गिरफ्तारी की स्थिति में लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बताएं सरकारें: दिल्ली उच्च न्यायालय

न्यायालय में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारें नागरिकों के अधिकारों के संदर्भ में अनभिज्ञता का फायदा उठाकर अनुच्छेद 22 (2) का उल्लंघन कर रही हैं.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

न्यायालय में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारें नागरिकों के अधिकारों के संदर्भ में अनभिज्ञता का फायदा उठाकर संविधान के अनुच्छेद 22 (2) के शासनादेश का उल्लंघन कर रही हैं.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली की आप सरकार को निर्देश दिया है कि गिरफ्तारी या आपराधिक मामलों में पुलिस हिरासत की स्थिति में सरकारें जनता को उनके अधिकारों के बारे में सूचित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने यह टिप्पणी की कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसलों में कहा था कि यहां तक कि ग़ैर ज़मानत और संज्ञेय अपराधों की स्थिति में भी पुलिस स्वत: गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकती.

इसने शीर्ष अदालत के निर्देश का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संबंध में पुलिस ने भी स्थायी आदेश जारी किए हैं लेकिन गिरफ्तारी की स्थिति में लोग अपने अधिकारों से अनजान दिखते प्रतीत होते हैं.

अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी की सख़्त ताकत का इस्तेमाल करते वक़्त सावधानी बरतने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था, जिन्हें वर्षों से पुलिस प्रशासन के हाथों उत्पीड़न के साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है और इसने भारत में पुलिस भ्रष्टाचार में जबरदस्त योगदान भी दिया है.

अदालत ने कहा, प्रतिवादी केंद्र और दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करेंगे कि स्थायी आदेश दिल्ली पुलिस की ओर से अक्तूबर 2008 में जारी में गिरफ्तारी के लिए स्थापित दिशानिर्देश के बारे में सूचना प्रसारित करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएंगे.

पीठ ने कहा, इसी सामग्री को स्थानीय भाषाओं में भी प्रसारित और जनता के सदस्यों के बीच वितरित किया जाना चाहिए और गिरफ्तार होने पर प्रत्येक व्यक्ति को इसकी एक प्रति उपलब्ध कराई जाए.

इसने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त इस संबंध में हेल्पलाइन नंबर बनाने की संभावना को लेकर जांच करेंगे, जहां से किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी या हिरासत के संबंध में उसके परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों को सूचना मिल सके.

इसने कहा, यह विचार चार हफ्तों के अंदर प्रभावी हो जाएगा और इस संबंध में रिपोर्ट इसी अदालत के समक्ष पेश की जाएगी.

अदालत का यह निर्देश सुभाष विजयरान की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया है जिसमें आरोप था कि सरकारें नागरिकों के अधिकारों के संदर्भ में अनभिज्ञता का फायदा उठाकर संविधान के अनुच्छेद 22 (2) के शासनादेश का उल्लंघन कर रही हैं.

अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने के ख़िलाफ़ संरक्षण का अधिकार

अनुच्छेद 22 (1) गिरफ्तार हुए और हिरासत में लिए गए लोगों को विशेष अधिकार प्रदान करता है. विशेष रूप से गिरफ्तारी के आधार सूचित किए जाने, अपनी पसंद के एक वकील से सलाह करने का अधिकार देता है.

अनुच्छेद 22 (2) गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर एक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने और मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना उस अवधि से अधिक हिरासत में न रखे जाने का अधिकार प्रदान करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)

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