राष्ट्रगीत के संबंध में एक याचिका की सुनवाई के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय ने सुनाया फैसला.
चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान राष्ट्रगीत वंदे मातरम के गायन को तमिलनाडु के सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हफ्ते में एक बार अनिवार्य कर दिया है.
न्यायालय ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में सोमवार से शुक्रवार के बीच एक बार वंदे मातरम गायन का आयोजन होना चाहिए.
इसके अलावा न्यायालय ने सभी सरकारी दफ्तरों व संस्थाओं, निजी कंपनियों, फैक्टरियों और विभिन्न उद्योग दफ्तरों में महीने में एक बार राष्ट्रगीत के गायन के आयोजन करने का निर्देश दिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने कहा कि वंदे मातरम संस्कृत मूल का है और बंगाली में लिखा गया है, जिसका गायन सभी स्कूल और कॉलेजों में होना चाहिए.
Director of Public Information to upload translated version of “Vande Matharam” in Tamil and English on Govt websites&social media:Madras HC
— ANI (@ANI) July 25, 2017
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक जनसंपर्क विभाग के निदेशक को निर्देश दिया गया है कि वह राष्ट्रगीत के तमिल और अंग्रेजी भाषा में अनुदित करवाकर सरकारी वेबसाइटों और सोशल मीडिया पेजों पर अपलोड करने के साथ ही उन्हें बंटवाएं.
कोई भी व्यक्ति अगर एक वैध कारण बताता है कि वह राष्ट्रगीत नहीं गा सकता तो उसे बाध्य नहीं किया जाएगा.
जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने कहा, इस आदेश की एक कॉपी तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव को भेजा जाए जो एक उचित दिशा निर्देश संबंधित प्राधिकारियों को जारी करेंगे.
उन्होंने आगे कहा, न्यायाधीश ने कहा, इस देश के युवा कल का भविष्य हैं और अदालत उम्मीद और विश्वास करती है कि इस आदेश को सही भावना में लिया जाएगा और इस महान देश के नागरिक इसे शब्दश: लागू भी करेंगे.
“Vande Matharam” be played and sung in all Govt Offices and Institutions/Pvt companies/Factories&Industries at least once a month:Madras HC
— ANI (@ANI) July 25, 2017
मामला के. वीरामनी की याचिका से संबंधित है जो बीटी सहायक पद की लिखित परीक्षा पास करने में विफल रहे थे क्योंकि उन्होंने जवाब दिया था कि गीत बंगाली में लिखा गया है.
बोर्ड की ओर से वस्तुनिष्ठ सवाल के बंगाली जवाब को गलत घोषित करने के बाद उन्होंने अदालत का रुख किया था. उन्हें 89 अंक दिए गए थे जबकि नियुक्ति के वास्ते योग्य होने के लिए न्यूनतम 90 अंक चाहिए थे.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि गलत मूल्यांकन के कारण वह एक अंक से पद पर भर्ती होने से चूक गया और उसने मांग की कि वंदे मातरम के सवाल के जवाब को सही मानकर उसे एक अंक दिया जाए.
“Vande Matharam” to be played and sung in all schools/colleges/Universities atleast once a week (Preferably on Monday or Friday):Madras HC
— ANI (@ANI) July 25, 2017
यह मामला सात जुलाई को पहली बार सुनवाई के लिए आया तो याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी ने राष्ट्रीय गीत बंगाली और संस्कृत में लिखा है.
दूसरी ओर, सरकारी वकील ने दलील दी कि इसे सिर्फ संस्कृत में लिखा गया था और बाद में बंगाली में इसका अनुवाद किया गया था.
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसने जितनी भी किताबें पढ़ी हैं उसमें बंगाली का जिक्र पहली भाषा के तौर पर है जिसमें राष्ट्रीय गीत लिखा गया था.
इसके बाद, न्यायाधीश ने महाधिवक्ता को उनके सामने पेश होकर अदालत को सही उत्तर बताने का निर्देश दिया, ताकि बीएड स्नातक की ओर से उठाए गए गीत के भाषाई मूल के विवाद का निबटारा किया जा सके.
इसके बाद, 13 जुलाई को जब मामले पर सुनवाई हुई तो तमिलनाडु के महाधिवक्ता आर. मुथुकुमारस्वामी ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय गीत संस्कृत मूल का है लेकिन वास्तविक तौर पर चटर्जी ने बंगाली में लिखा था.
स्कूलों में राष्ट्रगीत को अनिवार्य बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई चल रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)