दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों के संबंध में 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाख़िल की. इसमें 747 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है और उनमें से 51 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों की बड़ी साजिश को लेकर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक अदालत में 15 लोगों के खिलाफ बुधवार को चार्जशीट दाखिल की.
सूत्रों के मुताबिक चार्जशीट में नामजद लोगों में ताहिर हुसैन, मोहम्मद परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास, सैफी खालिद, इशरत जहां, मीरान हैदर, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, शाहदाब अहमद, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं.
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत से कहा कि इसमें सीडीआर (कॉल डेटा-रिकार्ड) और वॉट्सऐप को आधार बनाया गया है.
चार्जशीट 10,000 पन्नों का है. इसमें पुलिस ने 747 गवाहों को सूचीबद्ध किया है और उनमें से 51 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत (मजिस्ट्रेट के समक्ष) दर्ज किए गए हैं. अंतिम रिपोर्ट यूएपीए, आईपीसी और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दाखिल किए गए हैं.
पुलिस ने कहा कि उसने चार्जशीट में साजिश का घटनाक्रम और संबद्ध घटनाओं का ब्योरा दिया है, जिन पर आने वाले दिनों में विचार होने की संभावना है.
पुलिस ने कहा, ‘साक्ष्य में 24 फरवरी के वॉट्सऐप चैट शामिल हैं, जब दंगे हुए थे. उस वक्त मुख्य षड्यंत्रकारी, दंगाइयों को इलाके में हिंसा के बारे में निर्देशित कर रहे थे. मुख्य षड्यंत्रकारी अपने लोगों के साथ सीधे संपर्क में था. ’
पुलिस ने कहा, ‘सीलमपुर-जाफराबाद इलाके में हिंसा के लिए षड्यंत्रकारियों ने वॉट्सऐप ग्रुप का इस्तेमाल किया. 25 शहरों में 25 प्रदर्शन स्थल थे. 25 वॉट्सऐप ग्रुप प्रत्येक शहर के लिए विशेष रूप से बनाए गए थे. प्रदर्शित यह किया गया कि ये स्थान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के लिए हैं, लेकिन इन स्थानों के जरिये षड्यंत्रकारियों ने दिशा-निर्देशित किया.’
विशेष शाखा ने कहा कि ताहिर हुसैन, खालिद सैफी और उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दिल्ली यात्रा के दौरान राजधानी में व्यापक हिंसा की कथित तौर पर साजिश रची थी.
चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया है कि आठ जनवरी को ताहिर शाहीन बाग धरना स्थल पर उमर और सैफी से मिले थे. जामिया में पीएफआई कार्यालय में भी इसके बाद बैठक हुई थी.
पुलिस ने कहा, ‘उमर ने कथित तौर पर आश्वस्त किया था कि उनके संपर्कों (पीएफआई में) के जरिये साजो-सामान आदि उपलब्ध हो जाएगा.’
इसमें कहा गया है कि जांच है और पुलिस इस विषय में एक पूरक चार्जशीट दाखिल करेगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली पुलिस गैजेट ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक वेबीनार में बोलते हुए पुलिस उपायुक्त (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाहा ने कहा था कि उन्हें अभी तक सीएए-एनआरसी समर्थकों की संलिप्तता के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इस कार्यक्रम में पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव मौजूद थे.
कुशवाहा ने कहा, ‘जब हमने दिल्ली के दंगों की जांच शुरू की तो हमने पहली बार सभी साइटों (स्थल) को देखा और एक सामान्य पैटर्न पाया कि सभी साइटों पर एक साथ ट्रैफिक जाम शुरू हो गया था. यह पहला संकेतक था कि एक साजिश थी जिसके कारण यह सब शुरू हुआ.’
भाजपा नेता कपिल मिश्रा की भूमिका और दंगे से एक दिन पहले दिए गए कथित भड़काऊ भाषण पर उन्होंने कहा था कि एक कहानी बनाई जा रही है कि इसमें समर्थक सीएए/एनआरसी लोग शामिल थे, लेकिन यह अभी तक जांच में नहीं आया है.
इसी हफ्ते दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के दिल्ली दंगे में कथित बड़ी साजिश के पीछे होने के आरोपों की जांच के लिए यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था.
खालिद उन युवा कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिनके खिलाफ फरवरी में दिल्ली में हुई हिंसा से संबंधित मामलों में दर्ज किया गया है. पुलिस का आरोप है कि खालिद और अन्य द्वारा दंगे ‘पूर्व नियोजित’ थे.
गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान कम से कम 53 लोग मारे गए थे और 200 अन्य घायल हुए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)