शांतिनिकेतन के कई हिस्सों को चारदीवारी बनाकर घेरा जा रहा है. इसके ख़िलाफ़ गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के वंशजों समेत 40 हस्तियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. उन्हें डर है कि शांतिनिकेतन में विश्व भारती को श्रीनिकेतन गांव से जोड़ने वाले पुराने विरासत मार्ग को बंद कर दिया जाएगा.
कोलकाता: गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के वंशजों समेत कई जाने-माने लोगों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विश्व भारती विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वह एक सदी पुराने विरासत मार्ग को अपने अधिकार में ले लें, क्योंकि उन्हें ऐसा भय है कि इस मार्ग को बंद किया जा सकता है.
चित्रकार नंदलाल बोस के परिवार के एक सदस्य समेत 40 हस्तियों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि शांतिनिकेतन के कई हिस्सों में ऊंची-ऊंची चारदीवारी तथा ‘जेल जैसा माहौल’ बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए ऐसी आशंका है कि टैगोर के सपनों के गांव श्रीनिकेतन को विश्व भारती से जोड़ने वाली तीन किलोमीटर लंबी सड़क भी जनता के लिए बंद कर दी जाएगी और उसके स्थान पर एक नई सड़क बना दी जाएगी.
पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में रबींद्रनाथ टैगोर की वंशज सुप्रियो टैगोर और सुभ्रा टैगोर, पठभवन और मृणालिनी पठभवन के पूर्व प्राचार्य, नंदलाल बोस के पोते सुप्रबुद्ध सेन शामिल आदि हैं.
बांग्ला भाषा में लिखे इस पत्र में कहा गया है, ‘इस पुराने मार्ग से लगते हिस्से पर आठ से नौ फुट ऊंची इस दीवार का निर्माण पूरा होने को है, जहां पर अमर्त्य सेन, क्षितिमोहन सेन और नंदलाल बोस जैसी हस्तियों के आवास भी हैं.’
इसमें कहा गया है कि शांतिनिकेतन तथा श्रीनिकेतन के बीच आवाजाही के लिए यदि वैकल्पिक मार्ग बना दिया जाएगा तो पुराने मार्ग को विश्वभारती विश्वविद्यालय के अधिकारी बंद कर देंगे, क्योंकि विश्वविद्यालय के अधिकारी ऐसी परियोजनाओं को एकतरफा ढंग से चला रहे हैं और इस पर जताई गईं आपत्तियों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
पत्र में ये भी कहा गया है कि एक बार यह दीवार पूरी हो जाती है तो यह सड़क श्रीपल्ली, सिमांत पल्ली, पियर्सन पल्ली, एंड्र्यूज पल्ली, डियर पार्क, बिनॉय भवन और श्रीनिकेतन के निवासियों की की पहुंच से दूर हो जाएगी और शांतिनिकेतन के इतिहास और विरासत का एक हिस्सा खो जाएगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शांतिनिकेतवासी, पूर्व छात्रों और शिक्षकों सहित परिसर तथा पड़ोस के निवासियों ने कहा कि उन्होंने ऊंची दीवारों के निर्माण के खिलाफ फरवरी में विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती को लिखा था, लेकिन उनकी तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि विश्वभारती बनने के पहले से जो लोग इस क्षेत्र में रह रहे थे, उनकी भावनाओं उचित प्राथमिकता दी जाएगी.’
इस बारे में विश्व भारती के अधिकारियों की ओर से कोई टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई है.
1921 में टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती पौष मेला मैदान के चारों ओर बीते 17 अगस्त को बाड़ लगाने के लिए हिंसा भड़क उठी थी और भीड़ द्वारा विश्वविद्यालय की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था.
मैदान के चारों ओर बाड़ बनाने को स्थानीय लोगों ने विरोध किया था. कुछ उपद्रवियों ने यहां के कई ऐतिहासिक ढांचों के साथ भी तोड़फोड़ की थी.
WATCH: Angry locals & traders body vandalise construction material at #PoushMela ground in #Bolpur after #VishwaBharti decided to erect a wall after it decided to scrap the century old fair starting this year. pic.twitter.com/a4V9ZYlpth
— Sreyashi Dey (@SreyashiDey) August 17, 2020
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा था कि इस खाली जमीन को कुछ स्थानीय लोग जबरन कब्जा कर रहे हैं और इस खुली जगह से बाहरी लोग कैंपस में घुस आते हैं, इसलिए उन्हें रोकने के लिए बाड़ का निर्माण किया जा रहा था.
इस घटना को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)