आठ सितंबर को महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार के ख़िलाफ़ रिश्वत मांगने का आरोप लगाने के कुछ ही घंटे बाद कारोबारी को गोली मार दी गई थी. इसके बाद एसपी को निलंबित कर उनके ख़िलाफ़ हत्या के प्रसास का केस दर्ज किया गया था. अब मृत व्यवसायी के बड़े भाई ने कहा है कि एफआईआर में अब तक हत्या की धारा नहीं जोड़ी गई है.
लखनऊः उत्तर प्रदेश के महोबा में लगभग हफ्तेभर पहले अज्ञात हमलावरों के हमले में घायल कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने रविवार को कानपुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया.
44 वर्षीय व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी ने खुद पर जानलेवा हमले से पहले एक वीडियो जारी कर महोबा के तत्कालीन एसपी मणि लाल पाटीदार पर भ्रष्टाचार और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया था.
इसके बाद से पाटीदार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निलंबित करते हुए उनके खिलाफ हत्या के प्रयास के तहत केस दर्ज किया गया था. हालांकि मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. हालांकि अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.
इस बीच महोबा जिले के कबरई कस्बे में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सोमवार दोपहर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी का अंतिम संस्कार कर दिया गया. हालांकि पुलिस द्वारा व्यवसायी के एक सहयोगी को हिरासत में ले लेने से स्थिति तनाव पूर्ण हो गई थी.
बता दें कि आठ सितंबर को पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ छह लाख रुपये की रिश्वत मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के कुछ ही घंटे बाद संदिग्ध परिस्थितियों में महोबा के नजदीक हाइवे पर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी को अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मार दी गई थी. गोली उनकी गर्दन में लगी थी.
उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें कानपुर के एक अस्पताल रेफर कर दिया गया था.
मृतक इंद्रकांत आमतौर पर खनन विस्फोटकों की सप्लाई करते थे.
व्यवसायी के बड़े भाई रविकांत त्रिपाठी ने आरोप लगाया, ‘अंतिम संस्कार से लौटते समय पुलिस ने उनके व्यवसायिक सहयोगी (पार्टनर) पुरुषोत्तम सोनी को रास्ते से जबरन उठाकर अपनी जीप में डाल कर ले गए और थाने में बंद कर दिया है.’
रविकांत ने बताया, ‘अपर पुलिस अधीक्षक ने उनके व्यवसायी सहयोगी पुरुषोत्तम सोनी को उठाया था, लेकिन जिलाधिकारी के पहुंचते ही वे (एएसपी) थाने से चले गए और जिलाधिकारी से वार्ता होने के बाद थाने का घेराव बंद कर दिया गया है.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘पुलिस के अधिकारी निलंबित पुलिस अधीक्षक का बचाव कर रहे हैं और हमारा उत्पीड़न कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट थानाध्यक्ष यानी शव के साथ ही कानपुर से लेकर आए हैं, लेकिन अभी तक मामले में हत्या (302) की धारा नहीं जोड़ी गई है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के तीन दिन बाद रविकांत ने पाटीदार और तीन अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी उनके भाई (इंद्रकांत) को पैसों के लिए प्रताड़ित कर रहे थे.
व्यवसायी इंद्रकांत को गोली लगने के मामले में रविकांत त्रिपाठी की तहरीर पर 11 सितंबर की शाम कबरई थाने में निलंबित पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार, कबरई थाने के निलंबित थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला और पत्थर खनन के विस्फोटक सामाग्री व्यवसायी ब्रह्मदत्त एवं सुरेश सोनी के खिलाफ जबरन वसूली (386), हत्या का प्रयास (307), साजिश रचना (120बी) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7/8 का मुकदमा दर्ज हुआ था.
रविकांत ने आरोप लगाया था कि पाटीदार ने उनके भाई से छह लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी और नहीं देने पर उसे झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजने की धमकी दी थी.
शिकायतकर्ता का कहना है कि उनके भाई पर हमला सोशल मीडिया पर उनके (इंद्रकांत) उस ऐलान के कुछ घंटों बाद हुआ है, जिसमें उसने कहा था कि वह अगले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस सभी जानकारियों का खुलासा करेगा.
रविकांत को संदेह है कि भंडाफोड़ होने के डर से आरोपियों ने उनके भाई पर हमले की योजना बनाई.
बता दें कि कबरई पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में आईपीसी की धारा 307, 120बी 387 और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इंद्रकांत त्रिपाठी हत्याकांड में दिखावटी निलंबन की लीपापोती नहीं कर गिरफ्तारी करें.
महोबा के ‘इंद्रकांत त्रिपाठी सरकारी हत्याकांड’ में दिखावटी सस्पेंशन की लीपापोती न करके सरकार गिरफ़्तारी करे. आरोपित पुलिस कप्तान व डीएम के ख़िलाफ़ इतनी ढिलाई क्यों? पुलिस किस अधिकार से जन प्रतिनिधियों को जनता से मिलने व उनके मुद्दे उठाने से रोक रही है?
क्या कोई हिस्सेदारी है? pic.twitter.com/q9HBydhbNZ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 14, 2020
यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘महोबा के ‘इंद्रकांत त्रिपाठी सरकारी हत्याकांड’ में दिखावटी निलंबन की लीपापोती न करके सरकार गिरफ़्तारी करे. आरोपी पुलिस कप्तान व जिलाधिकारी के खिलाफ इतनी ढिलाई क्यों? पुलिस किस अधिकार से जन प्रतिनिधियों को जनता से मिलने व उनके मुद्दे उठाने से रोक रही है? क्या कोई हिस्सेदारी है?’
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में बीते नौ सितंबर को महोबा के पुलिस अधीक्षक मणि लाल पाटीदार को निलंबित करने के एक दिन बाद दो अन्य पुलिस अधिकारियों समेत उनके खिलाफ जबरन वसूली का केस दर्ज किया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोबा के निलंबित पुलिस अधीक्षक (एसपी) और इलाहाबाद के निलंबित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की संपत्तियों की जांच सतर्कता विभाग (विजलेंस) से कराए जाने के निर्देश भी दिए थे.
हालांकि, पाटीदार को निलंबित करते हुए सरकार ने कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी द्वारा लगाए गए आरोपों का उल्लेख नहीं किया था. सिर्फ इतना कहा था कि अधिकारी गिट्टी परिवहन में लगे वाहनों से जबरन पैसा वसूल रहे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)