सामाजिक कार्य​कर्ता स्वामी अग्निवेश का निधन

स्वामी अग्निवेश लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से काफी बीमार थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. बीते मंगलवार से वह वेंटिलेटर पर थे.

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स्वामी अग्निवेश. (फोटो: पीटीआई)

स्वामी अग्निवेश लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से काफी बीमार थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. बीते मंगलवार से वह वेंटिलेटर पर थे.

स्वामी अग्निवेश. (फोटो: पीटीआई)
स्वामी अग्निवेश. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश का शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेस (आईएलबीएस) में निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे.

स्वामी अग्निवेश लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से काफी बीमार थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. बीते मंगलवार से वह वेंटिलेटर पर थे.

आईएलबीएस ने एक बयान में कहा है, ‘स्वामी अग्निवेश को शुक्रवार शाम छह बजे कार्डियक अरेस्ट हुआ. उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका. शाम 6:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.’

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने उनके निधन पर कहा, ‘स्वामी अग्निवेश का निधन एक बड़ी त्रासदी है. सहनशीलता और मानवता का एक सच्चा योद्धा. मेरे जानने वालों में वह सबसे साहसी और जनहित को लेकर बड़े जोखिम उठाने वाले व्यक्ति थे. दो साल पहले भाजपा/संघ कार्यकर्ताओं द्वारा झारखंड में बर्बरता का शिकार हुए. उनका लिवर खराब हो गया था.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वामी अग्निवेश ने एक संन्यासी के जीवन का निर्वाह करने के लिए अपने नाम, जाति, धर्म, परिवार, सामान और संपत्ति का त्याग कर दिया था.

स्वामी अग्निवेश को अपने संगठन बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जरिये बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने के लिए जाना जाता है. सार्वजनिक हित के कार्यों ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया.

साल 1970 में स्वामी अग्निवेश ने आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित इसी नाम से एक राजनीतिक दल का गठन किया था. साल 1977 में वह हरियाणा से विधायक चुने गए थे और इसके दो साल बाद शिक्षा मंत्री बनाए गए थे.

हालांकि बंधुआ मजदूरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों पर पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने की वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

2010 में उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने माओवादी नेतृत्व के साथ संवाद स्थापित करने का काम सौंपा था. इसके एक साल बाद वह अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का भी हिस्सा थे.

रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान एक कथित वीडियो सामने आने के बाद उन्हें आंदोलन से अलग होने के लिए मजबूर किया गया था, इस वीडियो में वह कांग्रेस सरकार के एक मंत्री से बात करते नजर आ रहे थे. इसके अलावा स्वामी अग्निवेश रियलिटी टीवी शो बिग बॉस में बतौर अतिथि भी शामिल हुए थे.