विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख डेविड बीसली ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की घोषणा ने दुनिया के लगभग 69 करोड़ लोगों को वैश्विक नज़र में ला दिया है, जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पुरस्कार मिलने के बाद दुनिया के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यकम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे.
औगादोउगोउ (बुर्किना फासो): विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख डेविड बीसली ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार तब मिला जब वह दरिद्रता और युद्ध से कमजोर हो चुके साहेल (पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो का एक क्षेत्र) का दौरा कर रहे थे और यह दुनिया को संदेश है कि उसे इस इलाके और भुखमरी के शिकार लोगों को नहीं भूलना चाहिए.
डब्ल्यूएफपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीसली ने शुक्रवार को नोबेल शांति सम्मान एजेंसी को दिए जाने की घोषणा के कुछ देर बाद ही बुर्किना फासो के संक्षिप्त पड़ाव में पत्रकारों से यह बात कही.
We are deeply humbled to receive the #NobelPeacePrize. This is an incredible recognition of the dedication of the @WFP family, working to end hunger everyday in 80+ countries.
Thank you @NobelPrize for this incredible honor! pic.twitter.com/bHcS0usWQa
— Cindy McCain (@WFPChief) October 9, 2020
उन्होंने कहा, ‘यह तथ्य है कि जब मैं साहेल में था तब नोबेल शांति की घोषणा की जानकारी मिली और इसका संदेश इससे कहीं बड़ा है कि, ऐ दुनिया यहां हो रही सभी घटनाओं के बीच कृपा कर साहेल के लोगों को न भूलना. कृपया उन लोगों को न भूल जो भुखमरी से संघर्ष कर रहे हैं और मर रहे हैं.’
बीसली ने कहा, ‘हम बुर्किना फासो में अकाल को टाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें दो चीजों की जरूरत है और वह है धन और पहुंच, इन दोनों के बिना वहां अकाल होगा.’
उल्लेखनीय है कि इस्लामी उग्रवाद से प्रभावित बुर्किना फासो में 30 लाख से अधिक लोगों को आपात खाद्य सहायता की जरूरत है जबकि करीब 11 हजार लोग अकाल जैसे हालात का सामना कर रहे हैं.
बता दें कि नॉर्वे की नोबेल समिति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है.
बीसली ने उम्मीद जताई कि नोबेल मिलने के बाद दुनिया भर के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यकम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे.
बीसली कोविड-19 महामारी से पहले से ही कई देशों में भुखमरी के हालात बदतर होने की चेतावनी देते रहे हैं और अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की अपील करते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफपी और उसके साझेदार इस साल 13.8 करोड़ लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो हमारे इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि पुरस्कार समिति की घोषणा ने दुनिया के उन लगभग 69 करोड़ लोगों को वैश्विक नजर में ला दिया है जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘इनमें से हर इंसान को भुखमरी के बिना शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है. जलवायु परिवर्तन और आर्थिक दबावों ने उनकी तकलीफों में और ज्यादा इजाफा कर दिया है. इसके अलावा अब वैश्विक महामारी भी करोड़ों अन्य लोगों को भुखमरी के कगार पर धकेल रही है.’
डेविड बीसली ने कहा, ‘नोबेल शांति पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम के कर्मचारियों के कामकाज की एक विनम्र और भावुक पहचान है जो दुनिया भर में हर दिन लगभग 10 करोड़ भूखे बच्चों, महिलाओं और पुरुषों तक भोजन व अन्य सहायता पहुंचाने में अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर मोर्चे पर मुस्तैद रहते हैं. ये ऐसे लोग हैं जिनकी ज़िंदगियां अस्थिरता, असुरक्षा और संघर्ष हालात के कारण बिखरी हुई है.’
विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना 1961 में हुई थी, जिसका मुख्यालय रोम में है.
साथ ही बीसली ने सरकारों और संस्थानों सहित दानदाताओं से मदद की अपील की. इसके साथ ही उन्होंने दुनियाभर के दो हजार से अधिक अरबपतियों से भी मदद की विशेष अपील की है जिनकी संयुक्त संपत्ति 8000 अरब डॉलर है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)