देश का कई इलाकों आई बाढ़ के बीच कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि 375 में से 222 स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं.
नई दिल्ली: देश में बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए 1997 से 2016 के बीच लगाए गए 375 टेलीमेट्री स्टेशनों में से 60 प्रतिशत स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं और इससे बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क के आधुनिकीकरण के लिए निवेश का मकसद प्रभावित हुआ है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि टेलीमेट्री स्टेशनों के काम नहीं करने के कारण केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) को बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए आंकडे़ जमा करने में दिक्कत आ रही है. आयोग को ख़ुद ही इन आंकड़ों को इकट्ठा करना पड़ता है.
इसमें कहा गया कि उपकरणों के चोरी हो जाने, पर्याप्त सुरक्षा नहीं होने के कारण इनकी तोड़-फोड और राडार सेंसर नहीं होने जैसे अनेक कारणों से स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं.
टेलीमेट्री स्टेशन सुदूर क्षेत्रों से आंकडे़ लेकर एक अन्य उपकरण को भेजते हैं.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया, जल संसाधन मंत्रालय के रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ कि 375 में से 222 स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं.
कैग ने जल आयोग को इन स्टेशनों को क्रियाशील बनाने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाने का सुझाव दिया है.
कैग की ये रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब देश के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं. उत्तर पूर्व के अधिकांश राज्य बाढ़ प्रभावित हैं.
असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय में भारी बारिश की वजह से बाढ़, भूस्खलन और लोगों की मौत होने का सिलसिला जारी है. गुजरात और ओडिशा के कुछ इलाके भी बाढ़ से जूझ रहे हैं.
अकेले असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या तकरीबन 75 हो चुकी है और बाढ़ से प्रभावित होने वालों की संख्या लाखों में हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)