इंदौर में शवों के रखरखाव में लापरवाही बरतने का यह पहला मामला नहीं है. पिछले हफ़्ते यहां के सरकारी महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय एक लावारिस लाश के सड़कर तक़रीबन कंकाल में बदल जाने का मामला सामने आया था. इसी अस्पताल में पांच महीने के बच्चे के शव को छह दिन तक गत्ते के बॉक्स में बंद कर रखे जाने का भी खुलासा हुआ था.
इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में कोविड-19 से संक्रमित 87 वर्षीय व्यक्ति की बीते 20 सितंबर की रात एक निजी अस्पताल में मौत के बाद उनके शव को कथित तौर पर चूहों ने कुतर दिया. इस घटना से संबंधित वीडियो 21 सितंबर को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने मामले के मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए हैं.
इस वीडियो में सफेद कफन में पूरी तरह लिपटे शव के चेहरे और पैर की जगह पर घाव नजर आ रहे हैं. वीडियो में विलाप करते एक परिजन की आवाज सुनाई पड़ रही है, ‘ये देखिए, हमें यूनिक हॉस्पिटल से जो लाश दी जा रही है, उसे चूहे ने कुतर दिया है.’
अधिकारियों ने बताया कि मृतक की पहचान नवीनचंद्र जैन (87) के रूप में हुई है.
कोविड-19 की रोकथाम के लिए इंदौर जिले के नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने बताया, ‘कोविड-19 के इस मरीज ने यूनिक हॉस्पिटल में इलाज के दौरान रविवार रात दम तोड़ा. मरीज को उसकी गंभीर हालत के चलते ऑक्सीजन भी दी जा रही थी.’
उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल की लापरवाही के चलते बुजुर्ग के शव को चूहों के कुतरने के आरोपों के मद्देजनर जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया है.
इस बीच, दिवंगत बुजुर्ग के पोते चेतन ने बताया कि उनके दादा नवीनचंद्र जैन के शरीर में ऑक्सीजन के स्तर में लगातार उतार-चढ़ाव के चलते उन्हें चार दिन पहले दशहरा मैदान के पास स्थित यूनिक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
उन्होंने बताया, ‘जांच में मेरे दादा कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. हालांकि, डॉक्टरों ने हमें भरोसा दिलाया था कि वह जल्द ठीक हो जाएंगे.’
जैन ने बताया, ‘अस्पताल प्रबंधन ने मेरे दादा का शव सोमवार को सौंपा. हमने देखा कि चूहे उनके शव का कान और अंगूठा कुतर गए थे.’
मामले में समाचार एजेंसी पीटीआई ने निजी अस्पताल के प्रबंधन का पक्ष जानने का कई बार प्रयास किया गया, लेकिन अब तक उससे संपर्क नहीं हो सका है.
नई दुनिया के मुताबिक, सोमवार को परिजन जब शव लेने पहुंचे तो फटा हुआ बैग और खून के निशान नजर आए, शव की क्षत-विक्षत हालत देख कर नाराज हो गए. शव को सड़क पर रख करीब आधा घंटा विरोध जताया. इसके बाद अन्नपूर्णा थाने के टीआई और तहसीलदार अस्पताल पहुंचे और परिजनों को शांत कराया.
यूनिक अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेटिव अधिकारी अशोक पाटीदार ने कहा, ‘मरीज की मौत के बाद हमने मृतक के परिजनों को सुबह करीब 7 बजे बॉडी दिखाकर फ्रीजर में रख दी थी. चार घंटे में ही शव की हालत ऐसे कैसे हो गई, इससे हम खुद हैरान हैं.’
बहरहाल, कोरोना वायरस संक्रमण काल के दौरान इंदौर के अस्पतालों में शवों के रखरखाव में लापरवाही बरतने का यह कोई पहला मामला नहीं है.
शहर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय के मुर्दाघर में एक वयस्क व्यक्ति की लावारिस लाश के सड़कर तकरीबन कंकाल में बदल जाने का मामला पांच दिन पहले सामने आया था.
मामला सामने आने के बाद बीते 16 सितंबर को अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रमेंद्र ठाकुर ने बताया था, हमने मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी है. दोषी पाए जाने वाले कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि इसी अस्पताल में मुर्दाघर में पांच महीने के बालक के शव को कथित तौर पर छह दिन तक गत्ते के बक्से में बंद कर रखे जाने के प्रकरण का खुलासा हुआ था.
अधिकारियों ने बताया था कि इस बच्चे की मौत बीते 11 सितंबर को इलाज के दौरान हो गया था. यह बच्चा अप्रैल महीने इंदौर से 200 किलोमीटर दूर अलीराजपुर में मिला था. किसी ने जन्म के बाद ही बच्चे को लावारिस हाल में छोड़ दिया था. यहां तक कि बच्चे के शरीर से गर्भनाल भी जुड़ी हुई थी.
अधिकारियों के अनुसार, उसकी हालत ठीक नहीं थी, तो उसे इलाज के लिए इंदौर रिफर कर दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)