एनजीटी में दाख़िल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि सस्ते अपशिष्ट कागज और सड़क की सफाई से निकलने वाले अपशिष्ट को ईंट-भट्ठों में जलाने के लिए अमेरिका, यूरोप तथा अन्य देशों से आयात किया जाता है, जिससे भूमि एवं वायु प्रदूषण होता है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ईंट-भट्ठों में आयातित सस्ते अपशिष्ट कागज और सड़क की सफाई से निकलने वाला अपशिष्ट जलाने से वायु प्रदूषण होने का आरोप लगाने वाली याचिका पर रिपोर्ट नहीं दाखिल को लेकर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय को फटकार लगाई है.
अधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्रालय को 14 अक्टूबर से पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
अधिकरण ने कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित तंत्र का अभाव है, जिसमें आयातित सस्ते अपशिष्ट कागज और सड़क की सफाई से निकलने वाला अपशिष्ट भी शामिल है.
पीठ ने कहा, ‘पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है और न ही कोई उपस्थित हुआ है. जैसा कि कई अहम मामलों में पहले भी होते देखा गया है. मंत्रालय के संयुक्त सचिव मामले की अगली सुनवाई के दौरान मौजूद रह सकते हैं.’
अधिकरण ने इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि देश में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक थैले का निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग नहीं किया जाए.
बीते 12 सितंबर को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अत्यधिक प्लास्टिक पैकेजिंग का इस्तेमाल करने पर अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों से जुर्माना वसूलने का आदेश दिया था.
अधिकरण अमित जैन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सस्ते अपशिष्ट कागज और सड़क की सफाई से निकलने वाले अपशिष्ट का अमेरिका, यूरोप तथा अन्य स्थानों से ईंट-भट्ठों में जलाने के लिए आयात किया जाता है, इससे भूमि एवं वायु प्रदूषण होता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक याचिका में कहा गया है कि पेपर मिलों के पास प्लास्टिक अपशिष्ट के बड़े बाड़े देखे जा सकते हैं. सस्ते अपशिष्ट कागज का आयात खतरनाक है और पर्यवारण को प्रभावित कर रहा है. आयात 900,000 टन कचरे की सीमा तक है जो खतरनाक प्लास्टिक उत्पन्न करता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)