उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उनकी मौत की घटना को लेकर राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि मोहरों के निलंबन से क्या होगा, योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दें.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 वर्ष की एक दलित युवती के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी मौत के मामले में शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी और प्रभारी निरीक्षक समेत पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया. इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था.
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने शुक्रवार को इस फैसले की जानकारी दी.
मुख्यमंत्री ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है.
शामली से विनीत जायसवाल को हाथरस का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है. इस मामले में सभी आरोपियों का नार्को परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.
उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.
करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.
इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का 29 सितंबर की देर रात अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा पीड़ित के पिता को कथित तौर पर धमकी देने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली की आलोचना हो रही है.
युवती की मौत के बाद विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.
युवती के गांव में मीडिया के प्रवेश पर रोक
स्थानीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मीडिया को युवती के गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
हाथरस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाश कुमार ने पत्रकारों से कहा, ‘मौजूदा हालात के मद्देनजर किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि या मीडियाकर्मी को तब तक गांव में जाने नहीं दिया जाएगा, जब तक एसआईटी (विशेष जांच दल) जांच पूरी नहीं कर लेता.’
हालांकि शुक्रवार दोपहर तक मीडिया को गांव में प्रवेश की अनुमति दे दी गई.
इससे पहले हाथरस प्रशासन ने बीते एक अक्टूबर को धारा 144 लागू कर दी थी.
अधिकारियों के अनुसार मामले पर देशव्यापी आक्रोश के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था, जिसे 14 अक्टूबर तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी है.
शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि उनकी सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है.
गांव में लॉकडाउन, 300 से अधिक पुलिसकर्मियों का पहरा
इस बीच युवती के गांव में पूरी तरह से लॉकडाउन की स्थिति है. गांव में कोई बाहरी प्रवेश न कर सके इसके लिए 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. 17 पुलिस वाहन और पांच जगह बैरिकेड लगाए गए.
पीड़ित परिवार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि वे बीते दो दिनों से घर में ही बंद हैं और प्रशासन उनके फोन की निगरानी कर रहा है.
मृतक युवती के भाई ने बताया, ‘डीएम जी आए और कहा कि जब मीडिया यहां नहीं तो आपके वीडियो कैसे वायरल हो रहे हैं. लगता है कि उन्होंने कॉल डिटेल (सर्विलांस) पे लगा दिया है.’
रिपोर्ट के अनुसार, पहला बैरिकेड गांव से 2.5 किमी पहले लगा है, जिससे गांव में प्रवेश के तीन रास्ते बंद हो गए हैं.
डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार फोन और एसएमएस का जवाब नहीं दे रहे हैं. अलीगढ़ रेंज के आईजी पीयूष मोर्डिया ने मीडिया को बताया, ‘जब तक जिले में एसआईटी मौजूद हैं, यह एक संवेदनशील मामला है. जैसे ही एसआईटी चली जाएगी गांव की घेराबंदी खत्म कर दी जाएगी और आप गांव जाने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे.’
दंगा रोधी किट में नजर आ रहे पुलिस कर्मचारी हेलमेट लगाकर लाठी लिए हुए गांव में तैनात हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हाथरस के सभी पुलिस थानों के अलावा मथुरा, आगरा, अलीगढ़, कासगंज और एटा से पुलिसकर्मियों को यहां बुलाया गया है. हम तीन दिन से यहां 12 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं.’
परिवार का कहना है कि सिर्फ एसआईटी, जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को ही उनसे मिलने दिया जा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि कम से कम पीएसी की चार यूनिट यानी तकरीबन 48 लोगों को भी गांव में तैनात किया गया है.
विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार
योगी आदित्यनाथ सरकार 19 वर्षीय महिला के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी मौत के मामले में विपक्षी दलों के निशाने पर है.
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को लखनऊ में प्रदर्शन किया, जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. पार्टी कार्यकर्ताओं ने अलीगढ़, मथुरा और इलाहबाद में भी प्रदर्शन किया.
वहीं दिल्ली में छात्रों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने शाम को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी और वाम दलों समेत कई पार्टियों के नेता शामिल हुए.
हाथरस जिले में तृणमूल कांग्रेस सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को पीड़िता के गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया. पार्टी के एक बयान में यह बात कही गई है.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि डेरेक ओ ब्रायन, काकोली घोष दस्तीदार और प्रतिमा मंडल तथा पूर्व सांसद ममता ठाकुर सबकी नजरों से बचकर अलग-अलग कारों से हाथरस आ रहे थे और यहां पहुंचने से 25 किलोमीटर पहले एक साथ हो गए.
वे गांव में प्रवेश करने में तो सफल रहे लेकिन पीड़िता के परिवार से नहीं मिल सके.
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि ओ ब्रायन धक्का दिए जाने के बाद जमीन पर गिर गए जबकि मंडल के साथ एक अधिकारी ने धक्का-मुक्की की. बाद में मंडल ने पुलिस में शिकायत की और धरने पर बैठ गईं.
मोहरों के निलंबन से क्या होगा, योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दें: प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने हाथरस के कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में कुछ पुलिस अधिकारियों के निलंबन के बाद शुक्रवार को कहा कि ‘मोहरों’ के निलंबन से क्या होगा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि हाथरस के जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फोन रिकॉर्ड सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि पता चल सके कि किसके आदेश पर पीड़िता एवं उसके परिवार को कष्ट दिया गया.
.@myogiadityanath जी कुछ मोहरों को सस्पेंड करने से क्या होगा? हाथरस की पीड़िता, उसके परिवार को भीषण कष्ट किसके ऑर्डर पर दिया गया? हाथरस के डीएम, एसपी के फोन रिकार्ड्स पब्लिक किए जाएँ। मुख्यमंत्रीज अपनी जिम्मेदारी से हटने की कोशिश न करें। देश देख रहा है @myogiadityanath इस्तीफा दो
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 2, 2020
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘योगी आदित्यनाथ जी, कुछ मोहरों को निलंबित करने से क्या होगा? हाथरस की पीड़िता, उसके परिवार को भीषण कष्ट किसके आदेश पर दिया गया? हाथरस के डीएम, एसपी के फोन रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाएं.’
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री जी अपनी जिम्मेदारी से हटने की कोशिश न करें. देश देख रहा है. योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दो.’
.@myogiadityanath RESIGN. You have no moral right to continue as Chief Minister of UP. pic.twitter.com/kZHqRcE6JI
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 2, 2020
बाद में प्रियंका ने एक अन्य ट्वीट में एक पत्रकार और पीड़िता के भाई के बीच कथित फोन बातचीत लीक होने को लेकर एक मीडिया संस्थान के बयान को टैग किया.
शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘यूपी सरकार नैतिक रूप से भ्रष्ट है. पीड़िता को इलाज नहीं मिला, समय पर शिकायत नहीं लिखी, शव को जबरदस्ती जलाया, परिवार कैद में है, उन्हें दबाया जा रहा है. अब उन्हें धमकी दी जा रही कि नार्को टेस्ट होगा. ये व्यवहार देश को मंजूर नहीं. पीड़िता के परिवार को धमकाना बंद कीजिए.’
यूपी सरकार नैतिक रूप से भ्रष्ट है।
पीड़िता को इलाज नहीं मिला, समय पर शिकायत नहीं लिखी, शव को जबरदस्ती जलाया, परिवार कैद में है, उन्हें दबाया जा रहा है – अब उन्हें धमकी दी जा रही कि नार्को टेस्ट होगा।
ये व्यवहार देश को मँजूर नहीं।
पीड़िता के परिवार को धमकाना बंद कीजिए।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 3, 2020
दिल्ली में राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं, छात्र और महिलाओं का प्रदर्शन
हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार की घटना और इसके प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये के खिलाफ नई दिल्ली में शुक्रवार की शाम एक बड़ा प्रदर्शन हुआ.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित राजनीतिक दलों के नेता, नागरिक समाज के कार्यकर्ता, छात्र और महिलाएं काफी संख्या में जंतर मंतर पर जुटे.
मास्क पहने हुए और उत्तर प्रदेश प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने पीड़िता के लिए न्याय की मांग की और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग करते हुए आरोप लगाया कि वह आरोपियों को बचा रहे हैं.
यह प्रदर्शन शुरुआत में इंडिया गेट पर होना था, लेकिन राजपथ क्षेत्र में इन प्रदर्शनों को देखते हुए पहले ही निषेधाज्ञा लागू होने के कारण यह जंतर मंतर पर किया गया.
प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी और वाम दलों सहित अन्य राजनीतिक दलों के कई नेता भी शामिल हुए.
उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिस तरीके से पीड़िता के शव का रातोरात दाह-संस्कार कर दिया, उसे लेकर उनमें रोष है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा 19 वर्षीय दलित लड़की के लिये एक अलग प्रार्थना सभा में शामिल हुई.
उन्होंने कहा कि हर महिला को अपनी आवाज उठाने और ‘हाथरस की बेटी’ के लिए सरकार से न्याय मांगने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस मामले में न्याय मिलने तक कांग्रेस पार्टी आदित्यनाथ सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेगी.
गौरतलब है कि प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी के साथ बृहस्पतिवार को पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए निकली थीं, लेकिन दोनों नेताओं को ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने हिरासत में ले लिया. उनके साथ पुलिस द्वारा धक्का-मुक्की करने का भी मामला सामने आया था.
सूर्यास्त के बाद पीड़िता का दाह-संस्कार करने को लेकर भी प्रियंका ने हाथरस प्रशासन की आलोचना की.
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘हमारे देश की यह परंपरा नहीं है कि उसका परिवार उसकी चिता को आग नहीं दे पाए.’ उन्होंने मध्य दिल्ली के पंचकुइयां रोड स्थित प्राचीन भगवान वाल्मीकि मंदिर में आयोजित प्रार्थना सभा में यह कहा.
इसके बाद शुक्रवार शाम नागरिक समाज के कार्यकर्ता, छात्र, महिला और राजनीतिक दलों के नेता जंतर मंतर पर जुटे.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में जो कुछ हो रहा है, वह ‘गुंडाराज’ है. पुलिस ने गांव को घेर रखा है, वहां विपक्षी नेताओं और मीडियाकर्मियों को नहीं घुसने दिया जा रहा. उन्होंने (पुलिस-प्रशासन) ने पीड़िता के परिवार के सदस्यों के मोबाइल फोन ले लिए हैं.’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, आप विधायक सौरभ भारद्वाज, माकपा नेता बृंदा करात और सीताराम येचुरी भी प्रदर्शन में शामिल हुए.
प्रदर्शनों के मद्देनजर शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो के कुछ स्टेशनों के प्रवेश और निकास दरवाजों को बंद रखा गया.
मेट्रो अधिकारियों ने बताया, ‘जनपथ (मेट्रो स्टेशन) का प्रवेश और निकास द्वार बंद रहा. इस स्टेशन पर ट्रेनें भी नहीं रुकेंगी. राजीव चौक और पटेल चौक मेट्रो स्टेशन के निकास द्वार भी बंद रहे.’
ये तीनों स्टेशन मध्य दिल्ली में प्रदर्शन स्थल के आसपास हैं.
केजरीवाल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और आरोपियों को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए.
उन्होने कहा, ‘पूरा देश चाहता है कि आरोपियों को कठोरतम सजा मिले. कुछ लोगों को लग रहा है कि आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. ऐसा नहीं होना चाहिए. परिवार को मदद और सहानुभूति की जरूरत है. परिवार को संकट में नहीं डालना चाहिए.’
स्वरा ने कहा कि विभिन्न तबके के लोग जंतर मंतर पर जुटे हैं, जो यह दिखाता है कि लोग कितने गुस्से में हैं. उन्होंने कहा, ‘वक्त आ गया है कि हम बलात्कार महामारी के खिलाफ लड़ाई शुरू करें और आज हम यहां खड़े हैं तथा हमें जीतना है.’
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हाथरस घटना ने कानून का शासन नाम की चीज को धराशायी कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ इतनी सी बात नहीं है कि बलात्कार की एक घटना हुई है या उसकी मौत हो गई. बल्कि शुरू से ही राजनीतिक संरक्षण दिया गया. उत्तर प्रदेश प्रशासन यह सुनिश्चित करने में जुटा हुआ था कि यह खबर बाहर नहीं निकल पाए.’
यादव ने आरोप लगाया कि परिवार को पीड़िता के शव का गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया गया, जबकि अपराधी भी इसके हकदार हैं.
उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार के पास अब और बने रहने के लिए कोई आधार नहीं है.’
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात और भाकपा नेता डी राजा सहित वाम दलों के अन्य नेता प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे.
उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया.
येचुरी ने कहा, ‘इस तरह के एक जघन्य अपराध पर केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व की चुप्पी तथा उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया सत्तारूढ़ दल(भाजपा) के तानाशाह और अलोकतांत्रिक चेहरे, चाल, चरित्र तथा चिंतन के बारे में काफी कुछ कहती है.’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को सत्ता में बने रहे का कोई अधिकार नहीं है. करात ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अराजकता एक जातीय संहिता के रूप में विद्यमान है.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने मामले की सुनवाई त्वरित अदालत में प्रतिदिन के आधार पर किए जाने की मांग की.
उन्होंने कहा, ‘दोषियों को यथाशीघ्र दंडित किया जाना चाहिए ताकि अन्य लोग ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले डरें. हम हाथरस जाएंगे और जब तक यह विषय दिल्ली नहीं आ जाता, तब तक न्याय मिलने की गुंजाइश नहीं है.’
उन्होंने परिवार की इच्छा के विरूद्ध पीड़िता के शव का दाह संस्कार किए जाने के तरीके की भी निंदा की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)