केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं. कौर ने कहा कि किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है और उन्हें किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं. अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है और एनडीए गठबंधन में शामिल है.
हालांकि कृषि अध्यादेशों के मसले पर वह भाजपा के विरोध में है. इसे लेकर गुरुवार देर शाम ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी.
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
उन्होंने लिखा, ‘मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है.’
इन अध्यादेशों को लेकर पंजाब और हरियाणा में व्यापक स्तर पर किसान संगठनों और किसानों द्वारा लगातार विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं.
किसानों का कहना है कि इन अध्यादेशों के आने से उन्हें अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा.
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इससे पहले गुरुवार दिन में शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद में लाए गए कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्र सरकार से इस्तीफा देंगी.
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, ‘शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है.’
विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
अकाली दल नेता ने लोकसभा में कहा, ‘मैं एक घोषणा करना चाहता हूं कि हमारी मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी.’
उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी ने प्रारंभ में इन अध्यादेशों का समर्थन किया था.
I appreciate the sentiment and emotions of madam Harsimrat Kaur who has displayed her guts by opposing this draconian legislation. The three ordinances are nothing but toxic triangle: Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury, in Lok Sabha. #AgricultureBill pic.twitter.com/OM04RCdNUW
— ANI (@ANI) September 17, 2020
सुखबीर बादल ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल की बैठक में चिंता प्रकट की थी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर प्रस्तावित कानून की खामियों को रेखांकित किया था.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस पार्टी का इस मुद्दे पर दोहरा मानदंड है और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख था.
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि इन विधेयकों का पंजाब के 20 लाख किसानों और कृषि क्षेत्र के 15-20 लाख मजदूरों पर प्रभाव पड़ेगा.
निचले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया.’
बादल ने कहा, ‘हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथी हैं. हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी. हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया. हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.’
उन्होंने कहा कि पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा.
चर्चा के दौरान कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू ने शिरोमणि अकाली दल पर चुटकी लेते हुए यह सबूत देने की मांग की कि हरसिमरत कौर बादल ने इन विधेयकों का विरोध किया था.
उन्होंने कहा कि अगर वह विधेयक के विरोध में इस्तीफा नहीं देती हैं तो बादल परिवार के लिए पंजाब में वापसी कठिन हो जाएगी.
कृषि संबंधी अध्यादेशों को लेकर लगातार किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं. बीते 10 सितंबर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पिपली में भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया था.
किसान संगठनों ने तब दावा किया था कि इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आई थीं.
इससे पहले बीते 20 जुलाई को राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के किसानों ने तीन कृषि अध्यादेशों के विरोध में ट्रैक्टर-ट्रॉली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया था.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर, मोदी सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
केंद्र की मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया है, जिसके जरिये खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया.
सरकार ने एक नया कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है.
केंद्र ने एक और नया कानून- मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पारित किया है, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है ताकि बड़े बिजनेस और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)