उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में भाजपा नेता राजवीर सिंह पहलवान के घर पर जुटे लोग. भाजपा नेता ने कहा कि बलात्कार नहीं हुआ है. अब सीबीआई उचित तरीके से जांच करेगी. हमें उन पर पूरा विश्वास है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 वर्षीय युवती के साथ कथित तौर पर गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में कथित तौर पर उच्च जाति के लोगों ने रविवार को एक सभा की है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार सुबह हाथरस में भाजपा के एक नेता राजवीर सिंह पहलवान के घर के पर आरोपियों के समर्थन में 500 लोगों की भीड़ जमा हुई. इसमें मामले के एक आरोपी के परिवारवाले भी शामिल थे.
प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया गया कि चारों युवकों को गलत आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया हैं. उन्हें न्याय जरूर मिलना चाहिए.
Demands For 'Justice For Accused' At Gathering Near Hathras Victim's Home
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— NDTV (@ndtv) October 4, 2020
संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उन्हें इस सभा की जानकारी नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, ‘पीड़ित परिवार पर कोई दबाव नहीं हैं. राजनेता पांच लोगों के समूह में उनसे मिल सकते हैं.’
सभा आयोजित करने वालों में से एक ने कहा, ‘हमने इस सभा के बारे में पुलिस को जानकारी दे दी थी. युवती (पीड़ित) के परिवारवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. मामले के आरोपियों को गलत तरीके से निशाना बनाया गया है.’
सभा के संबंध में ट्विटर पर सामने आए भाजपा नेता राजवीर सिंह पहलवान के एक कथित वीडियो में वे कहते नजर आ रहे हैं, ‘मामले की सीबीआई जांच और नार्को टेस्ट के जो आदेश दिए गए हैं, उसका स्वागत करने के लिए ये लोग यहां आए हैं. हमने यह बात प्रदेश सरकार तक पहुंचाई कि लोगों की मांग है कि इसकी सीबीआई और नार्को जांच होनी चाहिए, जिससे सत्यता सामने आए.’
WATCH: BJP leader and former Hathras MLA Rajvir Singh Pahalwan holds meeting at his place in support of #Hathras accused, says "no rape happened". Welcomes CBI enquiry to "get justice for innocents." pic.twitter.com/PvhJiB7tYO
— Asmita Nandy (@NandyAsmita) October 4, 2020
वे आगे कहते हैं, ‘अभी तक सारे चैनल झूठ का प्रचार कर रहे हैं. ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं, बलात्कार कोई हुआ नहीं. पहली एफआईआर में केवल एक आरोपी था, फिर चार आरोपी आ गए. गर्दन तोड़ दिया, ये कर दिया… ये सारी चीजें झूठी हैं. अब सीबीआई इसकी जांच करेगी.’
समाचार वेबसाइट क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, राजवीर सिंह पहलवान ने कहा, ‘बलात्कार नहीं हुआ है. पीड़ित के परिवार ने शुरू में सिर्फ एक व्यक्ति (आरोपी) का नाम क्यों लिया और फिर तीन और नाम शामिल (एफआईआर में) किया गया? लड़की का गला दबाने और अन्य आरोप झूठे हैं. अब सीबीआई उचित तरीके से जांच करेगी. हमें उन पर पूरा विश्वास है.’
उन्होंने यह भी कहा कि सभी समुदायों के सदस्य इस सभा में शामिल हुए, जो कि उनके निजी स्थान पर संपन्न हुआ, इसके लिए प्रशासन से किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं थी.
बीते तीन अक्टूबर को हाथरस जिले में स्थित पीड़ित परिवार के घर से करीब 500 मीटर दूर ठाकुर समुदाय के सैकड़ों लोगों ने आरोपियों के समर्थन में इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया और उनके लिए न्याय की मांग की थी.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.
उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.
करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.
इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का 29 सितंबर की देर रात अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा पीड़ित के पिता को कथित तौर पर धमकी देने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली की आलोचना हो रही है.
युवती की मौत के बाद विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में दो अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया था.
मामले की जांच अब सीबीआई को दे दी गई है.