2015 से 2019 के बीच प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर ख़र्च हुए 517.82 करोड़ रुपये: विदेश मंत्रालय

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने बताया कि मार्च 2015 से नवंबर 2019 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 58 देशों की यात्रा की है.

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Narendra Modi on his special aircraft as he arrives at Brasilia International Airport in Brazil in 2015. Photograph: PTI

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने बताया कि मार्च 2015 से नवंबर 2019 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 58 देशों की यात्रा की है.

Narendra Modi on his special aircraft as he arrives at Brasilia International Airport in Brazil in 2015. Photograph: PTI
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2015 से नवंबर 2109 के बीच कुल 58 देशों की यात्रा की और इन यात्राओं पर कुल 517.82 करोड़ रुपये खर्च हुए. यह जानकारी मंगलवार को संसद में दी गई.

राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री के इन दौरों से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण के बारे में अन्य देशों की समझ बढ़ी तथा संबंधों में मजबूती आई है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की फौजिया खान ने सरकार से जानना चाहा था कि वर्ष 2015 से आज की तारीख तक प्रधानमंत्री ने कितने देशों का दौरा किया और इन दौरों पर कुल कितना व्यय हुआ.

इसके जवाब में मुरलीधरन ने बताया, ‘2015 से प्रधानमंत्री ने 58 देशों की यात्रा की. इन यात्राओं पर कुल 517.82 करोड़ रुपये व्यय हुआ.’

विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के दौरान उनके द्वारा किए गए पारस्परिक विचार-विमर्शों से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण के बारे में अन्य देशों की समझ बढ़ी है.

उन्होंने कहा कि इन वार्ताओं से व्यापार और निवेश, प्रौद्योगिकी, सामुद्रिक सहयोग, अंतरिक्ष, रक्षा सहयोग और लोगों के बीच परस्पर संपर्कों सहित अनेक क्षेत्रों में उनके साथ संबंध मजबूत हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘संबंधों में आई इस मजबूती ने हमारे आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और हमारे नागरिकों की भलाई के लिए भारत के राष्ट्रीय विकास एजेंडे में योगदान दिया है.’

मुरलीधरन ने कहा कि भारत अब जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय अपराध और आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और परमाणु अप्रसार सहित बहुपक्षीय स्तर पर वैश्विक एजेंडे को मूर्तरूप देने के लिए बढ़-चढ़कर योगदान दे रहा है और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक मुद्दों के लिए दुनिया को अपनी अनूठी पहलों की पेशकश कर रहा है.

विदेश मंत्रालय की ओर से दिए गए ब्योरे के मुताबिक, वर्ष 2015 के मार्च महीने में मोदी ने पहली विदेश यात्रा सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका की थी. मार्च के ही महीने में उन्होंने सिंगापुर की यात्रा की थी, जबकि उस साल अप्रैल में उन्होंने फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा की थी.

प्रधानमंत्री ने 2019 में नवंबर माह में ब्राजील की अंतिम यात्रा की थी. यह यात्रा उन्होंने ब्रिक्स समिट में शामिल होने के लिए की थी.

वर्ष 2019 में 22 सितंबर को अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मोदी ने ह्यूस्टन के एक स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ 50,000 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों को संबोधित किया था.

प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने सबसे पहला विदेश दौरा भूटान का किया था. 2014 में ही उन्होंने ब्राजील, नेपाल, जापान, अमेरिका, म्यांमार, फिजी और ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नेपाल से जुड़े एक अलग सवाल के जवाब में मुरलीधरन ने कहा कि भारत का इस पड़ोसी देश के साथ सदियों पुराना अद्वितीय और विशेष संबंध हैं, जो साझा इतिहास, भूगोल, संस्कृति, लोगों से लोगों के बीच के संबंधों, आपसी सुरक्षा और करीबी आर्थिक संबंधों पर आधारित हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि नेपाल ने भारत पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में चीन के साथ कई पारगमन और परिवहन संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं.

इसके जवाब में मुरलीधरन ने कहा कि काठमांडु के साथ नई दिल्ली के संबंध अपनी योग्यता पर आधारित हैं.

बीते मई महीने में भारत के साथ नेपाल के साथ उस वक्त तनावपूर्ण हो गए जब इस हिमालयी राष्ट्र ने अपने राजनीतिक नक्शे पर उत्तराखंड में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया है. हालांकि भारत ने स्पष्ट किया है कि ये तीनों जगहें भारतीय राज्य उत्तराखंड का हिस्सा हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)