उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार के आरोप में महोबा के पुलिस अधीक्षक मणि लाल पाटीदार और इलाहाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित को बीते दिनों निलंबित कर दिया था. दोनों अधिकारियों की संपत्तियों की जांच सतर्कता विभाग से कराए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में बीते नौ सितंबर को महोबा के पुलिस अधीक्षक मणि लाल पाटीदार को निलंबित करने के एक दिन बाद दो अन्य पुलिस अधिकारियों समेत उनके खिलाफ जबरन वसूली का केस दर्ज किया है.
इससे पहले आठ सितंबर को भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप में इलाहाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित को निलंबित कर दिया गया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोबा के निलंबित पुलिस अधीक्षक (एसपी) और इलाहाबाद के निलंबित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की संपत्तियों की जांच सतर्कता विभाग (विजलेंस) से कराए जाने के निर्देश भी दिए हैं.
गृह विभाग के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
गृह विभाग के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को बताया था कि मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि निलंबित अधिकारियों अभिषेक दीक्षित और मणि लाल पाटीदार द्वारा की गई अनियमितताओं में संलिप्त पुलिसकर्मियों के संबंध में अलग से जांच कराई जाए.
CM श्री @myogiadityanath जी ने प्रशासनिक अनियमितता व भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ा रुख अपनाते हुए प्रयागराज के निलंबित SSP श्री अभिषेक दीक्षित तथा महोबा के निलंबित पुलिस अधीक्षक, श्री मणि लाल पाटीदार की सम्पत्तियों की जांच विजलेंस के माध्यम से कराए जाने के निर्देश दिए हैं।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 10, 2020
सरकारी बयान के मुताबिक शासन ने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को अपेक्षित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि मणि लाल पाटीदार और दो अन्य पुलिस अधिकारियों- एसएचओ (खरेला) राजू सिंह और चरखारी के पूर्व एसएचओ राकेश कुमार सरोज के खिलाफ यातायात कारोबार से जुड़े एक व्यापारी की शिकायत के बाद केस दर्ज किया गया है. व्यापारी ने इन लोगों पर जबरन वसूली का आरोप लगाया है.
तीनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस के मुताबिक, बुंदेलखंड क्षेत्र में अपने ट्रक द्वारा गिट्टी ढुलाई का काम करने वाले कारोबारी नीतीश पांडेय ने आरोप लगाया है कि सभी दस्तावेज होने के बावजूद महोबा के चरखारी और खरेला इलाके में उनके ड्राइवरों को पुलिस ने प्रताड़ित किया था.
पांडेय ने आरोप लगाया है कि अगर पुलिसकर्मियों को पैसों का भुगतान नहीं किया जाता था तो वे वाहन का चालान काटते थे और ट्रक मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते थे.
एफआईआर के मुताबिक, पांडेय ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित तिवारी को पाटीदार (महोबा के तत्कालीन एसपी) ने अपने आवास पर बुलाया था और हर महीने 2 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था. पांडेय के अनुसार, तत्कालीन एसएचओ राजू सिंह और राकेश कुमार सरोज ने उन्हें पाटीदार से मिलने की सलाह दी थी.
महोबा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि राजू सिंह और राकेश कुमार सरोज दोनों को निलंबित कर दिया गया है. कोतवाली पुलिस स्टेशन में तैनात कॉन्स्टेबल राज कुमार कश्यप को भी निलंबित कर दिया गया है.
महोबा के 44 वर्षीय एक अन्य व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी पर अज्ञात हमलावरों द्वारा हमला जाने के अगले दिन पाटीदार का निलंबित किया गया था. हमले से पहले व्यवसायी ने एक वीडियो में पाटीदार पर भ्रष्टाचार और धमकाने का आरोप लगाया था.
आठ सितंबर को महोबा के नजदीक हाइवे पर जब व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी अपनी ऑडी कर में थे तब उन्हें अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मार दी गई थी. गोली उनकी गर्दन में लगी थी.
हालांकि, पाटीदार को निलंबित करते हुए सरकार ने व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी द्वारा लगाए गए आरोपों का उल्लेख नहीं किया है. सिर्फ इतना ही कहा गया कि अधिकारी गिट्टी परिवहन में लगे वाहनों से जबरन पैसा वसूल रहे थे.
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित को निलंबित कर दिया गया था.
सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि एसएसपी अभिषेक दीक्षित की तैनाती की अवधि में शासन और मुख्यालय के निर्देशाें का अनुपालन सही ढंग नहीं लागू किया गया. उन पर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार को बढावा देने का भी आरोप है.
आदेश के अनुसार, ‘शासन एवं मुख्यालय के निर्देशों के अनुरूप पैदल गश्त एवं बैंकों, बाजार की सुरक्षा में लापरवाही बरती गई है. सही ढंग से चेकिंग एवं पयर्वेक्षण का काम नहीं किया गया. इलाहाबाद में पिछले तीन माह में लंबित विवचेनाओं में निरंतर बढ़ोतरी हुई है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)