अलग से दिए एक उत्तर में उन्होंने कहा कि सरकार को मांस के निर्यात पर प्रतिबंध अथवा रोक के संबंध में कुछ ज्ञापन प्राप्त हुए हैं.

गौरतलब है कि 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के बनने के बाद से देश भर में गाय, गोमांस और मांसाहार को लेकर घमासान मचा हुआ है. कई लोगों को गोमांस का सेवन करने, लाने, ले जाने या गाय को काटने के लिए ले जाने के शक में पीट पीट कर मार दिया गया. ऐसी दर्जनों घटनाओं में 17 लोग मारे जा चुके हैं.

कई भाजपा नेता लोगों से शाकाहारी होने की भी अपील कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में ही सरकार बनते ही अवैध बूचड़खानों पर पाबंदी लगा दी गई, जिसके चलते गली कूचों और बाजारों में चलने वाली छोटी छोटी हजारों दुकानें बंद हो गईं. गुजरात में गोहत्या को लेकर सख्त कानून पास हुआ तो गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि वे चाहते हैं कि गुजरात शाकाहारी राष्ट्र हो.

उत्तर भारत में गोरक्षा अभियान चलाने वाली भाजपा की पूर्वोत्तर और गोवा आदि राज्यों की सरकारों ने वहां की जनता को आश्वासन दिया है कि वह सत्ता में आएगी तो गोमांस की कोई कमी नहीं होने देगी. दो दिन पहले ही गोवा विधानसभा में भाजपा नेता और मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि गोवा में गोमांस की कोई कमी नहीं है, होगी तो कर्नाटक से आयात कर लेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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