एक ही व्यक्ति में दोबारा कोरोना संक्रमण होने पर जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञ गहरी चिंता जता रहे हैं, वहीं गुजरात सरकार यह दलील देकर पल्ला झाड़ रही है कि उनके द्वारा कराए गए एंटीबॉडी सर्वे में इन लोगों में एंटीबॉडी नहीं पाया गया था.
नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने बताया है कि 18 अगस्त से 6 सितंबर के बीच कोरोना संक्रमण के चार ऐसे मामले सामने आए हैं, जो चार महीने पहले कोविड-19 वायरस संक्रमण के बाद ठीक हो गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जिन चार लोगों को फिर से संक्रमण हुआ है, उनमें गुजरात कैंसर और अनुसंधान संस्थान (जीसीआरआई) के 33 साल के दो पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर और एलजी हॉस्पिटल की 26 वर्षीय महिला रेजिडेंट डॉक्टर तथा बेहरामपुरा की एक 60 वर्षीय महिला शामिल हैं.
ये लोग पहली बार 13 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच कोरोना पॉजिटिव आए थे. इलाज करने के बाद इन सभी की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छुट्टी दे दी गई थी.
दोबारा संक्रमित पाए गए ये लोग उस सीरो सर्वे का भी हिस्सा थे, जिसमें ये पाया गया था कि 1,816 पॉजिटिव केस में से 40 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी नहीं बनी है.
खास बात यह है कि फिर से कोरोना संक्रमित हुईं 60 वर्षीय महिला उन 60 फीसदी लोगों में शामिल थीं, जिसमें एंटीबॉडी बन गई थी. वहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स उन 40 फीसदी लोगों में से हैं, जिनमें संक्रमण के बाद भी एंटीबॉडी नहीं बनी है.
अहमदाबाद नगर निगम द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दोबारा संक्रमित पाए गए चार लोगों में से एक व्यक्ति हाल ही में केरल गए थे, वहीं बाकी के तीन लोग अहमदाबाद में ही थे.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि तीनों डॉक्टरों को अस्पताल में संक्रमण हुआ होगा, लेकिन 60 वर्षीय को दोबारा संक्रमण होने के स्रोत का अभी तक पता नहीं लगा पाया है.
निगम ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों को दोबारा संक्रमण होना उनके ‘सीरो सर्वे के निष्कर्षों’ के अनुसार ही है.
इस सर्वे में पता चला था कि कोरोना संक्रमित में से करीब 40 फीसदी लोग अपना एंटीबॉडी खो चुके हैं, जिसके चलते वे दोबारा संक्रमित हो सकते हैं.
हालांकि संक्रामक रोग विशेषज्ञ और राज्य सरकार के चिकित्सा विशेषज्ञों के पैनल में शामिल डॉ. अतुल पटेल का कहना है हमें ‘एंटीबॉडी खत्म होने’ का दावा बहुत सावधानी से करना होगा.
उन्होंने इस अखबार को बताया, ‘हमें बेहतर एंटीबॉडी परीक्षण के साथ सत्यापन करने की आवश्यकता है क्योंकि कई रैपिड एंटीबॉडी किट का प्रदर्शन (एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए) उतना अच्छा नहीं रहा है. एंटीबॉडी की उपस्थिति का निर्धारण करने में बहुत सारी जटिलताएं शामिल हैं. एंटीबॉडी परीक्षण में कुल एंटीबॉडी के साथ ही आईजीजी एंटीबॉडी की उपलब्धता को भी शामिल करना चाहिए.’
वहीं, गुजरात सरकार दोबारा संक्रमण होने के मामले को यह दलील देकर पल्ला झाड़ रही है कि उनके द्वारा कराए गए एंटीबॉडी सर्वे में इन लोगों में एंटीबॉडी नहीं पाया गया था, जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पर गहरी चिंता जता रहे हैं.
इससे पहले कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां कोविड संक्रमण से स्वस्थ हो चुकी एक महिला फिर से इस वायरस से संक्रमित पाई गई थीं.
बेंगलुरु के फोर्टिस हॉस्पिटल ने बताया था कि जुलाई में 27 साल की ये महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं और इलाज के बाद उनकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव होने पर उन्हें घर भेज दिया गया था। लेकिन एक महीने के बाद उनमें फिर कोरोना के लक्षण मिले और टेस्ट में फिर कोविड-19 की पुष्टि हुई.