उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध कर रहे हैं. बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकाल के लिए काम का बहिष्कार किया जाएगा.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में बिजली विभाग के 15 लाख कर्मचारी सोमवार को एक दिन की हड़ताल पर हैं.
इन कर्मचारियों में जूनियर इंजीनियर, उप-विभागीय अधिकारी, कार्यकारी इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता शामिल हैं. बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकाल के लिए काम का बहिष्कार किया जाएगा.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के जिला संयोजक अवधेश कुमार ने रविवार को कहा था कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में सोमवार को सुबह से शाम तक विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा और यदि मांग पूरी नहीं हुई तो हड़ताल आगे भी जारी रहेगी.
उन्होंने कहा कि देश के अन्य स्थानों जैसे- ओडिशा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, उज्जैन, ग्वालियर, भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर में बिजली क्षेत्र का निजीकरण असफल रहा है.
उन्होंने दावा किया कि निजीकरण जनता के खिलाफ है, क्योंकि इससे बिजली महंगी हो जाएगी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक रविवार को यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) प्रबंधन ने कार्य बहिष्कार की घोषणा को वापस लेने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं के साथ बातचीत की, लेकिन प्रबंधन ने निजीकरण किए बिना ऊर्जा में सुधारों के उनके प्रस्ताव को अस्वीकार दिया जिससे वार्ता टूट गई.
अखिल भारतीय पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के अध्यक्ष और संघर्ष समिति के नेता शैलेंद्र दुबे ने कहा, ‘यूपीपीसीएल प्रबंधन द्वारा हमारे सुधार प्रस्ताव को ठुकरा देने के बाद हमने सभी बिजलीकर्मियों को पूर्व घोषित योजना के अनुसार सोमवार से पूरे दिन का कार्य बहिष्कार शुरू करने को कहा है.’
उन्होंने दावा किया कि देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी सोमवार को काम का बहिष्कार करेंगे. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि ऊर्जा क्षेत्र में प्रबंधन की ओर से पैदा किए गए टकराव के वातावरण को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप करें.
यूपी पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम और कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, अजय कुमार लल्लू और बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपकर अपना समर्थन मांगा.
अस्पतालों जैसी आवश्यक सेवाओं को कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार से छूट दी गई है.
अमर उजाला के मुताबिक पूर्वांचल जिले के सभी 20 डिवीजनों में बिजली आपूर्ति संभालने की जिम्मेदारी निजी कंपनी प्राइम वन वर्कफोर्स लिमिटेड को दी गई है.
दूसरी ओर राज्य सरकार ने अपना रुख सख्त कर दिया है और बिजली आपूर्ति बाधित करने की कोशिश करने पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है.
बता दें कि बिजली वितरण के निजीकरण के विरोध में राज्य के विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम की निंदा की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)