ऋण पुनर्गठन के लिए वित्तीय मापदंड बनाने वाली केवी कामथ समिति ने कहा है कि बैंकिंग ऋण का 23.71 लाख करोड़ रुपये या बैंकिंग क्षेत्र का 45 प्रतिशत ऋण कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर से पहले ही ख़तरे में था.
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से कॉरपोरेट सेक्टर का 15.52 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जोखिम में आ गया है. यह राशि उद्योग जगत को दिए गए बैंकों के कुल कर्ज का 29.4 फीसदी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऋण पुनर्गठन के लिए वित्तीय मापदंड बनाने वाली केवी कामथ समिति ने कहा है कि बैंकिंग ऋण का 23.71 लाख करोड़ रुपये या बैंकिंग क्षेत्र का 45 प्रतिशत ऋण कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर से पहले ही खतरे में था.
इसका मतलब ये हुआ कि बैंकिंग सेक्टर का 72 फीसदी ऋण, जो कि 37.72 लाख करोड़ रुपये होता है, खतरे में हैं. यह कुल गैर-खाद्य बैंक ऋण का लगभग 37 प्रतिशत है.
कामथ समिति ने कहा है कि खुदरा व्यापार, थोक व्यापार, सड़क और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है. जो क्षेत्र कोरोना महामारी से पहले ही संकट में रहे हैं, उनमें एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी), बिजली, इस्पात, रियल एस्टेट और अन्य शामिल हैं.
महामारी से प्रभावित 15.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण में से सबसे ज्यादा खतरा खुदरा और थोक व्यापार को है, क्योंकि इनके 5.42 लाख करोड़ रुपये के बैंक लोन प्रभावित हुए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क क्षेत्र में 1.94 लाख करोड़ रुपये और कपड़ा क्षेत्र में 1.89 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण प्रभावित हुए हैं. महामारी से प्रभावित होने वाले अन्य प्रमुख उद्योगों में इंजीनियरिंग (1.18 लाख करोड़ रुपये), पेट्रोलियम और कोयला उत्पादन (73,000 करोड़ रुपये), बंदरगाह (64,000 करोड़ रुपये), सीमेंट (57,000 करोड़ रुपये), रसायन (54,000 करोड़ रुपये) और होटल और रेस्तरां (46,000 करोड़ रुपये) तथा अन्य शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से पूर्व जो क्षेत्र खतरे में रहे, उनमें से बैंकों के प्रमुख बकायेदारों में एनबीएफसी (7.98 लाख करोड़ रुपये), बिजली (5.69 लाख करोड़ रुपये), स्टील (2.66 लाख करोड़ रुपये), रियल एस्टेट (2.29 लाख करोड़ रुपये) और निर्माण (1,03 लाख करोड़ रुपये) तथा अन्य शामिल हैं.
कामथ समिति ने कहा कि महामारी ने कंपनियों के सर्वश्रेष्ठ को प्रभावित किया है.