पंजाब: नए कृषि क़ानून को निष्प्रभावी करने के लिए पूरे राज्य को मंडी यार्ड घोषित कर सकती है सरकार

मंडी यार्ड का होना सुनिश्चित करेगा कि उसके दायरे के बाहर किसी भी खरीद को अवैध माना जाए, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम क़ीमतें न मिले और राज्य को उसका मंडी शुल्क मिलता रहे.

कृषि विधेयक के विरोध में संसद भवन के बाहर कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह आहूजा. (फोटो: पीटीआई)

मंडी यार्ड का होना सुनिश्चित करेगा कि उसके दायरे के बाहर किसी भी खरीद को अवैध माना जाए, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम क़ीमतें न मिले और राज्य को उसका मंडी शुल्क मिलता रहे.

कृषि विधेयक के विरोध में संसद भवन के बाहर कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह आहूजा. (फोटो: पीटीआई)
कृषि विधेयक के विरोध में संसद भवन के बाहर कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह आहूजा. (फोटो: पीटीआई)

पंजाब में विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने एनडीए अलग होने के बाद राज्य की राजनीति में किसानों के मुद्दों पर बढ़त बना ली है.

इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सत्ताधारी कांग्रेस नेतृत्व वाली कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) अधिनियम में बदलाव कर पूरे राज्य को प्रधान मंडी यार्ड में तब्दील पर गंभीरता से विचार कर रही है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि भारी राजनीतिक दबाव का सामना कर रही सरकार का मानना है कि ऐसा करने से संसद से पास हुए कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 के प्रावधानों के प्रभाव को खत्म हो जाएगा.

मंडी यार्ड का होना सुनिश्चित करेगा कि उसके दायरे के बाहर किसी भी खरीद को अवैध माना जाए, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत न मिले और राज्य को उसका मंडी शुल्क मिले.

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे पर कानूनी राय मांगी और बीते हफ्ते महाधिवक्ता अतुल नंदा द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद सरकार को  इस पर अंतिम निर्णय लेना बाकी है.

राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि सरकार इस तरह के कदम पर विचार कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसी भावना है कि सर्वोच्च न्यायालय इसे ठुकरा सकता है. मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि हम केंद्र सरकार के कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. आगे देखते हैं.’

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि कृषि विशेषज्ञों ने 17 सितंबर को सिफारिश की थी कि पंजाब को राजस्थान और अन्य  कांग्रेस शासित राज्य द्वारा उठाए गए कदमों का पालन करना चाहिए.

पिछले महीने राजस्थान ने सभी गोदामों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) और राजस्थान राज्य भंडारण निगम (आरएसडब्ल्यूसी) को राज्य के एपीएमसी अधिनियम के तहत खरीद केंद्रों के तहत अधिसूचित किया था.

सूत्रों ने कहा, ‘उस समय मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह संसद के दोनों से विधेयकों के पास होने तक इंतजार करेंगे. अब सरकार दोनों ही संभावनाओं पर विचार कर रही है. या तो सरकार पूरे राज्य को एक मंडी यार्ड घोषित कर सकती है या राजस्थान मॉडल को अपना सकती है.’

बीते बुधवार को अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सुझाव दिया था कि मुख्यमंत्री को पूरे राज्य को प्रधान मंडी यार्ड घोषित करना चाहिए.

बादल ने यह भी कहा था कि अगर 2022 में अकाली दल सत्ता में आती है तो वह कानून में संशोधन करेगी.

केंद्र के विधेयक ने व्यापार क्षेत्र को किसी भी क्षेत्र या स्थान के रूप में परिभाषित किया है जिसमें प्रत्येक राज्य एपीएमसी अधिनियम के तहत गठित बाजार समितियों द्वारा प्रबंधित और चलाए जाने वाले बाजार यार्डों की भौतिक सीमाएं शामिल नहीं हैं. यह एपीएमसी मंडियों या बिचौलियों के माध्यम से जाए बिना किसानों को सीधे अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाता है.

लेकिन इस प्रावधान ने किसानों के बीच यह चिंता भी पैदा कर दी है कि अगर मंडी प्रणाली समाप्त हो जाती है, तो एमएसपी योजना भी समाप्त हो जाएगी.

हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि केंद्र सरकार एमएसपी देने के लिए प्रतिबद्ध है.

पंजाब मंडी बोर्ड अधिनियम, 1961 के तहत राज्य खरीद के लिए मंडी यार्ड घोषित कर सकता है और इसने पहले से ही ऐसे 1,830 यार्डों की घोषणा कर चुका है.

इस बार, धान खरीद से पहले सरकार ने अधिनियम के तहत समान प्रावधानों का उपयोग करके चावल के मिलों को मंडी यार्ड घोषित किया है.

अधिकारियों ने कहा कि कोविड महामारी के मद्देनजर धान खरीद के लिए राज्य में लगभग 4,000 मंडी यार्ड होंगे.

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