आरोप है कि दो दशक पहले उदयपुर में लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को 7.52 करोड़ रुपये में एक निजी कंपनी को बेचा गया था. सीबीआई जांच में पता चला कि इसकी कीमत 252 करोड़ रुपये थी, यानी बिक्री से 244 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सीबीआई अदालत ने होटल की बिक्री से जुड़े तीन अन्य लोगों के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
नई दिल्ली: राजस्थान में जोधपुर की एक विशेष अदालत ने सीबीआई को आईटीडीसी (भारत पर्यटन विकास निगम) के उदयपुर स्थित एक होटल की साल 2002 में बिक्री संबंधी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
आरोप है कि इस बिक्री से राजकोष को 224 करोड़ रुपये का कथित घाटा हुआ. सीबीआई की अदालत ने दो दशक पहले उदयपुर में लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की बिक्री करने से जुड़े तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी मामले दर्ज करने का आदेश दिया है.
इस बिक्री के समय केंद्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी.
भारत पर्यटन विकास निगम के मालिकाना हक वाला होटल जब निजी कंपनी भारत होटल्स लिमिटेड को बेचा गया था, उस समय शौरी विनिवेश के प्रभारी मंत्री थे.
विशेष न्यायाधीश पूर्ण कुमार शर्मा ने कहा कि पत्रकार के रूप में शौरी ने बहसों एवं साक्षात्कारों के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी. कोर्ट ने कहा कि ‘यह भष्टाचार के मामले पर उनके दोहरे मापदंड को दर्शाता है.’
अदालत ने बीते बुधवार को दिए आदेश में सीबीआई द्वारा मामला बंद करने के लिए अगस्त 2019 में जमा कराई गई क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और एजेंसी को मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने उदयपुर के जिला मजिस्ट्रेट को लक्ष्मी विलास पैलेस तत्काल कुर्क करने का भी आदेश दिया. अदालत ने आदेश दिया कि मामले का निपटारा होने तक होटल राजस्थान सरकार के संरक्षण में रहेगा.
अदालत ने शौरी और बैजल के अलावा वित्तीय सलाहकार लजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष गुहा, कांतिलाल कारामसे एंड कंपनी के कांतिलाल कारामसे विकामसे और भारत होटल्स लिमिटेड की निदेशक ज्योत्सना सूरी के खिलाफ भी मामले दर्ज करने का आदेश दिया.
अदालत ने कहा कि इन पांचों को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा. होटल को 7.52 करोड़ रुपये में निजी कंपनी को बेचा गया था. सीबीआई जांच में पता चला कि इसकी कीमत 252 करोड़ रुपये थी, यानी इस बिक्री से 244 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
सीबीआई ने 13 सितंबर 2014 को इस संबंध में मामला दर्ज किया था. अदालत ने इस बात को लेकर सीबीआई की आलोचना की कि उसने प्रारंभिक जांच में संपत्ति को गलत तरीके से बेचे जाने की बात सामने आने के बावजूद क्लोजर रिपोर्ट जमा की.
अरुण शौरी ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
करीब 18 साल बाद केस दर्ज करने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘विनिवेश की प्रक्रिया को पहले राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी कम मूल्यांकन का कोई सबूत नहीं है. सीबीआई ने भी मामले को यह कहते हुए बंद कर दिया था कि किसी भी गलत काम का कोई सबूत नहीं है. मूल प्राथमिकी में मेरा नाम नहीं था और हमें नहीं पता कि इसे अब कैसे जोड़ा गया है.’
शुरुआती एफआईआर में सीबीआई ने शौरी का नाम शामिल नहीं किया था. इसमें सिर्फ बैजल, नई दिल्ली स्थिति फाइनेंशियल एडवाइजारी फर्म लजार्ड इंडिया लिमिटेड के गुहा, नई दिल्ली स्थित भारत होटल्स के साथ-साथ अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था.
बाद में सीबीआई ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा कि उन्हें विनिवेश के संबंध में कोई ऐसे साक्ष्य नहीं मिले हैं कि इस संबंध में जांच शुरू की जाए. हालांकि जांच एजेंसी ने माना कि कांति कारामसे एंड कंपनी उचित मूल्यांकन करने में विफल रही और इस मामले को वित्त मंत्रालय को भेज दिया.
इसके बाद सीबीआई ने कोई आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया था और इसके बजाय एक क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे अब अदालत ने स्वीकार करने से मना कर दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)