साल 2020 के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम को शांति का नोबेल पुरस्कार

अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है. वह 2016 में बॉब डिलन के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली पहली अमेरिकी हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है. वह 2016 में बॉब डिलन के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली पहली अमेरिकी हैं.

(फोटोः रॉयटर्स/वासिली फेडोसेन्को)
(फोटोः रॉयटर्स/वासिली फेडोसेन्को)

नई दिल्लीः नॉर्वे की नोबेल समिति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है.

वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम को शुक्रवार को इस सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई.

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने की. नोबेल समिति ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर में भूख से जूझ रहे लोगों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है.

समिति ने वैश्विक सरकारों से आह्वान किया कि वे विश्व खाद्य कार्यक्रम और अन्य सहायता संगठनों को वित्तीय मदद सुनिश्चित करे ताकि वे उन्हें भोजन मुहैया करा सकें.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, समिति ने कहा, ‘कोरोना की वजह से दुनियाभर में भूख से जूझ रहे लोगों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है. जब तक कोरोना की वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती. तब तक अव्यवस्था के खिलाफ भोजन ही सर्वोत्तम टीका है.’

डब्ल्यूएफपी का कहना है कि उसने हर साल लगभग 88 देशों के तकरीबन 9.7 करोड़ लोगों की मदद की है और दुनियाभर में नौ में से एक शख्स के पास अभी भी खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है.

यह संगठन साल 1961 से दुनियाभर में भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षा के जरिये देशों की आबादी को मूलभूत ताकत दी जा सके.

अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार

दूसरी ओर अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है. 2016 में बॉब डिलन के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली लुईस पहली अमेरिकी हैं.

नोबेल समिति ने पुरस्कार का ऐलान करते हुए कहा, ‘यह पुरस्कार शानदार काव्य शैली के लिए दिया गया है, जो व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक पहचान दिलाती है और जिसमें सादगी भरी सुंदरता का अप्रतिम उल्लेख है.’

नोबेल अकादमी ने कहा कि न्यूयॉर्क में जन्मीं लुईस ग्लूक ने 1968 में अपनी पहली रचना ‘फर्स्टबॉर्न’ लिखी और वह जल्द ही अमेरिकी समकालीन साहित्य के सर्वाधिक जाने-माने कवियों की श्रेणी में शामिल हो गईं.

ग्लूक (77) येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं.

अकादमी ने कहा कि उनकी कविताएं आमतौर पर बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, माता-पिता और भाई-बहनों के साथ घनिष्ठ संबंधों पर केंद्रित रही हैं. उनका 2006 में आया काव्य संग्रह ‘एवर्नो’ एक शानदार संग्रह है.

नोबेल साहित्य समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने कहा कि ग्लूक के 12 कविता संग्रह हैं, जिनमें स्पष्टता की चाहत साफ दिखाई देती है. इनमें ‘डिसेंडिंग फिगर’ और ‘द ट्राइंफ ऑफ एकिलेस’ जैसे संग्रह शामिल हैं.

बता दें कि इससे पहले साल 2018 में यह पुरस्कार तब टाल दिया गया था जब स्वीडिश अकादमी यौन शोषण के आरोपों से हिल उठी थी और इसके सदस्यों को सामूहिक रूप से इस्तीफा देना पड़ा था.

नोबेल फाउंडेशन ट्रस्ट का विश्वास दोबारा जीतने के लिए अकादमी ने खुद का दोबारा गठन किया था और 2019 में दो विजेताओं का चयन किया गया.

2018 का पुरस्कार पोलैंड की ओल्गा तोकार्चुक और 2019 का पुरस्कार ऑस्ट्रिया के पीटर हंडके के खाते में आया.

हालांकि, हंडके को नोबेल दिए जाने को लेकर खासा विरोध हुआ था.

1990 के दशक के बाल्कन युद्ध के दौरान सर्बिया के सैनिकों के समर्थक रहे हंडके को सर्ब युद्ध अपराधों का समर्थक कहा जाता रहा है. अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की सहित कई देशों ने विरोध में नोबेल पुरस्कार समारोह का विरोध किया था.

इतना ही नहीं साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए साहित्यकारों का चयन करने वाली समिति के एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था.

मालूम हो कि नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8.20 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है. स्वीडिश क्रोनर स्वीडन की मुद्रा है.

यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)