जसवंत सिंह देश के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके थे. साल 2014 में उन्हें सिर में चोट लगी था, जिसके बाद से वह कोमा में ही थे. बीते जून महीने में तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नई दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार सुबह नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे.
साल 2014 में उन्हें सिर में चोट लगी था, जिसके बाद से वह कोमा में ही थे. बीते जून महीने में तबीयत बिगड़ने के बाद जसवंत सिंह को नई दिल्ली के आर्मी अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने रविवार सुबह आखिरी सांस ली.
1950 से 60 के दशक के बीच वह भारतीय सेना में भी थे, लेकिन राजनीति में शामिल होने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
तीन जनवरी, 1938 को बाड़मेर जिले के जसोल गांव में जन्मे जसवंत सिंह भाजपा के उन गिने-चुने नेताओं में से थे, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से नहीं आते थे. इसके बावजूद उन्होंने वाजपेयी सरकार में देश के विदेश, वित्त और रक्षा मंत्री बनने का गौरव हासिल किया.
वर्ष 1996 में वह वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए थे. वाजपेयी ने ही उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था. वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान वह विदेश मंत्री बने.
उनकी पुस्तक ‘जिन्ना-इंडिया, पार्टीशन, इंडिपेंडेंस’ प्रकाशित होने के सिर्फ दो दिनों के बाद ही उन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है, ‘दुख के साथ सूचित किया जाता है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मेजर जसवंत सिंह (रिटायर) का 27 सितंबर 2020 को सुबह 6:55 बजे निधन हो गया. उन्हें 25 जून 2020 को सिर में गंभीर चोट और मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम के बाद भर्ती कराया गया था. सुबह उन्हें कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकना) होने के बाद बचाया नहीं जा सका.’
24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर आईसी-814 को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा हाईजैक कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था. विमान में सवार यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकियों- मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा था. इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे.
इसे लेकर अकसर उनकी आलोचना होती रही है.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सिंह को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजस्थान के बाड़मेर से मैदान में उतरे थे. हालांकि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. जसवंत सिंह ने पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग संसदीय क्षेत्र का भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया था.
राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें उत्कृष्ट सांसद, असाधारण जननेता और बुद्धिजीवी करार देते हुए कहा, ‘जसवंत सिंह ने अनेक कठिन भूमिकाओं को सहजता और धैर्य के साथ निभाया. उनके परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति मेरी शोक-संवेदना.’
Jaswant Singh Ji will be remembered for his unique perspective on matters of politics and society. He also contributed to the strengthening of the BJP. I will always remember our interactions. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 27, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ‘जसवंत सिंह जी को राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में योगदान दिया. मैं हमेशा उनके साथ हुई मेरी बातचीत को याद रखूंगा. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना. ओम शांति.’
Jaswant Singh Ji served our nation diligently, first as a soldier and later during his long association with politics. During Atal Ji’s Government, he handled crucial portfolios and left a strong mark in the worlds of finance, defence and external affairs. Saddened by his demise.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 27, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जसवंत सिंह जी ने पहले एक सैनिक के रूप में और बाद में राजनीति में लंबे समय तक अपने जुड़ाव के दौरान हमारे देश की सेवा पूरी लगन के साथ की. अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और मजबूत छाप छोड़ी. उनके निधन से दुखी हूं.’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘श्री मानवेंद्र सिंह (जसवंत सिंह के बेटे) से बात की और श्री जसवंत सिंह जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन पर शोक व्यक्त किया. अपने स्वभाव के अनुरूप जसवंत जी ने अपनी बीमारी का सामना पिछले छह वर्षों तक किया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)