कोविड-19 से लड़ाई में जनता से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए बना पीएम केयर्स फंड पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत है. यह किसी केंद्रीय या राज्य एक्ट के माध्यम से स्थापित नहीं किया गया है, जिससे इसे एफसीआरए के प्रावधानों से छूट मिल सके.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी चंदा या अनुदानों को रेगुलेट करने के लिए बनाए गए कानून, विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के सभी प्रावधानों से विवादित पीएम केयर्स फंड को छूट प्रदान की है.
जबकि इस तरह की छूट प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा स्थापित संस्था के एकाउंट की कैग से ऑडिट कराने की शर्तों को ये फंड पूरा नहीं करता है.
इसे लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत उन दस्तावेजों की प्रति मांगी गई थी, जिसके आधार पर पीएम केयर्स फंड को ये छूट प्रदान की गई है.
हालांकि, द हिंदू के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जानकारी देने से मना कर दिया और कहा कि इस संबंध में कोई सूचना देने से पहले उन्हें पीएम केयर्स की मंजूरी लेनी होगी. मंत्रालय ने दावा किया कि मांगी गई जानकारी ‘थर्ड पार्टी’ से जुड़ी हुई है.
ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा (रिटायर्ड) द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में मंत्रालय ने सूचना देने से इनकार करने के लिए धारा 8(1)(ई) का सहारा लिया, जिसके तहत वैश्वासिक नातेदारी (फिड्यूशरी रिलेशनशिप) यानी किसी के विश्वास में प्राप्त हुई सूचना के खुलासे से छूट मिली हुई है.
लेकिन इस प्रावधान के तहत भी एक शर्त ये है कि यदि सक्षम प्राधिकारी को लगता है कि मांगी गई जानकारी सार्वजनिक हित में है, तो उसे ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक करना होता है.
पीएम केयर्स की वेबसाइट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि उसे ‘विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 या एफसीआरए के सभी प्रावधानों के संचालन से छूट मिली है. विदेशी चंदा विदेशी क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से और वायर ट्रांसफर/एसडब्ल्यूआईएफटी के माध्यम से विदेशी देशों में स्थित व्यक्तियों और संगठनों से स्वीकार किया जाता है.’
किसी भारतीय संस्था द्वारा विदेशी धन प्राप्त किए जाने पर एफसीआरए कानून का कड़ाई से पालन किया जाता है.
यह विदेशी योगदान की स्वीकृति और उपयोग को विनियमित करने के लिए है और इस कानून का उद्देश्य किसी भी ऐसी गतिविधियों पर नजर रखना है, जिन्हें राष्ट्रीय हित के खिलाफ माना जा सकता है.
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उन्हें ये शक्तियां मिली हुई हैं कि वे जनहित में ‘किसी व्यक्ति या संस्था या संगठन, जो किसी राजनीतिक दल से जुड़ा न हो या कोई चुनावी प्रतिनिधि न हो, को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के प्रावधानों से छूट प्रदान कर सकते हैं.’
मंत्रालय ने कहा कि इन्हीं शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जून 2011 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) को एफसीआरए के प्रावधानों से मुक्त किया गया था.
इसी तरह 28 मार्च 2020 को पीएम केयर्स फंड को भी ये छूट दी गई. गृह मंत्रालय के मुताबिक ‘ओवरसीज इंडिया डेवलपमेंट फाउंडेशन’ और ‘भारत के वीर’ जैसे छह अन्य संगठनों को एफसीआरए के प्रावधानों से छूट मिली हुई है.
मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में आगे कहा, ‘एक जुलाई 2011 को नोटिफिकेशन जारी कर केंद्र ने ऐसी सभी संस्थाओं को एफसीआरए के प्रावधानों से छूट दे दी है, जिनका गठन केंद्रीय एक्ट या राज्य एक्ट के तहत हुआ है और इनकी ऑडिटिंग कैग करता है.’
उन्होंने कहा कि आगे चलकर इस छूट की परिभाषा को और बढ़ा दिया गया तथा 30 जनवरी 2020 को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि ऐसी सभी संस्थाएं जो केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा ‘संचालित और स्वामित्व’ की हैं और उनकी कैग से ऑडिटिंग होती है, ऐसी संस्थाओं को एफसीआरए के प्रावधानों से छूट प्राप्त होगी.
खास बात ये है कि पीएम केयर्स फंड एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत है. यह किसी केंद्रीय या राज्य एक्ट के माध्यम से स्थापित नहीं किया गया है, जिसे एफसीआरए के प्रावधानों से छूट दी जाए.
इस साल मार्च महीने के कुछ आखिरी दिनों में पीएम केयर्स फंड को 39.60 लाख रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त हुआ था. हालांकि फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि इसमें से कितने विदेशी दानकर्ता हैं और कितने घरेलू दानकर्ता.
मालूम हो कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जनता से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए 27 मार्च 2020 को पीएम केयर्स का गठन किया गया था, लेकिन तभी से यह फंड अपने कामकाज में अत्यधिक गोपनीयनता बरतने को लेकर आलोचनाओं को घेरे में है.