पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 37,000 आयोजन समितियों को दुर्गा पूजा के लिए 50,000 रुपये प्रति समिति की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. विश्लेषकों का मानना है कि इससे आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा तैयार की जा रही उनकी हिंदू विरोधी नेता की छवि को तोड़ने में मदद मिलेगी.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 सितंबर को 37,000 आयोजन समितियों को दुर्गा पूजा के लिए 50,000 रुपये प्रति समिति (तकरीबन 180 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता की घोषणा की.
दो साल पहले जब पहली बार इस योजना की घोषणा की गई थी, तब यह राशि 10,000 रुपये थी, जबकि पिछले साल (2019) यह राशि बढ़कर 25,000 रुपये हो गई थी.
इस साल फंड की घोषणा करते हुए कहा गया, ‘आप लोग (दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाले क्लब) को इस बार पर्याप्त विज्ञापन नहीं मिल सकता है. इस बार पर्याप्त प्रायोजक नहीं मिल सकते हैं. आर्थिक स्थिति इतनी खराब है. इसलिए हम अपनी कोशिश कर रहे हैं. दमकल विभाग पूजा की अनुमति के लिए पैसे नहीं लेगा. निगम, नगर पालिका या पंचायत कोई शुल्क नहीं लेगी. बिजली आपूर्तिकर्ता सीईएससी और डब्ल्यूबीएसईबी 50 फीसदी छूट देंगे. हम एक गरीब सरकार हैं, लेकिन फिर भी हम 50,000 रुपये प्रति समिति की सहायता राशि के साथ मदद करना चाहेंगे.’
बहुत से लोगों के लिए यह घोषणा चौंकाने वाली है. नागरिक समाज के एक तबके का मानना है कि गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे और चक्रवात अम्फान की तबाही से उबरने की कोशिश में लगे राज्य द्वारा पूजा समितियों को तकरीबन 180 करोड़ रुपये की राशि देना अनावश्यक है.
हालांकि, केवल आठ महीने में होने जा रहे चुनावों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस अनुदान से भाजपा द्वारा तैयार किए जा रहे ममता बनर्जी की हिंदू विरोधी नेता की छवि को तोड़ने में मदद मिलेगी.
बता दें कि आठ महीने से भी कम समय में पश्चिम बंगाल में चुनाव होने जा रहे हैं और मुख्यमंत्री के लिए यह समय सभी तबकों से समर्थन जुटाना महत्वपूर्ण हो गया है.
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता डेरेक ओ ब्रायन ने जुलाई में एक वीडियो में बताया था कि केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल का कितना उधार है.
वीडियो में ब्रायन कहते हैं, ‘केंद्र सरकार पर बंगाल सरकार का कुल 53,000 करोड़ रुपये बकाया है.’
मुख्यमंत्री खुद पश्चिम बंगाल के आर्थिक संकट का हवाला देते हुए समय-समय पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाती रहती हैं कि मोदी सरकार राज्य का बकाया नहीं चुका रही है.
बीते 2 सितंबर को बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्र सरकार द्वारा राज्य का जीएसटी बकाया चुकता करने का अनुरोध किया था.
पत्र में बनर्जी ने लिखा था, ‘आप जानते हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान, किसानों, असंगठित क्षेत्र, प्रवासी श्रमिकों, बेरोजगार युवाओं और श्रमिकों को अस्तित्व के एक गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. राज्यों की मदद करने के बजाय, क्या केंद्र द्वारा राज्यों की सहायता रोकना और राज्य पर अधिक वित्तीय बोझ डालना उचित है.’
वहीं, 5 मई को पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री डॉ. अमित मित्रा ने ट्वीट कर कहा था कि राज्य की ढहती अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र अंधा बना हुआ है.
GoI blind to collapsing Finances of States, strategically undermining Federalist Polity of India. No payment of past dues, no Grant to States to fight COVID, no headroom to borrow more, no payment of GST compensation. People are crying & States are hearing only hollow words
— Dr Amit Mitra (@DrAmitMitra) May 14, 2020
इसके बाद 15 सितंबर को जीएसटी मुआवजे के मुद्दे पर केंद्र सरकार के व्यवहार को डराने-धमकाने वाला करार देते हुए मित्रा ने द वायर को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि राज्यों के पास जीएसटी की कमी के लिए पैसा उधार लेने के लिए पर्याप्त क्षमता नहीं है.
खासतौर पर अपने राज्य के बारे में बात करते हुए मित्रा ने कहा था कि जीएसटी मुआवजे को पूरा करने के लिए यदि बंगाल के पास उधार लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है तो उसे बहुत सारे महत्वपूर्ण विकास खर्चों में कटौती करनी होगी.
उन्होंने कहा था कि गरीबों के लिए शिक्षा, पानी, सड़क और सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी.
हालांकि, ऐसे हालात में पूजा समितियों को फंड देने का फैसला काफी खर्चीला है.
पिछले हफ्ते राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बात करते हुए बनर्जी ने घोषणा की थी कि राज्य के करीब 8,000 हिंदू संतों को प्रति माह 1000 रुपये का भत्ता दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘गरीब हिंदू पुजारियों ने मुझसे कई बार मुलाकात की ताकि हम उनके लिए मानदेय पर विचार करें. हमने लगभग 8,000 पुजारियों को 1,000 रुपये का मासिक भुगतान देने का फैसला किया है जिन्होंने पहले ही आवेदन कर दिया था. सरकार उन गरीब पुजारियों के लिए भी घर बनाएगी जिनके पास बंगलार आवास योजना के तहत घर नहीं हैं.’
वहीं, बीते 8 सितंबर को पश्चिम बंगाल नीति दिवस मनाते हुए बनर्जी ने कोलकाता के सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए दो हजार रुपये और जिला स्तर के मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए 1000 रुपये के विशेष दुर्गा पूजा बोनस की घोषणा की थी.
इस दौरान चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनर्जी त्यौहारी मौसमों का फायदा उठाने और सत्ताविरोधी लहर पर काबू पाने की कोशिश में लगी हैं. हाल के समय में बनर्जी ने जो भी कदम उठाए हैं वे भाजपा की राजनीति का जवाब लगते हैं.
द वायर ने अपनी रिपोर्टों में बताया है कि किस तरह से पश्चिम-मध्य बंगाल में परिवार लॉकडाउन में कर्ज के बोझ तले दब गए हैं.
इसके साथ ही चक्रवात अम्फान के लिए घोषित मुआवजा और संबंधित फंड को लेकर दुरुपयोग के मामले राज्य में अक्सर सामने आ रहे हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)