उत्तर प्रदेश: योगी सरकार ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी में

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले भी लव जिहाद की घटनाएं रोकने के लिए राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.

Varanasi: UP CM Yogi Adityanath speaks to media during an inspection of isolation ward for novel coronavirus, in Varanasi, Saturday, March 14, 2020. (PTI Photo)(PTI14-03-2020_000079B)

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले भी लव जिहाद की घटनाएं रोकने के लिए राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.

Varanasi: UP CM Yogi Adityanath speaks to media during an inspection of isolation ward for novel coronavirus, in Varanasi, Saturday, March 14, 2020. (PTI Photo)(PTI14-03-2020_000079B)
योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए अधिकारियों से रणनीति बनाने और जरूरत पड़ने पर अध्यादेश लाने को कहा है.

लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है.

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने इस तरह की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं. यह संगठित तरीके से किया जा रहा है, जरूरत पड़ने पर अध्यादेश भी लाया जा सकता है.’

कानपुर में पुलिस ने हाल ही में लव जिहाद के मामलों की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था.

पिछले साल उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन की जांच के लिए एक नए कानून का सुझाव दिया गया था.

विधि आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019 के मसौदा विधेयक के साथ रिपोर्ट पेश की गई थी.’

नेपाल, म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के कानूनों और वहां के अदालतों के फैसलों के अध्ययन के बाद के बाद कथित तौर पर यह रिपोर्ट तैयार की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया था, ‘आयोग का मानना है कि धर्म परिवर्तन की जांच करने के लिए मौजूदा कानूनी प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मामले के लिए कुछ अन्य राज्यों की तरह नए कानून की जरूरत है.’

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार शरत प्रधान ने द वायर  में लिखे अपने लेख में कहा था, ‘राज्यों के आपराधिक रिकॉर्ड की करीब से स्टडी करने से एक बिल्कुल अलग तस्वीर का पता चलता है. हाल ही में हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की शादी के नौ मामले दर्ज किए गए और ये उत्तर प्रदेश के 75 जिलों कानपुर मेरठ, अलीगढ़, लखीमपुर खीरी और गाजियाबाद तक ही सीमित थे. हिंदू युवतियों ने लव जिहाद के आरोपों से सार्वजनिक तौर पर इनकार किया था.’

प्रधान लिखते हैं, ‘बाकी के अधिकतर मामलों में आमतौर पर वकील, पुलिस और माता-पिता इन शादियों को तोड़ने का दबाव बनाते हैं, जिसके बाद लड़की घर लौटने को तैयार हो जाती है.’

विधि आयोग की 268 पेजों की रिपोर्ट में कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन, धार्मिक आधार पर अंतर्राष्ट्रीय करार, पड़ोसी देशों और भारत में धर्म परिवर्तन के विरोध में समाचार पत्र की क्लिपिंग शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन या बहला-फुसलाकर विवाह कराने पर प्रतिबंध के लिए विशेष कानून लाए गए हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले भी लव जिहाद की घटनाएं रोकने के लिए राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.

(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)