रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करने में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की शर्त जोड़ी गई

नई नीति के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले रक्षा क्षेत्र में किसी भी विदेशी निवेश की समीक्षा करने का सरकार को अधिकार रहेगा. बीते मई में ​कोरोना आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी किया जाएगा.

Jodhpur: Minister Narendra Modi inspects the guard of honour during 'Parakram Parv', an exhibition to commemorate the second anniversary of the surgical strikes, in Jodhpur, Friday, Sept 28, 2018. Defence Minister Nirmala Sitharaman (2nd R) is also seen. (PTI Photo) (PTI9_28_2018_000019B)
Jodhpur: Minister Narendra Modi inspects the guard of honour during 'Parakram Parv', an exhibition to commemorate the second anniversary of the surgical strikes, in Jodhpur, Friday, Sept 28, 2018. Defence Minister Nirmala Sitharaman (2nd R) is also seen. (PTI Photo) (PTI9_28_2018_000019B)

नई नीति के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले रक्षा क्षेत्र में किसी भी विदेशी निवेश की समीक्षा करने का सरकार को अधिकार रहेगा. बीते मई में कोरोना आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी किया जाएगा.

Jodhpur: Minister Narendra Modi inspects the guard of honour during 'Parakram Parv', an exhibition to commemorate the second anniversary of the surgical strikes, in Jodhpur, Friday, Sept 28, 2018. Defence Minister Nirmala Sitharaman (2nd R) is also seen. (PTI Photo) (PTI9_28_2018_000019B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने के फैसले में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की एक शर्त जोड़ी गई है. बीते मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस नई नीति को मंजूरी दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई शर्त में कहा गया है, ‘रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर जांच के अधीन होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले किसी भी विदेशी निवेश की समीक्षा करने का सरकार को अधिकार रहेगा.’

हालांकि इस तरह की नई शर्त रखने के पीछे की कोई वजह नहीं बताई गई है.

मौजूदा नीति के अनुसार, रक्षा उद्योग ऑटोमैटिक रूट के तहत 49 फीसदी तक एफडीआई ला सकता है और यदि निवेश इससे ऊपर जाता है तो सरकार की मंजूरी लेनी होती है.

राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी नई शर्त रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए विशिष्ट चार शर्तों के अलावा है, जिसमें सुरक्षा मंजूरी और रक्षा मंत्रालय के कुछ दिशानिर्देश शामिल हैं.

पिछले कुछ महीनों में सरकार ने भारत को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने की कोशिश के तहत सिलसिलेवार रूप से सुधार उपाय किए हैं, जिनमें अगस्त में 101 हथियार प्रणालियों के आयात पर रोक लगाने से जुड़ी घोषणा और मई में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया जाना शामिल है.

मालूम हो कि कोरोना आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की चौथी किस्त की घोषणा करते हुए 16 मई 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी किया जाएगा.

इससे पहले जुलाई 2018 में सरकार ने रक्षा निर्माण के क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से अनुमति दी गई थी.

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि केंद्र सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संकल्प आत्मकेंद्रित नहीं है, बल्कि भारत को सक्षम बनाने और वैश्विक शांति तथा अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर करने में मदद करने के लिए है.

रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने पर आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हिंद महासागर में संपूर्ण सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा और उसे रणनीतिक साझेदारी वाले मित्र राष्ट्रों को रक्षा आपूर्ति करने वाले देश भी बनाएगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रही है और 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1.75 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य है.

पिछले साल तक एयरोस्पेस और जहाज निर्माण उद्योग के साथ रक्षा उद्योग का अनुमान 80,000 करोड़ रुपये था, जिनमें से पीएसयू का हिस्सा लगभग 80 फीसदी या 63,000 करोड़ रुपये था.