निर्वाचन आयोग ने यूपी चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन मामले में अमर उजाला को नोटिस जारी किया है. अख़बार ने एक निजी बिल्डर का विज्ञापन छापा जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना का ज़िक्र था.
उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान सबसे बड़े अख़बार दैनिक जागरण के ख़िलाफ़ आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई के बाद एक और अख़बार को नोटिस जारी हुआ है. प्रदेश के प्रमुख अख़बारों में से एक अमर उजाला को भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने पर निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी किया है. आयोग ने अख़बार को हिदायत दी है कि भविष्य में किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने वाला विज्ञापन न छापा जाए.
आयोग ने समाजवादी जन परिषद के नेता व वाराणसी निवासी अफलातून देसाई की शिकायत पर यह नोटिस जारी किया है. मामले का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने अखबार से इस तरह के विज्ञापन भविष्य में न छापने को कहा है. रिटर्निंग आफिसर, कैंटोनमेंट विधानसभा, वाराणसी ने इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अपनी ओर से रिपोर्ट भेज दी है और बताया है कि अखबार को कहा गया है कि भविष्य में वह ऐसे विज्ञापन न छापे.
अफलातून ने अख़बार के ख़िलाफ़ मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के शिकायत संबंधी ऐप पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि अमर उजाला ने एक बिल्डर का पूरे एक पृष्ठ का कवर विज्ञापन छापा जिसमें ‘प्रधानमंत्री योजना’ का बैनर लगाया गया.
अफलातून ने अपनी शिकायत में आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि एक निजी बिल्डर की परियोजना ‘वेव सिटी’ के विज्ञापन के साथ गैर—ज़रूरी ढंग से प्रधानमंत्री आवास योजना का ज़िक्र किया गया जो केंद्र की सत्ताधारी पार्टी का प्रचार है. अफलातून ने चुनाव आयोग से शिकायत में कहा था कि ‘यह आज के ”अमर उजाला” के आवरण का विज्ञापन है. चुनाव आयोग बताए कि वेव सिटी के एक पृष्ठ के इस विज्ञापन में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के ज़िक्र का क्या औचित्य है? यह केंद्र में सत्तारूढ़ दल का निजी कंपनी द्वारा प्रचार है जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है. जब सरकारी होर्डिंग आयोग की पहल पर हट गए तो भारतीय जनता पार्टी निजी कंपनियों से प्रचार करवा रही है.’
इसके पहले हिंदी के नंबर एक अख़बार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पहले चरण के मतदान के बाद ‘एक्ज़िट पोल’ प्रकाशित कर दिया. इस संबंध में द वायर की खबर का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने कार्रवाई का आदेश दिया. जागरण के ख़िलाफ़ केस दर्ज करके उसके आॅनलाइन संस्करण के संपादक को गिरफ़्तार किया गया था, जिन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.