गुजरात के स्टर्लिंग बायोटेक समूह के मालिकों और अन्य के ख़िलाफ़ 8,100 करोड़ रुपये के बैंक क़र्ज़ धोखाधड़ी मामले को सुन रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा कहा कि यह बेहद शर्मिंदा करने वाला है कि उनके एक सहपाठी ने एक आरोपी की ओर से उनसे संपर्क किया, जिसके चलते वे केस से हट रहे हैं.
नई दिल्ली: गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक समूह के मालिकों और अन्य के खिलाफ 8,100 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले की सुनवाई कर रहे एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोमवार को इस मामले से यह कहते हुए अलग हो गए कि एक पक्ष ने उनसे संपर्क किया था.
जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि वह स्तब्ध थे कि उनके एक सहपाठी ने एक आरोपी की तरफ से उनसे संपर्क किया था. उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू और ईडी के विशेष अभियोजक नितेश राणा को बताया, ‘मेरी इस मामले को आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं है. यह बेहद शर्मिंदा करने वाला है और मैं इस मामले से खुद को अलग कर रहा हूं तथा मामले को जिला न्यायाधीश के सामने रख रहा हूं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरे मामले की सुनवाई के बाद मुझे इससे अलग होना पड़ रहा है….’
न्यायाधीश को ईडी द्वारा दायर उस आवेदन पर आदेश पारित करना था जिसमें नए कानून के तहत कंपनी के मालिकों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग की गई थी.
यह इसलिए भी चौंकाने वाला क्योंकि जज राणा पहले ही मामले की पूरी सुनवाई कर चुके थे और अब उन्हें आदेश पारित करना था.
इस खुलासे के बाद उन्होंने स्टर्लिंग बायोटेक से संबंधित सभी मामले जिला न्यायाधीश को भेज दिए थे.
हालांकि इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, जिला और सत्र न्यायाधीश ने ईडी से विचार करने के बाद मंगलवार को मामले को वापस अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राणा के पास ही वापस भेज दिया.
ईडी ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम की धारा चार के तहत नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ति संदेसरा और हितेश पटेल को भगोड़ा घोषित करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)