क़र्ज़ माफ़ी के बावजूद महाराष्ट्र में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की

एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2019 में देश भर के कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसमें से 3,927 किसान आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र के हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई वर्षों में राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसान अपनी जान दे देते हैं.

A farmer shows wheat crop damaged by unseasonal rains in his wheat field at Sisola Khurd village in the northern Indian state of Uttar Pradesh, March 24, 2015. To match Insight INDIA-MODI/ Picture taken March 24, 2015. REUTERS/Anindito Mukherjee
(फोटो फाइल: रॉयटर्स)

एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2019 में देश भर के कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसमें से 3,927 किसान आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र के हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई वर्षों में राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसान अपनी जान दे देते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: साल 2017 में घोषित कर्ज माफी समेत अन्य कई कृषि कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद साल 2019 में महाराष्ट्र में सर्वाधिक 3,927 किसानों ने आत्महत्या की.

गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है.

एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कई सालों से राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है.

साल 2016 में देश भर में कुल 11,379 किसानों ने आत्महत्या की थी और इसमें से 3,661 मामले महाराष्ट्र के थे. साल 2019 में महाराष्ट्र में कुल 3,927 किसानों ने आत्महत्या की, जो कि साल 2016 की तुलना में 266 मामलों की वृद्धि है.

साल 2014 में 4,000 और साल 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी. सूखा, बाढ़, फसल बर्बाद, कर्ज में वृद्धि जैसी कई वजहे हैं, जिसके कारण किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

एनसीआरबी के मुताबिक साल 2019 में देश भर में कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी, जिसमें से 5,957 कृषक थे और 4,324 कृषि मजदूर थे. कुल आत्महत्या मामलों में 7.4 फीसदी हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र की है.

महाराष्ट्र के कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘कृषि सुधारों को लागू करने में महाराष्ट्र आगे रहा है. राज्य ने साल 2006 में तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार में अनुबंध खेती समेत अन्य कृषि सुधारों को लागू किया था, लेकिन राज्य में 1.56 करोड़ किसानों में से अधिकतम 50,000 ने अनुबंध खेती अपनाया है.’

कृषि अधिकारी ने आगे बताया कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी कि अनुबंध खेती को बढ़ावा दिया था.

साल 2017 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकारी सम्मान योजना की घोषणा की थी. इसके तहत राज्य सरकार ने कुल 34,022 करोड़ रुपये के कृषि लोन को माफ करने का वादा किया था.

द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि इसमें से 19,833.54 करोड़ रुपये के कर्ज को माफ किया गया था और कुल 48.02 लाख किसानों को लाभ मिला था.

दिसंबर 2019 में जब कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की गठबंधन वाली नई सरकार बनी तो उन्होंने महात्मा ज्योतिराव फूले शेतकारी कर्ज मुक्ति योजना की घोषणा की.

इसके तहत एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2019 के बीच लंबित दो लाख रुपये तक के फसल ऋण माफ करने की योजना बनी थी.

राज्य सरकार ने इस कार्य के लिए कुल 20,081 करोड़ रुपये का आवंटन किया, लेकिन इसमें से 17,080.59 करोड़ रुपये के ही कृषि लोन को माफ किया गया था.