संसद में शुक्रवार को पेश कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 की तुलना में आॅर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड के कामकाज में कोई सुधार नहीं हुआ.
सिक्किम में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने सेना से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है.
शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना के पास गोला-बारूद की भारी कमी है. रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर भारतीय सेना को 10 दिनों तक लगातार युद्ध करना पड़े तो उसके पास पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद उपलब्ध नहीं है.
इस रिपोर्ट में कैग ने आॅर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के प्रदर्शन में कमी होने की बात कही है. कैग ने कहा है कि 2013 की तुलना में ओएफबी के कारखानों के कामकाज में कोई सुधार नहीं हुआ है.
रिपोर्ट में तोपखाने और टैंकों के लिए गोला-बारूद की गंभीर रूप से किल्लत होने की बात कहीं गई है. साथ ही आरोप लगाया गया है कि 2013 में निर्धारित रोडमैप के हिसाब से ओएफबी प्रदर्शन करने में पूरी तरह से असफल रही है.
CAG Report flaps critical shortage of army's ammunition
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— ANI Digital (@ani_digital) July 21, 2017
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में पूर्व तोपखाना अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत वीके चतुर्वेदी ने बताया कि गोला-बारूद की कमी होने की बात कही गई है. खासकर इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़ की कमी के बारे में बताया गया, जिनका इस्तेमाल मिसाइल और दूसरे विस्फोटकों में किया जाता है.
कैग ने इस साल जनवरी में सेना के गोला-बारूद प्रबंधन का विश्लेषण किया है. रिपोर्ट में बताया गया कि किसी ऑपरेशन की अवधि की जरूरतों के हिसाब से वॉर वेस्टेज रिज़र्व रखा जाता है. रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 40 दिन की अवधि की मंजूरी दी थी. 1999 में सेना ने तय किया था कि किसी भी हाल में कम से कम 20 दिन का गोला-बारूद रिज़र्व होना ही चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में पाया गया कि गोला-बारूद की उपलब्धता में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ. 55 प्रतिशत प्रकार के गोला-बारूद की उपलब्धता एमएआरएल से कम थी, यानी न्यूनतम अपरिहार्य आवश्यकता परिचालन की ज़रूरत के हिसाब से नहीं थी. इसके अलावा 40 प्रतिशत प्रकार के गोला-बारूद की गंभीर रूप से कमी पाई गई जिनका तकरीबन 10 दिन का स्टॉक है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)