एक मामला अतर्रा थाना इलाके का है, वहीं दूसरी घटना मरका थाना क्षेत्र का है. बताया जा रहा है कि दोनों किसानों पर क़र्ज़ था, जिसकी वजह से वे परेशान थे.
बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र में एक किसान ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं, मरका थाना क्षेत्र में एक युवा किसान द्वारा जहर खाकर जान देने का मामला सामने आया है.
अतर्रा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) दीपक कुमार पांडेय ने बुधवार को बताया, ‘मंगलवार को क्षेत्र के महुटा गांव में किसान रामनिहोर (45) ने अपने घर में रस्सी के सहारे पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली है. वह पेशे से बढ़ई थे.’
उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है.
मृत किसान की पत्नी दीना (42) के हवाले से पुलिस ने बताया, ‘उनकी चार बेटियां और एक बेटा है. पिछले साल रिश्तेदारों से कर्ज़ लेकर बड़ी बेटी चंपा की शादी की थी और इसी साल मार्च माह में बैंक से एक लाख रुपये का भी कर्ज़ लिया था.’
दीना ने पुलिस को बताया कि इस समय कोई काम नहीं चल रहा था, जिससे घर के खर्च में दिक्कत आ रही थी. इसी से परेशान होकर पति ने आत्महत्या कर ली.
हालांकि, एसएचओ पांडेय का कहना है कि मृतक शराब पीने के आदी थे. कुछ दिन पूर्व उनकी पत्नी उनसे झगड़ा होने के बाद अपने मायके चली गई थीं.
अमर उजाला के मुताबिक बांदा जिले में ही कर्ज़ में डूबे एक अन्य युवा किसान ने आत्महत्या की. मरका थाना क्षेत्र के पिंडारन गांव में रामकृपाल नामक किसान ने घर में जहरीला पदार्थ खा लिया. उन्हें गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन मंगलवार को उसकी मौत हो गई.
मृतक के भाई विद्या सागर ने बताया कि रामनारायण पर बैंक और प्राइवेट लगभग पांच लाख रुपये का कर्ज़ था. इलाहाबाद बैंक शाखा बबेरू से चार साल पूर्व ढाई लाख रुपये और केसीसी कर्ज़ लिया था. अब बढ़कर यह करीब चार लाख हो गया है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा इसी साल खेत में ट्यूबवेल लगाने के लिए प्राइवेट दो लाख रुपये का कर्ज़ लिया था. इसकी अदायगी का भी उस पर तनाव था. इसी से परेशान होकर उसने जहर खाकर जान दे दी.
मृतक अविवाहित थे. उसके नाम 24 बीघा जमीन है. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया है.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 20 से अधिक लोगों के आत्महत्या करने की खबरें सामने आ चुकी हैं.
बीते 16 जुलाई को उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के इंगुआ गांव में लॉकडाउन में मुंबई से लौटे एक मज़दूर ने कथित तौर पर काम न मिलने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते दो जुलाई को मुजफ्फरनगर जिले में 48 वर्षीय ढाबा मालिक ने मंसूरपुर रेलवे स्टेशन के समीप एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी. उनके परिवार ने बताया था कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान ढाबा बंद होने के कारण कथित तौर पर वह परेशान थे.
बीते 26 जून बांदा जिले के अमलोहरा गांव में सूरत से लौटे 35 वर्षीय प्रवासी मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 25 जून को बांदा और चित्रकूट जिलों अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.
बीते 23 जून को बांदा जिले की नगर कोतवाली क्षेत्र के पडुई गांव में एक 23 वर्षीय युवती ने अपने घर के शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 21 जून को ललितपुर और बांदा जिलों में एक किसान और एक सफाईकर्मी ने आत्महत्या की थी. ललितपुर जिले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया था. वहीं, बांदा जिले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर आत्महत्या की थी.
बीते 20 जून को बांदा जिले के मटौंध इलाके के बोधी पुरवा गांव में बालू खदान में मजदूरी करने वाले युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में 45 वर्षीय किसान मुन्ना निषाद ने खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि जिले के महेड़ गांव में एक अन्य घटना में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 18 जून को बांदा जिले के अतर्रा और बिसंडा थाना क्षेत्र में दो मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एक मज़दूर दो महीने से काम न मिलने के कारण कथित तौर पर परेशान थे, जबकि एक अन्य मज़दूर गुजरात के वापी शहर से लौटे थे.
बीते 17 जून को बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक की पहचान 25 वर्षीय अखिलेश सिंह के रूप में हुई.
इसी तरह जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. युवक की पहचान 20 वर्षीय रामकेश (20) के रूप में हुई थी. वह पंजाब में मजदूरी करते थे.
बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.
बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.
बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.
बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.
इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.
उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.
बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.
इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.
इसी तरह 14 मई को बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)