महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना से लिंगानुपात में सुधार लाने तथा लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने का उद्देश्य पूरा करने में मदद मिली है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि चालू वित्त वर्ष में 17 सितंबर तक ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के विज्ञापन पर 96.71 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
उन्होंने बताया कि इस योजना के विज्ञापन पर साल 2019-20 में 23.67 करोड़ रुपये, 2018-19 में 160 करोड़ रुपये, 2017-18 में 135.71 करोड़ रुपये, 2016-17 में 29.79 करोड़ रुपये, 2015-16 में 24.54 करोड़ रुपये और साल 2014-15 में 18.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
ईरानी ने बताया कि अगस्त में ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना का आकलन किया था जिसमें लड़कियों के प्रति सकारात्मक व्यवहारगत बदलाव का संकेत मिला था.
उन्होंने बताया, ‘जन्म के समय लिंग अनुपात को (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार) इस योजना की प्रगति की निगरानी के लिए मानक तय किया गया था. लिंग अनुपात 2014-15 में प्रति 1000 लड़कों पर 918 था जो 2019-20 में प्रति 1000 लड़कों पर 934 हो गया. इस प्रकार लिंग अनुपात में 16 अंकों का सुधार देखा गया.’
ईरानी ने बताया कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना से बाल लिंग अनुपात में सुधार लाने तथा लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने का उद्देश्य पूरा करने में मदद मिली है.
बता दें कि जनवरी 2019 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में बताया था कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना पर साल 2014-15 से 2018-19 तक सरकार कुल 648 करोड़ रुपये आवंटित किया. इनमें से केवल 159 करोड़ रुपये ही जिलों और राज्यों को भेजे गए.
कुल आवंटन का 56 फीसदी से अधिक पैसा यानी कि 364.66 करोड़ रुपये ‘मीडिया संबंधी गतिविधियों’ पर खर्च किया गया. वहीं 25 फीसदी से कम धनराशि जिलों और राज्यों को बांटी गई.
वहीं, साल 2018-19 के लिए सरकार ने 280 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 155.71 करोड़ रुपये केवल मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च कर दिए. इनमें से 70.63 करोड़ रुपये ही राज्यों और जिलों को जारी किए गए.
इसी तरह, साल 2017-18 में सरकार ने 200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे जिसमें से 68 फीसदी धनराशि यानी 135.71 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च की गई थी. वहीं साल 2016-17 में सरकार ने 29.79 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च कर दिए जबकि केवल 2.9 करोड़ रुपये ही राज्यों एवं जिलों को बांटे गए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)