विवादित कृषि विधेयकों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लक्ष्य से 31 किसान संघों ने पंजाब में कई जगहों पर बीते एक अक्टूबर से ट्रेन की पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध कर दिया है. किसान कईभाजपा के नेताओं के घर के बाहर भी धरना दे रहे हैं.
चंडीगढ़: नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना प्रदर्शन तेज करते हुए पंजाब के किसानों ने बृहस्पतिवार से अनिश्चितकालीन ‘रेल रोको’ आंदोलन शुरू करते हुए राज्य में कई जगहों पर ट्रेन की पटरियों को अवरुद्ध कर दिया.
इसके अलावा किसानों ने बताया कि वे भाजपा के कई नेताओं के घरों के बाहर धरना भी दे रहे हैं.
इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन तेज करने के लिए 31 किसान संघ एकजुट हुए हैं और उन्होंने एक अक्टूबर से अनिश्चितकाल के लिए रेल रोको आंदोलन चलाने की घोषणा की है.
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लक्ष्य से 31 किसान संघों के किसानों ने राज्य में कई जगहों पर ट्रेन की पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए अवरूद्ध कर दिया है.
कोकरीकलां ने बताया कि उनके संघ ने ढाबलां (पटियाला), सुनाम (संगरुर), बुल्ढ़ाना (मानसा) और गिद्दरबाहा (मुक्तसर) में पटरियां अवरूद्ध की हैं. अन्य किसान संघों ने बरनाला, लुधियाना, भटिंडा और अन्य जगहों पर ट्रेनों का रास्ता अवरुद्ध किया है.
Punjab: Kisan Mazdoor Sangharsh Committee's 'rail roko' agitation in Amritsar, in protest against Farm laws, enters 9th day. Visuals from Devidaspura village.
Committee's Sukhvinder Singh says, "Agitation will continue till 5th Oct, we'll make further announcement on 4th Oct." pic.twitter.com/dfNil8KgRl
— ANI (@ANI) October 2, 2020
किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसान 24 सितंबर से ही अमृतसर और फिरोजपुर में पटरियों पर बैठे हुए हैं.
अमृतसर के देवीदासपुरा गांव में किसान कृषि विधेयकों के विरोध में बीते नौ दिनों से रेल की पटरियों पर बैठे हैं. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि यह आंदोलन पांच अक्टूबर तक चलेगा और आगे की रणनीति की घोषणा चार अक्टूबर को की जाएगी.
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के महासचिव कोकरीकलां ने बताया कि किसान संगरुर, बरनाला, मोगा और गुरदासपुर में टोल प्लाजा पर धरना दे रहे हैं, वे कुछ कॉरपोरेट हाउसों के पेट्रोल पंपों और शॉपिंग मॉल के बाहर भी धरना दे रहे हैं.
किसानों ने राज्य में कुछ कॉरपोरेट हाउसों और उनकी बनायी चीजों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार इन काले कानूनों के जरिए कुछ कॉरपोरेट हाउसों को लाभ पहुंचाना चाहती है.
बीकेयू (दाकुंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि नए कानूनों के विरोध में किसानों के 31 संगठन 27 जगह पर धरना दे रहे हैं.
पंजाब केसरी के मुताबिक किसानों के धरने के कारण पंजाब से चलने वाली सभी ट्रेनों को दो अक्टूबर तक रद्द कर दिया गया है. वहीं, दूसरे राज्यों से आने वाली ट्रेनों को अंबाला के बाद शार्ट टर्मिनेट की गई हैं जिसके चलते अंबाला से यात्रियों को सड़क मार्ग का इस्तेमाल करना पड़ेगा.
अमर उजाला के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल का किसान मार्च देर रात चंडीगढ़ सीमा पर पहुंचा था. पुलिस ने अकालियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया और पानी की बौछारें छोड़ीं, इसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए. पुलिस ने शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर समेत कई अकालियों को हिरासत में भी लिया था. हालांकि बाद में छोड़ दिया गया.
शिरोमणि अकाली दल कृषि कानूनों के खिलाफ 40 हजार गाड़ियों व दो लाख कार्यकर्ताओं के साथ चंडीगढ़ में पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने की घोषणा की थी. इन्हें रोकने के लिए चंडीगढ़ पुलिस ने मुल्लांपुर व जीरकपुर के रास्तों पर बड़े पैमाने पर पुलिस तैनात कर रखी थी.
बता दें कि बीते 27 सितंबर को विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन कृषि विधेयकों को मंज़ूरी दी थी. ये विधेयक हैं- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020.
सरकार का दावा है कि नए कानूनों के जरिये कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार की जाएगी. हालांकि किसानों एवं विशेषज्ञों को इस बात को लेकर चिंता है कि यदि ये कानून लागू किया जाता है तो एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)