राजस्थानः अलवर गैंगरेप मामले में चार को उम्रक़ैद, एक को पांच साल की जेल

अलवर ज़िले के थानागाज़ी थाना क्षेत्र में 26 अप्रैल 2019 को अपने पति के साथ जा रही एक दलित महिला से पांच लोगों ने सामूहिक बलात्कार कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. आरोपियों ने पीड़ित से धन उगाही भी की थी. मामले में चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर पुलिस पर कई दिनों तक केस न दर्ज करने का आरोप लगा था.

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अलवर ज़िले के थानागाज़ी थाना क्षेत्र में 26 अप्रैल 2019 को अपने पति के साथ जा रही एक दलित महिला से पांच लोगों ने सामूहिक बलात्कार कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. आरोपियों ने पीड़ित से धन उगाही भी की थी. मामले में चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर पुलिस पर कई दिनों तक केस न दर्ज करने का आरोप लगा था.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

जयपुरः राजस्थान के अलवर में पिछले साल 19 साल की दलित युवती से गैंगरेप के चार आरोपियों को मंगलवार को अनुसूचित जाति जनजाति मामलों की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने इस घटना की वीडियो क्लिप बनाकर उसे वायरल करने वाले पांचवें आरोपी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है.

अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने यह फैसला सुनाया.

मामले में एक अन्य आरोपी जो नाबालिग हैं, उस पर अलग से मुकदमा चलाया जा रहा है.

बता दें कि अप्रैल 2019 में 19 साल की एक युवती का गैंगरेप किया गया था. युवती का आरोप था कि पांच युवकों ने उसके पति के सामने उसका गैंगरेप किया और इस घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया था.

इस मामले में पुलिस की कथित निष्क्रियता को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की आलोचना भी हुई थी.

विशेष लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने कहा, ‘अदालत ने चारों आरोपियों हंसराज गुर्जर, छोटेलाल गुर्जर, अशोक गुर्जर और इंद्रराज गुर्जर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत सामूहिक बलात्कार का दोषी मानते हुए सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी है, जबकि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करने वाले एक अन्य आरोपी मुकेश गुर्जर को आईटी एक्ट के तहत पांच साल की सजा सुनाई गई है.’

जैन ने बताया कि सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) के अलावा 147,341, 323,342,354,354 (बी), 506, 509, 386, 395 365, 327 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और सूचना एवं प्रौद्यागिकी (आईटी) की धाराओं के तहत सजा दी गई है.

उन्होंने बताया कि पीडिता के साथ बार बार दुष्कर्म करने के आरोपी हंसराज को भारतीय दंड संहिता की एक और धारा 376-2 एन के तहत दोषी पाया गया है.

जैन ने बताया कि अदालत ने चारों आरोपियों को प्राकृतिक मृत्यु तक कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

एफआईआर के मुताबिक, 26 अप्रैल 2019 को राजस्थान के अलवर-थानागाजी राजमार्ग पर बाइक सवार पांच लोगों ने बाइक पर पति के साथ जा रही दलित समुदाय की युवती का गैंगरेप किया. पति को बंधक बनाकर वारदात को अंजाम दिया गया और दंपति से 2,000 रुपये लूट लिए गए. आरोपियों ने इस घटना का वीडियो भी बनाया था.

शिकायतकर्ता के बहनोई के मुताबिक, ‘आरोपियों ने 28 अप्रैल 2019 को पीड़िता के पति को फोन करना शुरू किया और उनसे 10,000 रुपये की मांग की और ऐसा नहीं करने पर वीडियो को सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करने की धमकी दी.’

महिला और उनके परिवार का आरोप है कि 30 अप्रैल 2019 को पुलिस को इसकी सूचना देने के बाद अधिकारियों ने जानबूझकर सात दिनों तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और उनके बार-बार आग्रह के बावजूद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया.

इस गैंगरेप और पुलिस की कथित निष्क्रियता से देशव्यापी रोष पैदा हुआ. विपक्षी पार्टी भाजपा ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए लोकसभा चुनाव पूरे होने तक मामले को दबाकर रखने का आरोप लगाया था.

पुलिस को मामले की सूचना दिए जाने के तीन दिन बाद दो मई को एफआईआर दर्ज की गई. पीड़िता का दो और तीन मई को मेडिकल टेस्ट पूरा किया गया, लेकिन न तो उनके बयान दर्ज किए गए और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होने को लेकर पीड़ित परिवार ने जब पुलिस से इस वीडियो को लेकर शिकायत की तो उन्हें बताया गया कि चुनाव की वजह से बहुत कम पुलिसकर्मी ही उपलब्ध हैं, इसलिए वे अलवर चले जाएं.

मामले में पहली गिरफ्तारी सात मई को दौसा लोकसभा सीट पर चुनाव खत्म होने के बाद की गई.

पुलिस की निष्क्रयिता के आरोपों के बाद सरकार ने थानागाजी पुलिस थाने के एसएचओ सरदार सिंह को सस्पेंड किया और अलवर के तत्कालीन एसपी राजीव पचार को उनके पद से हटा दिया था.

बता दें कि पीड़िता को बाद में राजस्थान सरकार ने पुलिस बल में कॉन्स्टेबल के तौर पर भर्ती किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)