हैदराबाद के 150 साल पुराने गांधी अस्पताल में डिलिवरी के दौरान पिछले हफ्ते में छह मौतें हो चुकी हैं.
हैदराबाद के गांधी अस्पताल के प्रसूति विभाग में गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों की सलामती के लिए बीते सोमवार को तकरीबन चार घंटे तक महामृत्युंजय हवन कराया गया.
अस्पताल में डिलिवरी के दौरान होने वाली मौतों की वजह से यह कदम उठाया गया. इसका आयोजन वरिष्ठ डॉक्टर की ओर से किया गया जिसमें अस्पताल के तमाम कर्मचारियों ने अपना सहयोग दिया.
एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के मुतबिक एक-दो महीने पहले तक यहां के प्रसूति विभाग में रोज़ाना 25-30 डिलिवरी कराई जाती थी, लेकिन अब यह संख्या करीब दोगुनी हो गई है.
ऐसा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए ‘केसीआर किट्स’ योजना लागू करने से हुई है. इस योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में डिलिवरी करवाने पर मां और नवजात को नकदी के साथ ज़रूरी सामान दिए जाते हैं.
Hyderabad: Hawan conducted in a ward in Gandhi Hospital; committee formed to investigate into the matter pic.twitter.com/r06nPuXe4K
— ANI (@ANI) July 26, 2017
इसके बाद से यहां होने वाली डिलिवरी की संख्या दोगुनी हो गई लेकिन पिछले हफ्ते में गांधी अस्पताल में तकरीबन छह लोगों की मौत हो गई है. एनडीटीवी से बातचीत में अस्पताल के उप अधीक्षक एन. नरसिम्हा राव ने बताया, हमारे यहां ज़्यादातर गंभीर मामले सामने आते हैं, हम उन्हें डिलिवरी के लिए मना नहीं कर सकते, इसी वजह से मौतें हो रही हैं.
प्रसूति विभाग में महामृत्युंजय हवन चार घंटों चला. इसमें भाग लेने वाले डॉक्टरों ने कहा कि दैवीय आशीर्वाद लेने और गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात बच्चों की लंबी उम्र के लिए हवन कराया गया.
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अस्पताल के प्रमुख ने हवन के लिए अनुमति दे दी थी, लेकिन कुछ संगठनों और मीडिया की ओर से हुई आलोचना के बाद जांच के आदेश दे दिए हैं.
राव ने कहा, हमने कभी इस तरह के कार्यक्रमों को बढ़ावा नहीं दिया. मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी. अस्पताल के डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि आगे से इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन न किया जाए.
150 साल पुराना गांधी अस्पताल तीन वार्डों से शुरू हुआ था अब यहां 1800 बेड हैं. अस्पताल के साथ मेडिकल कॉलेज भी है. कहा जाता है आंध्र प्रदेश की पहली ओपन हार्ट सर्जरी यहीं हुई थी.
एनडीटीवी से बातचीत में प्रसूति और स्त्री विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. हरि अनुपमा ने स्पष्ट किया कि यह हवन सरकार की ओर से प्रायोजित नहीं किया गया था. कुछ नर्सों, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, कुछ मरीज़ों और मैंने इस हवन में हिस्सा लिया. इसके लिए हमने पैसे इकट्ठा किया था और कुछ स्वयंसेवियों ने दान दिया था. यह आयोजन वार्ड में नहीं गलियारे में हुआ.