गृह मंत्रालय ने कहा, एमनेस्टी की ​गतिविधियां क़ानून का उल्लंघन, यूरोपीय संघ ने जताई चिंता

सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को भारत में अपना काम रोकने की अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवाधिकार देश के क़ानून को तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)

सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को भारत में अपना काम रोकने की अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवाधिकार देश के क़ानून को तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को भारत में अपना काम रोकने की एमनेस्टी इंटरनेशनल की घोषणा के बाद जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवाधिकार देश के कानून को तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है, वहीं यूरोपीय संघ ने चिंता जताते हुए कहा कि वह दुनियाभर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है.

बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि वह अपने खाते से लेन-देन पर पाबंदी के कारण भारत में सभी गतिविधियों को रोक रहा है. उसने दावा किया कि निराधार और दुर्भावना से प्रेरित आरोपों के माध्यम से उसे बार-बार निशाना बनाया जा रहा है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए सुंदर बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं.

मंत्रालय ने कहा, ‘ऐसे बयानों का लक्ष्य पिछले कुछ वर्षों में की गईं अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना है.’

गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत सिर्फ एक बार अनुमति मिली थी, वह भी 20 साल पहले (19 दिसंबर 2000 को). उसके बाद बार-बार आवेदन के बावजूद तमाम सरकारों ने उसे एफसीआरए मंजूरी नहीं दी, क्योंकि कानूनन वह पात्र नहीं था.

मंत्रालय ने कहा कि हालांकि, एमनेस्टी ब्रिटेन ने एफसीआरए नियमों को दरकिनार कर भारत में पंजीकृत चार कंपनियों/फर्मों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रास्ते काफी धन भेजा. एफसीआरए के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बगैर एमनेस्टी (भारत) को भी विदेशों से बहुत बड़ी राशि मिली.

मंत्रालय के अनुसार, ‘इस तरह गलत रास्ते से धन मंगवाना कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है.’

गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी की इन्हीं गैरकानूनी गतिविधियों के कारण पिछली सरकारों ने भी विदेशों से चंदा पाने की संगठन की अर्जी बार-बार खारिज की. इस कारण एमनेस्टी को उस दौरान भी एक बार भारत में अपनी गतिविधियां बंद भी करनी पड़ी थीं.

गृह मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न सरकारों के दौर में एमनेस्टी के खिलाफ उठाए गए कदमों से साबित होता है कि पूरी गलती एमनेस्टी द्वारा अपने कामकाज के लिए धन पाने के लिए अपनाए गए संदिग्ध तरीकों में है.

मंत्रालय ने कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा अपनाया गया रुख और दिया गया बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से परे है.’

बयान में आगे कहा गया, ‘एमनेस्टी भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि कई अन्य संगठनों द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, व्यवस्थित कानून द्वारा भारत विदेशी दान द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देता है. यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और यह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा.’

यूरोपीय संघ ने चिंता जताई

एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम बंद करने पर यूरोपीय संघ (ईयू) ने चिंता जताते हुए कहा कि वह दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है. उसने उम्मीद जताई कि मामला सुलझ जाएगा, ताकि वह अपना काम कर सके.

रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ की प्रवक्ता नबीला मसराली ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को विदेशी संस्थाओं से धन प्राप्त करने और उपयोग करने से संबंधित भारतीय कानूनों के उल्लंघन के आरोप में फ्रीज करने की जानकारी मिली.

एक विश्वसनीय मानवाधिकार संगठन के रूप में एमनेस्टी की प्रतिष्ठा की पुष्टि करते हुए मसराली ने भारत सरकार से संगठन को देश में काम करने की अनुमति देने की अपील की है.

ईयू प्रवक्ता ने कहा, ‘किसी भी जांच या न्यायिक कार्यवाही के नतीजे को लेकर पूर्वाग्रह न रखते हुए यूरोपीय संघ दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है और उम्मीद करता है कि इस मामले को हल किया जाएगा ताकि एमनेस्टी भारत में अपनी गतिविधियों को बिना किसी बाधा के जारी रख सके.’

उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ नागरिक अधिकारों के संरक्षण और मानवाधिकार रक्षकों सहित नागरिक संगठनों के सशक्तिकरण और नागरिक समाज को काम करने की आजादी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

एमनेस्टी अवैध गतिविधियों में शामिल था: भाजपा

एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा देश में अपने कामकाज को बंद करने की घोषणा करते हुए सरकार द्वारा बेवजह निशाना बनाए जाने का आरोप लगाने पर सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल कई अवैध गतिविधियों में शामिल था और इसे मर्यादा पर भाषण करने का कोई अधिकार नहीं है.

भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत में कोई भी संगठन काम कर सकता है लेकिन वह देश के कानूनों एवं नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी का चोला ओढ़ कर गलत काम करने के लिए हम किसी भी भारतीय अथवा विदेशी संगठन को अनुमति नहीं दे सकते हैं.’

राठौड़ ने यह भी आरोप लगाया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अवैध तरीके से विदेशी अनुदान प्राप्त किया है.

राठौड़ ने कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कई गैरकानूनी कार्य किए हैं, इसलिए इसे मर्यादा पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है. खास तौर से तब जब संगठन के खिलाफ उसके गैरकानूनी कार्यों को लेकर उस पर कार्रवाई हो रही है.’

भाजपा नेता ने आगे कहा कि विदेशी धन प्राप्त करने के एमनेस्टी इंटरनेशनल के लाइसेंस को वर्ष 2009 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने अस्वीकार कर दिया था और उसकी गतिविधियों को निलंबित कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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