सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट: नए संसद भवन के निर्माण का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के नज़दीक ही किया जाएगा. इसके 21 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है. इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरणविदों द्वारा लगातार चिंता व्यक्त की गई है.

New Delhi: The statue of Mahatma Gandhi in the backdrop of the Parliament House during the Monsoon Session, in New Delhi on Friday, July 20, 2018. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI7_20_2018_000250B)
संसद भवन. (फोटो: पीटीआई)

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के नज़दीक ही किया जाएगा. इसके 21 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है. इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरणविदों द्वारा लगातार चिंता व्यक्त की गई है.

New Delhi: The statue of Mahatma Gandhi in the backdrop of the Parliament House during the Monsoon Session, in New Delhi on Friday, July 20, 2018. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI7_20_2018_000250B)
संसद भवन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड 861.90 करोड़ रुपये की लागत से संसद भवन की नई इमारत का निर्माण करेगी. अधिकारियों ने बताया कि टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने निविदा हासिल की है.

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नई इमारत संसद की मौजूदा इमारत के नजदीक बनाई जाएगी और इसके 21 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है.

निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर हालांकि फैसला अभी तक नहीं लिया गया है.

एक अधिकारी ने कहा, ‘टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने 861.9 करोड़ रुपये की लागत से संसद की नई इमारत बनाने का ठेका हासिल किया है.’ उन्होंने कहा कि इसमें रखरखाव का काम भी शामिल है.

उन्होंने कहा कि एल एंड टी लिमिटेड ने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी लेकिन टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की बोली सबसे कम थी.

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत संसद भवन की त्रिकोणीय इमारत, एक साझा केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के पुनर्विकास की परिकल्पना की गई है.

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के मुताबिक नई इमारत संसद भवन संपदा की प्लॉट संख्या 118 पर बनेगी.

नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इमारत सीमेंट और कंक्रीट ढांचे वाली संरचना होगी.

सीपीडब्ल्यूडी ने कहा कि परियोजना के अमल में आने के पूरी अवधि के दौरान मौजूदा संसद भवन में कामकाज जारी रहेगा. एक बार नई इमारत के बन जाने के बाद मौजूदा संसद भवन परिसर का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.

सीपीडब्ल्यूडी ने कहा, ‘नए भवन के स्तंभ मौजूदा इमारत जैसे ही होंगे जो जमीन से करीब 1.8 मीटर ऊपर हैं. प्रस्तावित इमारत का कुल क्षेत्रफल करीब 65 हजार वर्ग मीटर का होगा जिसमें करीब 16921 वर्ग मीटर का भूमिगत क्षेत्र भी होगा. इमारत में भूमिगत तल के साथ ही भूतल के अलावा दो और मंजिल होंगी.’

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत प्रधानमंत्री का आवास और कार्यालय साउथ ब्लॉक के पास स्थानांतरित होने की उम्मीद है जबकि उप-राष्ट्रपति का नया घर नॉर्थ ब्लॉक के नजदीक होगा.


यह भी पढ़ें: क्या देश को वाकई एक नए संसद भवन की ज़रूरत है


बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 22 अप्रैल को मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की थी.

हालांकि इस योजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है. देश के 60 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी.

उन्होंने कहा था कि ऐसे वक्त में जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह कदम ‘गैर-जिम्मेदारी’ भरा है.

पूर्व नौकरशाहों ने कहा था कि संसद में इस पर कोई बहस अथवा चर्चा नहीं हुई. पत्र में कहा गया है कि कंपनी का चयन और इसकी प्रक्रियाओं ने बहुत सारे प्रश्न खड़े किए हैं जिनका उत्तर नहीं मिला है.

लेकिन सरकार की दलील है कि वे सभी तय प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं और इस योजना को बनाते वक्त कई लोगों से राय-सलाह की गई है.

इससे पहले एक याचिका में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित लैंड यूज को चुनौती दी गई थी, इसमें आरोप लगाया था कि इस काम के लिए लुटियंस जोन की 86 एकड़ भूमि इस्तेमाल होने वाली है और इसके चलते लोगों के खुले में घूमने का क्षेत्र और हरियाली खत्म हो जाएगी.

याचिका में ये दलील दी गई थी कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 19 दिसंबर 2019 को जारी किए गए पब्लिक नोटिस को अमान्य करार देने के लिए सरकार द्वारा 20 मार्च 2020 को जारी किया गया नोटिफिकेशन कानून और न्यायिक प्रोटोकॉल के नियम का दमन है क्योंकि 2019 वाले नोटिस को चुनौती दी गई है और खुद सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है.

हालांकि मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)