मनरेगा: पांच महीने में 64 फ़ीसदी बजट ख़त्म, काम मांगने वाले 1.55 करोड़ लोगों को नहीं मिला काम

पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी नाम के एक समूह ने मनरेगा पर एक रिपोर्ट जारी कर तेज़ी से ख़त्म होती आवंटित राशि की ओर ध्यान दिलाते हुए सरकार से आवंटन तथा कार्य दिवस तत्काल बढ़ाने की मांग की है.

/
(फोटो: रॉयटर्स)

पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी नाम के एक समूह ने मनरेगा पर एक रिपोर्ट जारी कर तेज़ी से ख़त्म होती आवंटित राशि की ओर ध्यान दिलाते हुए सरकार से आवंटन तथा कार्य दिवस तत्काल बढ़ाने की मांग की है.

(फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते भयावह रोजगार संकट का सामना कर रहे लोगों को राहत देने के लिए मई महीने में केंद्र सरकार ने अपने ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के बजट में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की थी.

इस वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा का बजट बढ़कर करीब एक लाख करोड़ रुपये हो गया, जो कि इस योजना के लिए अब तक का सर्वाधिक आवंटन है.

हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा समय में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी के कारण इतनी राशि भी पर्याप्त प्रतीत नहीं है और मनरेगा के तहत जितने लोगों ने काम मांगा है, उसमें से करोड़ों को रोजगार नहीं मिला है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं, शैक्षणिक और जन संगठनों के सदस्यों के एक समूह ‘पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी’ (पीएईजी) द्वारा बीते गुरुवार को ‘नरेगा ट्रैकर’ नाम से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, नौ सितंबर 2020 तक मनरेगा के तहत 64,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.

यह कुल 101,500 करोड़ रुपये की आवंटित राशि का करीब 64 फीसदी है और इस वित्त वर्ष के अभी छह महीने भी पूरे नहीं हुए हैं. इतनी तेजी से खर्च हो रही राशि से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत कार्य काफी तेजी से मांगे जा रहे हैं और हालिया स्थिति को देखते हुए आगे भी और बढ़ने की ही उम्मीद है.

केंद्र सरकार ने बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को मिलाकर 63,176.43 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 63,511.95 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस तरह उलटे केंद्र सरकार पर करीब 481 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है.

इसके अलावा रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि करीब 1.55 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिन्हें मनरेगा के तहत काम मांगने पर काम नहीं मिला है. यह कुल काम मांगने वालों की संख्या का करीब 16 फीसदी है.

कुछ राज्यों में यह संख्या और भी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में करीब 27 फीसदी लोगों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला. वहीं मध्य प्रदेश में 22 और बिहार में 20 फीसदी लोगों को काम मांगने पर मरनेगा के तहत काम नहीं मिला है.

इससे पहले तीन अगस्त तक 1.52 करोड़ और 10 जुलाई तक 1.74 करोड़ लोगों को काम नहीं मिला था. ये आंकड़े ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम मांगने वाली तेजी से बढ़ती संख्या को दर्शाते हैं.

हालांकि इस रिपोर्ट को तैयार करने में योगदान देने वालीं पीएईजी की अनिंदिता ने कहा कि काम न पाने वालों की वास्तविक संख्या और बढ़ने की आशंका है.

उन्होंने कहा, ‘ये आंकड़े जमीनी हकीकत नहीं बयां करते हैं. इस रिपोर्ट को मनरेगा की एमआईएस (मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम) रिपोर्ट के सहयोग से बनाया गया है, जिसमें सिर्फ उन्हीं लोगों और परिवारों की संख्या दी गई होती है, जिन्होंने काम मांगा हो और उन्हें रसीद मिली हो.’

अनिंदिता ने आगे कहा, ‘एमआईएस में कुल रोजगार सृजन कार्य दिवस की संख्या तो होती है लेकिन इसमें ये आंकड़े नहीं होते हैं कि कितने दिनों से काम मांगा गया है. पूरी संभावना है कि काम मांगने के बाद भी काम न मिलने वालों की संख्या और ज्यादा होगी.’

रिपोर्ट के मुताबिक, आठ सितंबर 2020 तक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा काम मांगने वाले 35.01 लाख लोगों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है. इसी तरह मध्य प्रदेश में 19.38 लाख, पश्चिम बंगाल में 13.03 लाख, राजस्थान में 13.78 लाख, छत्तीसगढ़ में 11.74 लाख और बिहार में 9.98 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार नहीं मिला.

वहीं, अप्रैल 2020 से लेकर अब तक में मनरेगा के तहत 85 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जो कि पिछले सात सालों की तुलना में सर्वाधिक है.

इससे पहले वित्त वर्ष 2014-15 में कुल 2,834,600 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 5,446,399 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,732,317 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2017-18 में कुल 7,702,983 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 6,237,626 नए कार्ड औरवित्त वर्ष 2019-20 में कुल 6,470,402 नए कार्ड बने थे.

मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी ग्रामीण परिवार को एक जॉब कार्ड दिया जाता है, जिसमें घर के सभी सदस्यों के नाम और फोटो होते हैं, जो काम कर सकते हैं.

अप्रैल, 2020 से अब तक में कुल 5.8 करोड़ परिवारों को मनरेगा के तहत काम मिला है जो कि पिछले पांच सालों में औसतन 5.2 करोड़ परिवारों से काफी अधिक है.

इसमें से अप्रैल में 1.1 करोड़ परिवार, मई में 3.3 करोड़ परिवार, जून में 3.9 करोड़ परिवार, जुलाई में 2.8 करोड़ परिवार और अगस्त में 1.8 करोड़ परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला है.

‘मनरेगा ट्रैकर’ रिपोर्ट में इस योजना के एक और महत्वपूर्ण बिंदू की ओर ध्यान खींचा गया है कि जिन परिवारों ने 100 दिन का काम पूरा कर लिया है, उनका आगे का क्या होगा. वहीं दूसरी तरफ कई सारे ऐसे राज्य हैं, जो मजदूरों को 100 दिन का कार्य दिलाने में काफी पीछे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से अब तक में करीब 6.8 लाख परिवारों अपने 100 दिन के कार्य को पूरा कर लिया है. हालांकि मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त कुल परिवारों में से यह सिर्फ 1.2 फीसदी ही है.

इसके अलावा 51 लाख परिवारों ने 70 दिन का कार्य पूरा कर लिया है. सिर्फ कुछ ही राज्य अधिकतर परिवारों को 100 दिन कार्य दिलाने में सफल रहे हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश (2.6 लाख), छत्तीसगढ़ (84,000), पश्चिम बंगाल (82,000) और ओडिशा (52,000) शामिल हैं.

इस सूची में बिहार की स्थिति काफी खराब है, जो कि सिर्फ 2,000 लोगों को 100 दिन या इससे अधिक का काम दे पाया है. वहीं कर्नाटक सिर्फ 11,000 और उत्तर प्रदेश 29,000 परिवारों को पूरे 100 दिन मनरेगा के तहत रोजगार दे पाया है.

इसके अलावा रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि कोरोना महामारी के बीच मनरेगा योजना में महिलाओं की भागीदारी आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.

इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों के दौरान मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 51.21 फीसदी तक रह गई है. मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 2013-2014 में 52.82 फीसदी से बढ़कर 2016 में 56.16 फीसदी हो गई थी.

पीएईजी ने कहा, ‘हम आधुनिक भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. एक ओर कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या गहरी चिंता का विषय है, वहीं दूसरी ओर अनियोजित लॉकडाउन से आजीविका के लिए भारी संकट और उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा की स्थिति पैदा हो गई है. ऐसी स्थिति में अधिकांश प्रवासी अपने घरों को लौट आए हैं, जिनके लिए मनरेगा ही अब एक सहारा बचा है.’

ऐसे में लोगों को राहत देने के लिए पीएईजी ने मनरेगा के तहत बजट को और बढ़ाने तथा कार्य दिवस को और बढ़ाने की मांग की है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq