उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति एक नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के आरोपी हैं. मार्च 2017 में गिरफ़्तार प्रजापति को हाईकोर्ट ने तीन सितंबर को मेडिकल आधार पर अंतरिम ज़मानत दी थी, जिसके ख़िलाफ़ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के आरोपी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने तीन सितंबर को मेडिकल के आधार पर प्रजापति को अंतरिम जमानत दी थी.
बता दें कि प्रजापति राज्य की पूर्व समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री थे. हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक धमकी दिए जाने के मामले में प्रजापित न्यायिक हिरासत में ही थे.
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के जमानत आदेश पर रोक लगा दी और याचिका पर आरोपी से जवाब मांगा.
राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि हाईकोर्ट ने मेडिकल के आधार पर पॉक्सो मामले में आरोपी को दो महीने की जमानत देने में गलती की है. अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया है कि आरोपी का पहले से ही देश के प्रमुख राष्ट्रीय मेडिकल संस्थानों केजीएमसी/एसजी-पीजीआई में इलाज हो रहा था और विशेष रूप से तब जब उनकी नियमित जमानत याचिका पहले से तय थी, जिस पर 28 सितंबर को सुनवाई होनी है.
याचिका में कहा गया कि आरोपी पूर्ववर्ती सरकार में प्रमुख मंत्री रह चुके हैं और वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल मामले को प्रभावित कर सकते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि आरोपी का राजनीतिक कद इतना प्रभावशाली है कि उनके खिलाफ एफआईआर तभी दर्ज की गई, जब पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
हाईकोर्ट ने जमानत देते समय कहा था कि पूर्व मंत्री को कोविड से वास्तविक खतरा था और इस वजह से डॉक्टरों के कहने पर सुपर स्पेशयिलिटी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था क्योंकि वह कई बीमारियों से जूझ रहे थे.
बता दें कि प्रजापित 15 मार्च 2017 से जेल में हैं और फिलहाल लखनऊ के केजीएमयू में उनका इलाज चल रहा है. उन पर और अन्य पर एक नाबालिग से बलात्कार करने का आरोप है.
उनके खिलाफ गैंगरेप का मामला 2017 में गौतमपल्ली पुलिस थाने में दर्ज किया गया और बाद में प्रजापति को गिरफ्तार कर मार्च 2017 में जेल भेज दिया गया.
उन्हें इस मामले में सत्र अदालत से पहले भी जमानत मिल गई थी, लेकिन जेल से उनकी रिहाई से पहले ही हाईकोर्ट ने उनकी जमानत को रद्द कर दिया था.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)