कोरोना वायरस महामारी के दौरान त्योहारी मौसम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भीड़भाड़ वाले आयोजनों के लिए दिशानिर्देश जारी किए. इसके अनुसार, रैलियों और विसर्जन जुलूसों में लोगों की संख्या निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए और सामाजिक दूरी तथा मास्क पहनना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले सात महीनों से बंद देश के सिनेमाघर 15 अक्टूबर से 50 फीसदी क्षमता के साथ खुल सकेंगे. सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए सिनेमाघरों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की घोषणा की.
अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मास्क पहनना और दर्शकों के बीच एक सीट की दूरी रखना अनिवार्य होगा.
उन्होंने कहा, ‘सिनेमाघर पिछले सात महीनों से बंद हैं. वे अब 15 अक्टूबर से खुलेंगे. लोगों की सुरक्षा के लिए हमने एसओपी तैयार की है.’
उन्होंने कहा, ‘सिनेमाघरों में 50 प्रतिशत लोगों को बैठने की अनुमति होगी. सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए एक कुर्सी छोड़कर बैठने की व्यवस्था की जाएगी. खाली कुर्सियों को अलग से चिह्नित किया जाएगा. हर समय मास्क लगाए रखना अनिवार्य होगा. साथ ही सैनिटाइजर जरूरी है.’
जावड़ेकर ने बताया कि कोरोना से बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने वाली एक मिनट की एक फिल्म दिखाया जाना या इस बारे में घोषणा किया जाना अनिवार्य होगा.
उन्होंने कहा, ‘एक शो खत्म होने के बाद पूरा हॉल सैनिटाइज करना होगा तभी दूसरा शो शुरू होगा. सिंगल स्क्रीन में टिकट बुकिंग के लिए ज्यादा खिड़कियां खोलनी होंगी. सभी जगह ऑनलाइन टिकट बुकिंग को बढ़ावा दिया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था के साथ वातानुकूलन का तापमान 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए.’
मंत्रालय ने एसओपी में कहा कि शो की शुरुआत, इंटरवल की अवधि और फिल्म खत्म होने के समय लोगों के प्रवेश और बाहर जाने के दौरान सामाजिक दूरी बनी रहे. इसके लिए उपयुक्त व्यवस्था करना आवश्यक होगा.
इंटरवल के दौरान आने जाने से बचने के लिए दर्शकों को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उचित दूरी और भीड़ प्रबंधन के लिए जगह-जगह चिह्नों का उपयोग किया जाएगा.
इसके मुताबिक सिनेमाघरों में सिर्फ डिब्बाबंद भोजन या पेय पदार्थों की अनुमति होगी. सिनेमाघरों के अंदर डिलीवरी नहीं होगी. इसके मद्देनजर भोजन और पेय पदार्थों की बिक्री के लिए कई काउंटर होंगे.
सिनेमा घरों के सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के उपायों के तहत दस्ताने, जूते, मास्क, पीपीई किट आदि का प्रावधान किया गया है.
संक्रमितों के संपर्क का पता लगाने के लिए दर्शकों के फोन नंबर भी लिए जाएंगे.
ज्ञात हो कि गृह मंत्रालय ने 30 सितंबर को नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए 15 अक्टूबर से सिनेमाघरों को खोलने की इजाजत दी थी. नए दिशानिर्देश बिहार में 27 अक्टूबर से तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आए हैं.
एसओपी के मुताबिक दशर्कों को आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल और उपयोग करने की सलाह दी जाएगी. हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी और बिना लक्षण वालों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
एसओपी के मुताबिक कोविड-19 संबंधित भेदभाव या गलत व्यवहार करने पर सख्ती से निपटा जाएगा तथा ऑडिटोरियम का 50 फीसदी हिस्सा ही उपयोग में लाया जाएगा.
मंत्रालय ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर फिल्म के प्रदर्शन से जुड़े सभी हितधारकों को अपनी गतिविधियों के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा.
उन्होंने उम्मीद जताई की एसओपी का पालन होगा और लोग 15 अक्टूबर से सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देख सकेंगे. इसके लिए उन्होंने सभी को शुभकामनाएं भी दीं.
मालूम हो कि मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ फिल्म निर्माण से जुड़े प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और अन्य लोग लगातार सरकार से इस क्षेत्र को खोलने की मांग कर रहे थे.
मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पिछले महीने कहा था कि लाखों लोगों को नौकरियां देने वाले इस क्षेत्र को पिछले छह महीने में 9,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है.
संगठन ने कहा था कि देश में सिनेमा लाखों लोगों के मनोरंजन का मुख्य साधन है और अभी देश में 10,000 सिनेमा स्क्रीन पिछले लगभग छह महीने से बंद हैं. सिनेमाघर क्षेत्र को वित्तीय नुकसान हुआ है और अब अगर सरकार सिनेमाघरों को खोलने की इजाजत नहीं देती है तो लोगों की नौकरियां जाएंगी.
बीते अगस्त महीने में सरकार द्वारा ‘अनलॉक-4’ के लिए जारी किए गए जारी दिशा-निर्देशों में सिनेमाघरों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई थी. तब बॉलीवुड के कई फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमएआई) ने केंद्र से आग्रह किया था कि वह सिनेमाघरों को खोलने की अनुमति दे.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एसओपी जारी की, निषिद्ध क्षेत्रों से बाहर कार्यक्रमों की अनुमति
कोविड-19 महामारी के दौरान त्योहारी मौसम में एक बड़ी चुनौती होने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भीड़भाड़ वाले आयोजनों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
इनमें कार्यक्रमों के लिए विस्तृत स्थान, सामाजिक दूरी सुनिश्चित करना तथा मूर्तियों और पवित्र ग्रंथों को स्पर्श नहीं करने जैसे उपाय शामिल हैं, ताकि वायरस से संक्रमण पर काबू पाया जा सके.
मंत्रालय के अनुसार, केवल निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर ही त्योहारों के लिए अनुमति दी जाएगी, वहीं प्रतिबंधित क्षेत्रों के निवासियों को अपने घरों के अंदर ही त्योहार मनाने और बाहर नहीं निकलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.
मंत्रालय ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) कहा कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच धार्मिक पूजा, मेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, जुलूसों आदि के लिए बड़े समारोह आयोजित होते हैं. ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह के आयोजनों के लिए आवश्यक निवारक उपायों का पालन किया जाए. ऐसे कार्यक्रम एक दिन या एक सप्ताह या उससे भी अधिक समय तक चलते हैं.
एसओपी में कहा गया है कि जहां तक संभव हो रिकॉर्ड किए गए भक्ति संगीत या गाने बजाए जाएं और गायन समूहों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
एसओपी के अनुसार, भौतिक दूरी के मानदंडों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम स्थलों में सभी स्थानों पर उचित चिह्न होना चाहिए. साथ ही केवल उन कर्मचारियों और आगंतुकों को ही आने की अनुमति दी जाए जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं.
एसओपी के अनुसार, सभी कर्मचारियों और आगंतुकों को प्रवेश की अनुमति तभी दी जाएगी जब वे मास्क का उपयोग कर रहे हों. हर समय न्यूनतम छह फुट की भौतिक दूरी का पालन करने को भी कहा गया है.
कई दिनों या हफ्तों तक चलने वाले कार्यक्रमों में हमेशा एक जैसी भीड़ नहीं होती है. आमतौर पर दिन के कुछ घंटों में ही भीड़ ज्यादा होती है.
एसओपी के अनुसार कार्यक्रम की योजना इस प्रकार से बनाई जानी चाहिए ताकि भीड़ को नियंत्रित रखा जा सके और सुरक्षित सामाजिक दूरी का पालन हो सके.
रैलियों और विसर्जन जुलूसों में लोगों की संख्या निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए और सामाजिक दूरी तथा मास्क पहनना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
एसओपी के अनुसार सक्षम अधिकारी स्थानीय आकलन के अनुसार अपने क्षेत्र में अतिरिक्त उपायों को लागू कर सकते हैं जो गृह मंत्रालय द्वारा दी गयी अनुमति के अनुरूप हो.
इसके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग पर भी जोर दिया गया है. सामाजिक दूरी, मास्क जैसे प्रावधानों पर नजर रखने के लिए क्लोज-सर्किट कैमरे आदि पर विचार किया जा सकता है.
बता दें कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगाये जाने की घोषणा की थी और इसे चरणबद्ध तरीके से 31 मई तक बढ़ाया गया था.
इसके बाद देश में ‘अनलॉक’ प्रक्रिया की शुरुआत एक जून को हुई थी और चरणबद्ध तरीके से व्यापारिक, सामाजिक, धार्मिक और अन्य गतिविधियों को फिर से खोला गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)