ईडी के अधिकारियों ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम क़ानून की धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया गया है. मंगलवार को मुंबई की एक अदालत ने उन्हें 19 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है.
मुंबई: मुंबई की एक अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के संबंध में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को 19 सितंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया है.
उन्हें सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों ने सोमवार को बताया था कि एजेंसी ने दीपक को मुंबई में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल जनवरी में दर्ज मामले में मिले कुछ ताजा सबूतों के बारे में अधिक ब्योरा जानने के लिए एजेंसी ने दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वह उनसे हिरासत में पूछताछ करना चाहती है.
ICICI Bank-Videocon case: Deepak Kochar remanded to Enforcement Directorate custody till 19th September, by Special PMLA Court#Mumbai https://t.co/GPVfLUu5mZ
— ANI (@ANI) September 8, 2020
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ईडी के एक सूत्र ने बताया कि ताजा सबूतों को लेकर पूछताछ करने के लिए दीपक को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए दिल्ली जाने से इनकार कर दिया, तब मुंबई में अफसरों की टीम द्वारा उनसे वहां पूछताछ की गई.
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने पूछताछ में हमारा सहयोग नहीं किया, इसलिए हमें उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा.’
गौरतलब है कि साल 2017 से सीबीआई ने वीडियोकॉन के एनपीए में बदले आईसीआईसीआई बैंक के लोन और दीपक कोचर की कंपनियों के साथ हुए लेन-देन के बारे के बारे में जांच शुरू की थी.
मार्च 2018 में इसी सिलसिले में आईसीआईसीआई की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर पर हितों के टकराव के आरोप लगे.
तब इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया, जिसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाया.
बताया गया था कि उन्हें दिए गए लोन का 86 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2,810 करोड़ रुपये चुकाया नहीं गया था. इसके बाद आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.
दिसंबर 2008 में धूत ने दीपक कोचर और चंदा के दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी खोली थी, उसके बाद इस कंपनी को अपनी एक कंपनी द्वारा 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. इसके बाद उस कंपनी (जिसके द्वारा लोन दिया गया था) का स्वामित्व महज 9 लाख रुपयों में एक ट्रस्ट को सौंप दिया, जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं.
इसके बाद मामले में सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की, वहीं बैंक ने चंदा कोचर को आंतरिक जांच पूरी हो जाने तक छुट्टी पर भेज दिया.
इसके बाद जनवरी 2019 में सीबीआई ने दीपक कोचर, वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर के खिलाफ केस दर्ज किया. इसके बाद बैंक के बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की जांच में चंदा कोचर को कर्जदाता आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाए जाने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया.
कोचर दंपति और वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत तथा अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद ईडी ने अपना मामला दायर किया था. एजेंसी इस मामले में कोचर दंपति से पूछताछ करती रही है.
ईडी द्वारा वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक से 1,875 करोड़ रुपये का कर्ज देने में कथित अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच की जा रही है.
बताया गया था कि चंदा कोचर द्वारा मंजूर किए गए कर्जों के वितरण के बाद वीडियोकॉन समूह ने कथित तौर पर दीपक कोचर की कंपनियों में निवेश किया.
इससे पहले इसी साल जून महीने में ईडी ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली थी. इसमें तमिलनाडु और महाराष्ट्र के रिहायशी फ्लैट्स, जमीन, नकद और कुछ प्लांट और मशीनरी शामिल थे.
ईडी के अनुसार, उनकी जांच में सामने आया है कि लोन को पुनः मंजूर (रिफाइनेंस) किया गया और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसकी समूह कंपनियों को 1,730 करोड़ से अधिक के नए लोन मंजूर किए गए. 30 जून 2017 को ये कर्ज भी एनपीए में तब्दील हो गए.
ईडी का दावा है कि उनकी जांच में यह भी सामने आया है कि चंदा कोचर और उनके परिवार ने मुंबई में एक वीडियोकॉन समूह की कंपनियों में से एक के स्वामित्व वाले एक अपार्टमेंट का अधिग्रहण किया, जिसे उन्होंने अपने पारिवारिक ट्रस्ट के माध्यम से बुक एंट्रीज करके मामूली कीमत पर उस कंपनी से हासिल किया.
सीबीआई द्वारा 22 जनवरी को दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर ईडी ने इस मामले में एनफोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट दायर की है.
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि चंदा ने ‘बेईमानीपूर्वक अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग’ और ‘नियमों व नीतियों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन समूह को हजारों करोड़ रुपये के कर्जों को मंजूरी दी.’
आरोप यह भी है कि चंदा को अपने पति दीपक कोचर के माध्यम से अवैध तरीके से इनके बदले में फायदा मिला, जब आईसीआईसी बैंक से लोन मिलने के बाद वीडियोकॉन समूह द्वारा दीपक की कंपनियों में निवेश किया गया.
कोचर दंपति और वेणुगोपाल धूत के अलावा एफआईआर में अनाम सरकारी कर्मचारियों और दीपक कोचर की कंपनी एनयूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भी नामजद किया गया है.
वीडियोकॉन के लोन मंजूर करने के मामले में एजेंसी आईसीआईसीआई के वर्तमान सीईओ संदीप बख्शी समेत कई बैंकरों की भूमिका जांच रही है. इनमें के. रामकुमार, संजोय चटर्जी, एनएस कनन, ज़रीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, कवि कामथ और होमी खुसरोखन शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)