विपक्षी दलों के सदन में हंगामे और किसानों के प्रदर्शन के बीच तीनों विवादित कृषि विधेयकों को राज्यसभा से मंज़ूरी मिल गई है. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने गेहूं के एमएसपी में सिर्फ़ 50 रुपये की वृद्धि पर कहा कि इससे तो डीज़ल समेत अन्य लागत के बढ़े हुए दाम की भरपाई भी नहीं हो पाएगी.
नई दिल्ली: संसद में तथाकथित कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने छह रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के निर्णय को मंजूरी प्रदान की.
सरकार ने गेहूं का एमएसपी 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. पिछले साल घोषित गेहूं का एमएसपी 1925 रुपये की तुलना में यह मात्र 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी है.
खास बात ये है कि पिछले 10 सालों की तुलना में सरकार ने गेहूं के एमएसपी में न्यूनतम बढ़ोतरी की है.
Shocked at announcement of 2.6% increase in Wheat #MSP in parliament, especially when increase is lowest in last 10 years & it's lower than increase in rate of inflation & lower than CACP cost of production & even less than tax collected on diesel used in wheat sowing. Historic
— Ajay Vir Jakhar (@Ajayvirjakhar) September 21, 2020
इसके अलावा पिछले एक दशक में यह पहला मौका है जब सरकार ने रबी फसलों का एमएसपी इतनी जल्दी घोषित कर दिया है. आमतौर पर यह साल के सितंबर महीने के बाद घोषित किया जाता था.
इसी तरह चने के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 5,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. पिछले साल चने का एमएसपी 4,875 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया था, इसलिए इस तुलना में सरकार ने सिर्फ 4.62 फीसदी की बढ़ोतरी की है.
मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है और यह 5,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. पिछले वर्ष घोषित मसूर के एमएसपी की तुलना में यह मात्र 6.25 फीसदी की बढ़ोतरी है.
सरसों के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 4,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. पिछले साल की तुलना में सरसों के एमएसपी में करीब पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
वहीं जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 75 रुपये की वृद्धि के बाद यह 1,600 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम तिलहन के एमएसपी में 112 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ यह 5,327 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
Hike in wheat #MSP lowest in a decade (% increase y-o-y). So in a way that is 'Historic'! #FarmBill2020 #msphaiaurrahega https://t.co/FO4P39Gvfh pic.twitter.com/row6ueswYk
— Sayantan Bera (@sayantanbera) September 21, 2020
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) द्वारा गेहूं व चना सहित रबी की छह फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए विपक्षी दलों पर निशाना साधा कि इससे संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों को बारे में किसानों को भ्रमित करने वालों का चेहरा बेनकाब हो गया है.
नड्डा ने एमएसपी संबंधित केंद्र सरकार के फैसले के तत्काल बाद सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार ने न केवल एमएसपी में वृद्धि की है बल्कि किसानों के पारिश्रमिक मूल्य को सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी पर खरीद भी बढ़ाई है. बिना तथ्यों के आधार पर किसानों को भ्रमित करने वाले लोगों का झूठा चेहरा आज बेनकाब हो गया है, उन्हें अब हमारे अन्नदाता भाइयों बहनों से माफी मांग लेनी चाहिए.’
मालूम हो कि विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच बीते रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी.
लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुके थे. कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दल इस विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं.
कांग्रेस का कहना है कि इन दोनों विधेयकों के कारण देश के किसानों में एमएसपी पर खरीद को लेकर आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं जिन्हें सरकार को दूर करना चाहिए.
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के एमएसपी में की गई प्रति क्विंटल 50 रुपये की वृद्धि को खारिज कर दिया.
बादल ने इस वृद्धि को यह कहते हुए ‘बिल्कुल अपर्याप्त’ करार दिया कि यह अपनी उपज के उचित मूल्य के लिए पहले से संघर्ष कर रहे किसानों के लिए ‘बड़ी निराशा’ के रूप में सामने आया है .
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा अन्य फसलों के लिए घोषित न्यूतनम समर्थन मूल्य इन फसलों की खरीद के पक्के आश्वासन के अभाव में ‘बेमतलब’ हैं. एमएसपी में वृद्धि से तो डीजल समेत अन्य लागत के बढ़े हुए दाम की भरपाई भी नहीं होगी.
इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाली एसएडी की नेता हरसिमरत कौर ने बीते सोमवार को कहा कि पंजाब में किसान भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा खरीद नहीं किए जाने के कारण अपना कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम में बेचने को बाध्य हैं.
उधर बादल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला और उसने उनसे ‘संसद से जबरन पारित कराए गए विधेयकों को’ मंजूरी नहीं देने की अपील की.
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद बादल ने कहा, ‘हमने उनसे मुश्किल में घिरे किसानों, कृषि और मंडी श्रमिकों के साथ खड़े होने की अपील की. हमने उनसे इन विधेयकों को संसद के पास पुनर्विचार के भेजने का अनुरोध किया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)